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पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के पति एवं मिजोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का निधन, 73 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

नई दिल्ली, 4 दिसंबर। भारतीय राजनीति और विधिक जगत के लिए गुरुवार का दिन एक गहरे शोक का संदेश लेकर आया। पूर्व विदेश मंत्री एवं भाजपा की वरिष्ठ नेता स्वर्गीय सुषमा स्वराज के पति, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का गुरुवार सुबह 73 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दिल्ली भाजपा ने एक औपचारिक बयान जारी कर उनके निधन की पुष्टि की, जिसके बाद देशभर से शोक संदेशों का सिलसिला शुरू हो गया।

कानून और राजनीति—दोनों क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान

स्वराज कौशल न केवल एक प्रख्यात विधिवेत्ता थे, बल्कि प्रशासनिक और संवैधानिक जिम्मेदारियों में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1990 से 1993 तक वे मिजोरम के राज्यपाल रहे। उस दौरान उन्होंने पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में सक्रिय योगदान दिया।

उनका करियर असाधारण उपलब्धियों से भरा रहा। वे देश के सबसे युवा राज्यपालों में से एक थे। इससे पहले वे सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में स्थापित थे और कई महत्वपूर्ण मामलों में उन्होंने केंद्र सरकार एवं विभिन्न संस्थानों का प्रतिनिधित्व किया। विधिक जगत में उन्हें एक तेज-तर्रार, स्पष्टवादी और सिद्धांतनिष्ठ अधिवक्ता के रूप में जाना जाता था।

सुषमा स्वराज के जीवनसाथी और राजनीति के मजबूत स्तंभ

स्वराज कौशल केवल एक सफल अधिवक्ता ही नहीं थे, बल्कि दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के जीवनसाथी और राजनीतिक सफर के विश्वासपात्र सहयोगी भी थे। सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल की जोड़ी को भारतीय राजनीति की सबसे सम्मानित, सादगीपूर्ण और प्रेरक जोड़ियों में गिना जाता था।

दोनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया, और एक-दूसरे के सार्वजनिक जीवन में मजबूत सहयोगी रहे। सुषमा स्वराज के निधन (2019) के बाद स्वराज कौशल अक्सर सोशल मीडिया पर पत्नी के प्रति भावपूर्ण अभिव्यक्तियों और स्मृतियों को साझा करते देखे गए। उनकी निधन सूचना के बाद कई लोगों ने लिखा कि “सुषमा जी के बिना वे खुद को अधूरा महसूस करते थे। अब वे अपने जीवनसाथी से फिर जा मिले।”

दिल्ली भाजपा ने जताया शोक

दिल्ली भाजपा ने गुरुवार दोपहर एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। बयान में कहा गया:

“वरिष्ठ अधिवक्ता, मिजोरम के पूर्व राज्यपाल और भाजपा परिवार के सम्मानित सदस्य स्वराज कौशल जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। हम दिवंगत आत्मा की शांति और परिवार को इस दुख की घड़ी में शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं।”

पार्टी नेताओं, अधिवक्ताओं और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने निधन की सूचना के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धांजलि दी।

राजनीतिक जगत में शोक की लहर

पूर्व राज्यपाल, वरिष्ठ अधिवक्ता और एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक व्यक्तित्व के रूप में स्वराज कौशल के निधन ने राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ा दी। कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें असाधारण व्यक्तित्व बताया।

कुछ नेताओं ने कहा कि “स्वराज कौशल भारत के उन बुद्धिजीवी नेताओं में थे, जिन्होंने कभी भी सत्ता के लिए सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनका आचरण, भाषण और व्यवहार—तीनों में एक गरिमा झलकती थी।”

मिजोरम में शांति प्रक्रिया के महत्वपूर्ण घटक

राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल को मिजोरम की शांति प्रक्रिया से भी जोड़ा जाता है। यह वह दौर था जब पूर्वोत्तर में अस्थिरता बढ़ रही थी। लेकिन स्वराज कौशल ने प्रदेश प्रशासन और स्थानीय नेतृत्व के साथ लगातार संवाद बनाए रखा। उनकी संवेदनशीलता और समझदारी के कारण कई विवाद टले और कई महत्वपूर्ण कार्य पूरे हुए।

मिजोरम के कई पूर्व अधिकारियों ने उनके निधन के बाद लिखा कि:

“वे मिजोरम को केवल एक पदस्थ राज्यपाल की तरह नहीं देखते थे, बल्कि राज्य की संस्कृति, समुदाय और जरूरतों को समझने वाले एक संवेदनशील प्रशासक थे।”

विधिक जगत में उनकी एक विशिष्ट पहचान

कानून के क्षेत्र में स्वराज कौशल की प्रतिष्ठा बेहद ऊंची थी। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में पक्ष रखा। वे संवैधानिक कानून, दंड प्रक्रिया संहिता, और प्रशासनिक कानून के गहन जानकार थे। उनके जूनियर अधिवक्ताओं का कहना था कि वे “कठोर अनुशासन और गहरी मानवीय संवेदना” का अनूठा मेल थे।

व्यक्तिगत जीवन: बिना दिखावे की एक गहरी सादगी

सार्वजनिक जीवन में उच्च पदों पर रहने के बावजूद उनकी जीवनशैली बेहद सादगीपूर्ण थी। वे बड़े-बड़े मंचों पर बिना औपचारिकता के खुलकर बोलते थे। सुषमा स्वराज के निधन के बाद उन्होंने अपनी बेटी बांसुरी स्वराज के साथ शांत जीवन जिया।

सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति बेहद लोकप्रिय थी। वे अपनी पत्नी की स्मृतियों, परिवार के अनुभवों और सामाजिक मुद्दों पर विचार अक्सर साझा करते थे। उनकी लेखन शैली संतुलित, संवेदनशील और बेहद प्रभावी मानी जाती थी।

अंतिम विदाई की तैयारी, देश भर से श्रद्धांजलि

उनके निधन के बाद दिल्ली स्थित निवास पर श्रद्धांजलि देने वालों का सिलसिला शुरू हो गया है। केंद्र सरकार के कई मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी और शीर्ष अधिवक्ता परिवार से मिलने पहुंचे।

अंतिम संस्कार की तैयारी से संबंधित औपचारिक जानकारी जल्द जारी किए जाने की संभावना है।

एक ऐसी शख्सियत, जिसकी कमी लंबे समय महसूस होगी

स्वराज कौशल भारतीय न्यायपालिका, राजनीति और प्रशासन—तीनों क्षेत्रों में एक विशिष्ट स्थान रखते थे। सुषमा स्वराज के निधन के बाद वे अक्सर कहते थे कि “उनका जीवन अब सार्वजनिक नहीं रहा, बल्कि निजी अध्याय बन गया है।” लेकिन उनका योगदान, व्यक्तित्व और विरासत सार्वजनिक स्मृति में हमेशा बने रहेंगे।

उनके निधन पर देश ने न केवल एक वरिष्ठ अधिवक्ता, बल्कि एक सादगीपूर्ण, संवेदनशील और सिद्धांतों पर चलने वाले सच्चे जनसेवक को खो दिया है।

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