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उत्तर प्रदेश में ‘घुसपैठियों पर सर्जिकल स्ट्राइक’: योगी सरकार ने शुरू किया बड़ा अभियान, डिटेंशन सेंटर में भेजे जाएंगे अवैध निवासी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अपराधियों और माफिया के खिलाफ बुलडोज़र और एनकाउंटर नीति के बाद अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य की आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने प्रदेश में मौजूद घुसपैठियों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई शुरू करते हुए इसे ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसा अभियान बताया है। इस अभियान के तहत अवैध तरीके से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेजा जाएगा।

सरकार का दावा है कि यह कदम न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन लोगों तक पहुँचेगा, जो वास्तव में इसके पात्र हैं। यूपी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि “कतई बर्दाश्त नहीं” की नीति पर चलते हुए घुसपैठ रोकने और अवैध निवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अनिवार्य हो गई थी।


घुसपैठ पर योगी सरकार की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति क्यों?

बीते कुछ वर्षों में यूपी सरकार ने अपराधियों, माफियाओं, अवैध कब्जाधारियों और असामाजिक तत्वों पर लगातार दबाव बनाया है। इसके बाद अब सरकार की नज़र उन विदेशी नागरिकों पर है, जो अवैध रूप से राज्य में रह रहे हैं।

सरकार का कहना है कि कई बार इसी तरह के अवैध निवासी न केवल सरकारी योजनाओं का गलत तरीके से लाभ उठाते हैं बल्कि अपराधों और अवैध गतिविधियों में भी शामिल पाए जाते हैं। यही वजह है कि अब राज्य सरकार ने उनकी पहचान कर उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने की प्रक्रिया तेज कर दी है।

सरकारी बयान में कहा गया है कि—

  • घुसपैठियों की वजह से असली पात्र लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
  • कई घुसपैठिए फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर विभिन्न सब्सिडी व सुविधाएं हासिल कर लेते हैं।
  • यह स्थिति प्रदेश की आर्थिक और सामाजिक दोनों व्यवस्थाओं को प्रभावित करती है।

नई व्यवस्था लागू होने के बाद सरकार का दावा है कि योजनाओं का लाभ अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से मिलेगा।


डिटेंशन सेंटर होंगे ‘अभेद्य’, सुरक्षा चक्र रहेगा मजबूत

सरकार ने संकेत दिया है कि अवैध विदेशी नागरिकों को जिन डिटेंशन सेंटरों में रखा जाएगा, उनकी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होगी। इन केंद्रों में—

  • तीन लेयर की सुरक्षा व्यवस्था
  • 24×7 निगरानी तंत्र
  • बाहरी संपर्कों पर प्रतिबंध
  • नियमित पहचान सत्यापन
  • डिजिटल निगरानी उपकरण

जैसे प्रावधान शामिल होंगे।

राज्य सरकार का कहना है कि किसी भी हाल में इन केंद्रों की सुरक्षा में सेंध लगाना संभव नहीं होगा। यह व्यवस्था उन आरोपों या आशंकाओं को भी खत्म करेगी कि अवैध निवासी कार्रवाई से बचकर भाग सकते हैं या किसी नेटवर्क की मदद से दोबारा फर्जी पहचान बना सकते हैं।


अपराध और अवैध गतिविधियों पर पड़ेगा सीधा असर

यूपी सरकार के अनुसार, घुसपैठियों के खिलाफ यह सर्जिकल स्ट्राइक राज्य की कानून-व्यवस्था को सीधा मजबूत करेगी। पिछले वर्षों में कई मामलों में यह सामने आया कि अवैध विदेशी नागरिक—

  • मानव तस्करी
  • मादक पदार्थों की तस्करी
  • फर्जी दस्तावेज रैकेट
  • अवैध धर्मांतरण नेटवर्क
  • नकली मुद्रा
  • साइबर क्राइम

जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

सरकार का मानना है कि यदि घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें सीमित किया जाए, तो अपराधों में उल्लेखनीय कमी आएगी। इससे पुलिस बल पर भी भार कम होगा और सुरक्षा एजेंसियां संगठित अपराध पर अधिक प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर सकेंगी।


लोगों के बीच भरोसा बढ़ाने का प्रयास

सरकार के बयान में कहा गया है कि इस तरह के कदम से जनता का भरोसा शासन-प्रशासन पर बढ़ेगा।

पिछले कुछ वर्षों में, अपराधियों और माफिया तत्वों पर हुई व्यापक कार्रवाई के बाद सरकार ने लगातार यह संदेश दिया है कि कानून-व्यवस्था उसके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। घुसपैठियों के खिलाफ अभियान उसी श्रृंखला का अगला महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “अवैध निवासियों के हटने से न केवल सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी, बल्कि लोगों को यह विश्वास भी मिलेगा कि सरकार कानून का पालन कराने के लिए गंभीर है।”


किन लोगों पर होगी कार्रवाई?

सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई केवल उन लोगों पर की जाएगी:

  • जो बिना वैध दस्तावेजों के राज्य में रह रहे हैं,
  • जिनका वीज़ा, पासपोर्ट या अन्य दस्तावेज समाप्त हो चुका है,
  • जो संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाए गए हों,
  • जो अपनी वास्तविक पहचान छुपा रहे हों,
  • और जो फर्जी पहचान पत्र बनाकर सरकारी लाभ ले रहे हों।

इसके लिए राज्य के विभिन्न जिलों में विशेष टीमें बनाई गई हैं, जो स्थानीय पुलिस, खुफिया विभाग, SSB और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर सूची तैयार कर रही हैं।


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

सरकार के इस निर्णय ने राजनीतिक हलकों में भी चर्चा पैदा कर दी है।
जहां भाजपा इसे राज्य की सुरक्षा को मजबूत करने वाला कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे चुनावी एजेंडा से जोड़कर देख रहा है।

कुछ सामाजिक संगठनों ने भी इस विषय पर अपनी राय व्यक्त की है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह कदम पूरी तरह कानून-व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से उठाया गया है।


अंतिम लक्ष्य: सुरक्षित, पारदर्शी और स्थिर उत्तर प्रदेश

योगी सरकार के इस अभियान का समग्र उद्देश्य न सिर्फ अवैध निवास को समाप्त करना है, बल्कि ऐसे माहौल का निर्माण करना भी है जहाँ—

  • अपराध दर घटे,
  • सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुँचे,
  • संसाधनों पर अनावश्यक बोझ न पड़े,
  • और राज्य में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़े।

सरकार का कहना है कि यह कदम दीर्घकालिक रूप से प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा संरचना को मजबूत करेगा।

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