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केरल की राजनीति में ऐतिहासिक मोड़: तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी ने ढहाया लेफ्ट का 45 साल पुराना किला

पीएम मोदी बोले— ‘थैंक्यू तिरुवनंतपुरम’, 2026 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक बढ़त

नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम। केरल की राजनीति में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है। निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राजधानी तिरुवनंतपुरम नगर निगम में जीत दर्ज कर लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के 45 साल पुराने वर्चस्व को समाप्त कर दिया है। यह जीत न केवल बीजेपी के लिए संगठनात्मक उपलब्धि है, बल्कि केरल की पारंपरिक राजनीति में एक निर्णायक मोड़ (watershed moment) के रूप में देखी जा रही है।

इस ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यकर्ताओं और तिरुवनंतपुरम की जनता को बधाई देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा— “थैंक्यू तिरुवनंतपुरम।” प्रधानमंत्री ने इसे केरल की राजनीति का ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि यह परिणाम दशकों की मेहनत, संघर्ष और समर्पण का फल है।

पीएम मोदी का संदेश: विकास की उम्मीद बीजेपी से

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि तिरुवनंतपुरम नगर निगम चुनाव में एनडीए की जीत यह संकेत देती है कि केरल की जनता अब यह मानने लगी है कि राज्य में विकास की वास्तविक उम्मीदें केवल बीजेपी ही पूरी कर सकती है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पार्टी तिरुवनंतपुरम को विकास का मॉडल शहर बनाने की दिशा में काम करेगी और लोगों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाएगी।

प्रधानमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बीजेपी की असली ताकत बताते हुए कहा कि “मेरे सभी मेहनती कार्यकर्ताओं को धन्यवाद, जिनकी बदौलत तिरुवनंतपुरम नगर निगम में इतने शानदार नतीजे सामने आए हैं।”

45 साल बाद टूटा लेफ्ट का अभेद्य किला

तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर पिछले 45 वर्षों से सीपीएम की अगुआई वाले एलडीएफ का कब्जा रहा है। अब तक यहां का राजनीतिक मुकाबला लगभग पूरी तरह एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के बीच ही सिमटा रहा था। ऐसे में बीजेपी की यह जीत केरल की शहरी राजनीति में एक बड़ा उलटफेर मानी जा रही है।

101 वार्ड वाले तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी ने 50 वार्डों में जीत दर्ज की है और वह निर्णायक बहुमत से महज एक सीट पीछे है। वहीं, एलडीएफ को 29 वार्ड, यूडीएफ को 19 वार्ड में जीत मिली है, जबकि 2 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भले ही बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए एक सीट की कमी रह गई हो, लेकिन नैरेटिव और राजनीतिक संदेश के लिहाज से यह जीत निर्णायक बहुमत से कम नहीं है

बीजेपी के लिए क्यों अहम है तिरुवनंतपुरम

तिरुवनंतपुरम सिर्फ केरल की राजधानी ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक, राजनीतिक और वैचारिक रूप से भी राज्य का केंद्र माना जाता है। यहां लेफ्ट की पकड़ बेहद मजबूत रही है और इसे सीपीएम का गढ़ कहा जाता रहा है। ऐसे में बीजेपी का यहां सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरना, केरल में उसकी स्वीकार्यता के बढ़ते दायरे को दर्शाता है।

बीजेपी के रणनीतिकारों के अनुसार, यह जीत शहरी मतदाताओं के बीच विकास, सुशासन और वैकल्पिक राजनीति की मांग को भी दर्शाती है। पार्टी का मानना है कि केरल की युवा आबादी और मध्य वर्ग अब पारंपरिक ध्रुवीकरण से बाहर निकलकर प्रदर्शन आधारित राजनीति की ओर देख रहा है।

एलडीएफ और यूडीएफ के लिए चेतावनी

तिरुवनंतपुरम नगर निगम के नतीजे एलडीएफ और यूडीएफ—दोनों के लिए चेतावनी की घंटी माने जा रहे हैं। एलडीएफ के लिए यह झटका इसलिए बड़ा है क्योंकि वह दशकों से इस निगम को अपनी मजबूत राजनीतिक प्रयोगशाला मानता रहा है। वहीं, यूडीएफ के लिए यह संकेत है कि बीजेपी अब केवल तीसरा विकल्प नहीं, बल्कि सीधा मुकाबला देने वाली ताकत बनती जा रही है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि एलडीएफ और यूडीएफ अपनी रणनीतियों में बदलाव नहीं करते, तो आने वाले वर्षों में शहरी क्षेत्रों में उनका नुकसान और बढ़ सकता है।

2026 विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा संकेत

केरल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले राजधानी के नगर निगम में बीजेपी की यह जीत पार्टी के लिए मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर बड़ी बढ़त मानी जा रही है। अब तक बीजेपी केरल में सीमित सीटों और वोट शेयर तक ही सिमटी रही है, लेकिन तिरुवनंतपुरम के नतीजे यह संकेत देते हैं कि पार्टी का संगठनात्मक विस्तार जमीन पर असर दिखाने लगा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह जीत बीजेपी को राज्य में कैडर बेस मजबूत करने, स्थानीय नेतृत्व उभारने और वैकल्पिक शासन मॉडल पेश करने का अवसर देगी। यदि पार्टी नगर निगम में प्रभावी प्रशासन देने में सफल रहती है, तो इसका सीधा लाभ 2026 के विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।

शहरी राजनीति में बदला समीकरण

केरल की शहरी राजनीति लंबे समय से लेफ्ट और कांग्रेस के बीच घूमती रही है। बीजेपी की इस सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की शहरी राजनीति अब त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रही है। तिरुवनंतपुरम में मिली सफलता आने वाले समय में कोच्चि, कोझिकोड और त्रिशूर जैसे अन्य शहरी केंद्रों में भी पार्टी के लिए रास्ता खोल सकती है।

निष्कर्ष: केरल में बीजेपी के लिए नई शुरुआत

तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी की जीत को केवल एक स्थानीय निकाय चुनाव की सफलता के रूप में देखना पर्याप्त नहीं होगा। यह केरल की राजनीति में विचारधारात्मक और संगठनात्मक बदलाव का संकेत है। प्रधानमंत्री मोदी का इसे “ऐतिहासिक मोड़” कहना इसी व्यापक राजनीतिक संदर्भ को रेखांकित करता है।

अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि बीजेपी इस जीत को प्रभावी प्रशासन और जनहितकारी नीतियों में कैसे बदलती है और क्या वह 2026 के विधानसभा चुनाव में इस लय को बरकरार रख पाती है या नहीं।

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