
नई दिल्ली | 05 दिसंबर 2025: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दिवसीय भारत दौरे का आज अंतिम दिन है। भारत–रूस संबंधों को नए आयाम देने वाले इस दौरे के समापन अवसर पर राष्ट्रपति भवन में विशेष औपचारिक डिनर का आयोजन किया जा रहा है। इस रात्रिभोज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री, विदेश नीति से जुड़े शीर्ष अधिकारी और चुनिंदा सांसद शामिल होंगे। इस बीच डिनर की गेस्ट लिस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि इसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को निमंत्रण नहीं भेजा गया है।
हालांकि, कांग्रेस सांसद और विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष शशि थरूर को इस डिनर में आमंत्रित किया गया है। यह निमंत्रण इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि पहले भी बड़े राजनयिक आयोजनों में विपक्ष की भागीदारी को सीमित करने के आरोप लगे थे। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि “G20 डिनर” के दौरान भी इसी तरह विपक्ष के शीर्ष नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया था, जिससे परंपरा और संसदीय मर्यादा पर सवाल उठे थे।
शशि थरूर को क्यों मिला न्योता? क्या बदली है परंपरा?
देर शाम जब मीडिया ने शशि थरूर से पूछा कि उन्हें तो बुलाया गया लेकिन दोनों सदनों के नेता प्रतिपक्ष को क्यों नहीं, तो उन्होंने संयमित जवाब दिया।
थरूर ने कहा—“अतीत में ऐसे आयोजनों में संसदीय समिति के अध्यक्षों को बुलाया जाता था। यह एक पुरानी प्रथा है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में यह चलन लगभग बंद हो गया था। अब इसे फिर से शुरू किया गया है। जहां तक विपक्ष के शीर्ष नेताओं के निमंत्रण का सवाल है, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है।”
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि जब नरेंद्र मोदी सरकार ने G20 डिनर से भी विपक्ष के नेताओं को बाहर रखा था, तब भी पार्टी ने इसे ‘अलोकतांत्रिक परंपरा’ बताया था। वर्तमान मामले में भी कांग्रेस नेतृत्व स्थिति को गौर से देख रहा है।
मोदी–पुतिन की मुलाकात: 3 घंटे की वार्ता, रणनीतिक साझेदारी का नया संकेत
पुतिन के दौरे का सबसे अहम पड़ाव रहा हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उच्च स्तरीय शिखर वार्ता। लगभग तीन घंटे चली इस वार्ता में ऊर्जा, रक्षा, व्यापार, फार्मा, विज्ञान, शिक्षा, अंतरिक्ष सहयोग और वैश्विक भू-रणनीतिक समीकरणों पर विस्तृत बातचीत की गई।
संयुक्त बयान के दौरान पुतिन ने भारत–रूस संबंधों पर विशेष जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच की साझेदारी “अटूट और समय–परीक्षित” है। उन्होंने इसे “ध्रुव तारे की तरह स्थिर” बताया — एक ऐसा संदेश जिसने भारत–रूस संबंधों के दीर्घकालिक आधार को और मजबूत किया।
‘मेक इन इंडिया’ की खुलकर प्रशंसा: रूस में बन रही है भारतीय तकनीक वाली फार्मा फैक्ट्री
पुतिन ने अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री मोदी की प्रमुख पहल ‘मेक इन इंडिया’ की विशेष सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल भारत के औद्योगिक विकास का आधार बन गया है, बल्कि रूस और भारत दोनों के लिए नए सहयोग के द्वार खोल रहा है।
पुतिन ने बताया कि:
- रूस में भारत–रूस संयुक्त साझेदारी से एक बड़ी फार्मास्युटिकल फैक्ट्री स्थापित की जा रही है।
- यह संयंत्र एडवांस भारतीय तकनीक का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता की दवाइयाँ बनाएगा।
- कई रूसी कंपनियाँ भारत में ‘मेक इन इंडिया’ मॉडल के तहत औद्योगिक परियोजनाएँ स्थापित कर रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोषणा उस समय आई है जब वैश्विक भू-राजनीति में रूस पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रहा है और भारत उसके लिए एक विश्वसनीय, दीर्घकालिक साझेदार के रूप में उभरा है।
दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत तालमेल भी चर्चा में
पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने संबंधों को “पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों” बताया और कहा कि यह रिश्ता पारस्परिक सम्मान और विश्वास पर आधारित है। भारत–रूस राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे हो चुके हैं और दोनों देशों की साझेदारी कई सरकारों, राजनीतिक बदलावों और वैश्विक संकटों के बीच भी स्थिर रही है।
एक अधिकारी के अनुसार, इस बार की बैठक में:
- रक्षा सौदों पर प्रगति की समीक्षा
- ऊर्जा स्रोतों की स्थिर आपूर्ति
- आर्कटिक क्षेत्र में संभावित सहयोग
- भारत में रूस की टेक्नॉलजी ट्रांसफर परियोजनाएँ
- और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में संयुक्त भूमिका
पर विस्तृत चर्चा हुई है।
डिनर में कौन—कौन? गेस्ट लिस्ट को लेकर उत्सुकता
राष्ट्रपति भवन में होने वाले इस विशेष डिनर में शामिल हो सकते हैं:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- केंद्रीय विदेश मंत्री
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
- रक्षा, वित्त और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी
- प्रमुख राजनयिक
- रूस के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि मंडल
- और चुनिंदा सांसद, जिनमें शशि थरूर प्रमुख हैं
विपक्ष के दो शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का नाम इस सूची में न होना राजनीतिक बहस को जन्म दे रहा है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह एक “राजनयिक–कार्यात्मक आयोजन” है, जहां गेस्ट लिस्ट को प्रोटोकॉल और विषय-सापेक्षता के आधार पर तैयार किया गया है।
रूस–भारत रिश्तों में नया अध्याय
पुतिन का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक राजनीति में बड़े परिवर्तन हो रहे हैं। पश्चिम–रूस टकराव के बीच भारत की भूमिका एक संतुलित, स्वतंत्र और रणनीतिक साझेदार की रही है। भारत न तो रूस से दूरी बनाना चाहता है, न ही पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को कमजोर करना। इसीलिए यह दौरा भविष्य की भू-रणनीतिक दिशा का संकेत देता है। विशेषज्ञ कहते हैं:
- भारत रूस के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा आपूर्ति,
- रक्षा उत्पादन में संयुक्त निवेश,
- फार्मा एवं तकनीक के क्षेत्र में सहयोग,
- और वैश्विक दक्षिण (Global South) की सामूहिक आवाज़ उठाने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
पुतिन के इस दौरे में डिनर की गेस्ट लिस्ट जितनी चर्चा में रही, उससे अधिक महत्व उस संदेश का है जो दोनों देशों ने दुनिया को दिया है—कि भारत–रूस संबंध समय, परिस्थितियों और वैश्विक दबावों से परे, एक भरोसेमंद साझेदारी हैं।



