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पुतिन के सम्मान में आयोजित राजकीय भोज में राहुल गांधी और खरगे को नहीं मिला न्योता: कांग्रेस ने लगाया बड़ा आरोप

नई दिल्ली, 5 दिसंबर। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार शाम आयोजित राजकीय भोज को लेकर कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाया है। पार्टी ने दावा किया कि इस महत्वपूर्ण आयोजन में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को आमंत्रण नहीं भेजा गया है।

कांग्रेस की ओर से उठाए गए इस सवाल पर सरकार की तरफ से देर शाम तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

कांग्रेस का दावा: ‘प्रोटोकॉल की अनदेखी’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आरोप लगाया है कि ऐसे राजकीय आयोजनों में दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित करना वर्षों पुरानी परंपरा रही है, लेकिन मौजूदा सरकार लगातार इस प्रोटोकॉल की अनदेखी कर रही है। पार्टी ने याद दिलाया कि G20 डिनर के दौरान भी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को आमंत्रण नहीं मिला था।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि सरकार संवाद और सहमति की लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर कर रही है।

थरूर को मिला निमंत्रण, सरकार पर उठे सवाल

दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर को इस भोज में निमंत्रण भेजा गया है। थरूर, जो विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं, ने कहा कि अब वैसी ही परंपरा वापस लाई जा रही है जिसमें ऐसी समितियों के प्रमुखों को राजकीय भोज में आमंत्रित किया जाता था।

थरूर ने कहा,
“पहले भी संसदीय समिति के अध्यक्षों को ऐसे आयोजनों में बुलाया जाता था, लेकिन कुछ समय से यह प्रथा बंद थी। अब इसे पुनः शुरू किया गया है। नेता प्रतिपक्ष को क्यों नहीं बुलाया गया, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है।”

इस बयान ने राजनीतिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है कि आखिर सरकार ने संसद के दोनों सदनों के शीर्ष विपक्षी नेताओं को आमंत्रित क्यों नहीं किया।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में राजकीय भोज

जब कोई राष्ट्राध्यक्ष भारत के दौरे पर होता है, तो राष्ट्रपति भवन में आयोजित यह भोज एक अहम राजनयिक परंपरा मानी जाती है। इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल, सभी प्रमुख दलों के नेता, उच्च अधिकारी और विशिष्ट अतिथि शामिल होते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि नेता प्रतिपक्ष को आमंत्रित न करना राजनीतिक संदेश भी माना जा सकता है, खासकर तब जब भारत बहुपक्षीय संबंधों में संतुलन और संवाद की छवि प्रस्तुत करने पर जोर देता रहा है।

पुतिन का दौरा और राजनयिक महत्व

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यह दौरा भारत-रूस संबंधों की मजबूती के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच हैदराबाद हाउस में लंबी वार्ता हुई, जिसके बाद दोनों नेताओं ने मेक इन इंडिया, रक्षा साझेदारी, फार्मा सेक्टर में सहयोग और रणनीतिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर संयुक्त बयान जारी किया।

पुतिन ने इस दौरान मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए दोनों देशों की मित्रता को “ध्रुव तारे की तरह अटल” बताया।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति भवन के भोज में विपक्ष के शीर्ष नेताओं को निमंत्रण न भेजे जाने को लेकर उठी राजनीतिक बहस ने इस राजनयिक कार्यक्रम को नए विवाद में ला दिया है। सरकार की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया न आने से इस प्रकरण पर राजनीतिक हलकों में और अटकलें गहराती जा रही हैं।

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