
नई दिल्ली, 02 दिसंबर 2025: डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाने और मोबाइल फ्रॉड पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए सभी नए मोबाइल हैंडसेट में ‘संचार साथी ऐप’ को पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य कर दिया है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने सोमवार को इस संबंध में आधिकारिक निर्देश जारी किए और सभी मोबाइल निर्माताओं व आयातकों को स्पष्ट रूप से कहा कि 90 दिनों के भीतर यह व्यवस्था देशभर में लागू करनी होगी।
सरकार ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब देश में मोबाइल फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी, नकली आईएमईआई वाले फोन और मोबाइल चोरी का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। नए निर्देशों के अनुसार, यदि कोई निर्माता या आयातक दूरसंचार अधिनियम 2023 और टेलीकॉम साइबर सुरक्षा नियम 2024 की अवहेलना करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है संचार साथी ऐप?
संचार साथी ऐप भारत सरकार द्वारा 2023 में लॉन्च किया गया एक अत्याधुनिक डिजिटल सुरक्षा प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य मोबाइल चोरी, फर्जी कॉल, जालसाजी और साइबर ठगी जैसी घटनाओं को रोकना है। यह ऐप नागरिकों को कई महत्वपूर्ण डिजिटल सुरक्षा सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है।
ऐप की प्रमुख विशेषताएं:
- खोए और चोरी हुए मोबाइल की रिपोर्टिंग
- यूज़र ऐप के जरिए बिना IMEI नंबर याद रखे फोन की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- मोबाइल ब्लॉक करवाना और लोकेशन ट्रेस कराना बेहद आसान हो जाता है।
- IMEI और हैंडसेट की असलियत जांचने की सुविधा
- ऐप यह पता लगाता है कि मोबाइल ओरिजिनल है या नकली।
- नकली IMEI वाले फोन साइबर सुरक्षा के बड़े खतरे माने जाते हैं।
- स्पैम, संदिग्ध कॉल/मैसेज और वेब लिंक की रिपोर्टिंग
- यूज़र संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कॉल की रिपोर्ट बिना OTP के कर सकते हैं।
- बैंक या वित्तीय संस्थानों के विश्वसनीय नंबरों की प्रमाणिकता भी जांच सकते हैं।
- यूज़र के नाम पर जारी मोबाइल कनेक्शनों की संख्या की जानकारी
- यदि किसी व्यक्ति के नाम पर किसी ने फर्जी तरीके से सिम निकाली हो, तो इसका पता लगाया जा सकता है।
सरकार के अनुसार, इस ऐप की तकनीक इतनी विकसित है कि यह मोबाइल की पहचान अपने आप पकड़ लेता है और कई प्रक्रियाओं में OTP या मैनुअल इनपुट की जरूरत नहीं पड़ती।
कड़ाई क्यों?—सरकार का तर्क
सरकार ने साफ कहा है कि डुप्लीकेट IMEI और नकली मोबाइल टेलीकॉम साइबर सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। फर्जी मोबाइलों का उपयोग:
- आर्थिक धोखाधड़ी
- साइबर अपराध
- अंतरराष्ट्रीय कॉल स्पूफिंग
- नकली पहचान बनाने
- आतंकवाद और अवैध गतिविधियों
जैसी परिस्थितियों में अक्सर पाया गया है।
इसलिए सरकार चाहती है कि हर मोबाइल यूज़र के पास एक ऐसा टूल हो जो डिजिटल सुरक्षा से जुड़े खतरों को तुरंत पकड़ सके और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल व तेज बनाये।
संचार साथी ऐप अब तक कितने लोगों की मदद कर चुका है?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, संचार साथी ऐप ने पिछले दो वर्षों में:
- 42 लाख से अधिक मोबाइल फोन ब्लॉक करवाए
- 26 लाख से अधिक चोरी/खोए मोबाइल का पता लगाया
- 1.14 करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन दर्ज किए
- गूगल प्ले स्टोर: 1 करोड़ से अधिक डाउनलोड
- एप्पल स्टोर: 9.5 लाख से अधिक डाउनलोड
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि यह ऐप देशभर में तेजी से लोकप्रिय हुआ है और मोबाइल सुरक्षा के क्षेत्र में इसकी भूमिका लगातार मजबूत होती जा रही है।
निर्माता कंपनियों के लिए अनिवार्य नियम:
DoT की नई गाइडलाइन में मोबाइल कंपनियों के लिए कुछ बेहद महत्वपूर्ण शर्तें जोड़ी गई हैं:
1. 90 दिनों के भीतर इंस्टॉलेशन अनिवार्य
सभी नए मोबाइल फोन—चाहे वे भारत में बनाए गए हों या विदेश से आयात—में संचार साथी ऐप पहले से मौजूद होना चाहिए।
2. ऐप फोन सेटअप के समय दिखाई दे
मोबाइल की पहली सेटिंग के दौरान ही यह ऐप यूज़र को दिखना चाहिए ताकि वह इसकी सुविधाओं का तुरंत उपयोग कर सके।
3. ऐप को हटाया या अनइंस्टॉल नहीं किया जा सके
सरकार ने स्पष्ट किया है कि संचार साथी ऐप को हटाने की अनुमति नहीं होगी ताकि सुरक्षा सुनिश्चित रहे।
4. नियम न मानने पर सख्त दंड
जो कंपनियां नियमों को नहीं मानेंगी, उनके खिलाफ:
- दूरसंचार अधिनियम
- साइबर सुरक्षा नियम
- लाइसेंसिंग प्रावधान
के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
क्या बदल जाएगा यूज़र्स के लिए?
मोबाइल यूज़र्स को अब मिलने जा रहे हैं कई फायदे:
- चोरी या खोए मोबाइल को ब्लॉक करना बेहद आसान
- नकली फोन और फर्जी IMEI की तुरंत पहचान
- साइबर फ्रॉड का जोखिम कम
- संदिग्ध कॉल/मैसेज की तुरंत शिकायत
- डिजिटल सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत
विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को देखते हुए यह ऐप नागरिकों को एक मजबूत रक्षा कवच देगा।
क्या उठ रहा है निजता का सवाल?
जहां सरकार इस ऐप को साइबर सुरक्षा का अहम साधन बता रही है, वहीं विपक्ष और डिजिटल राइट्स ग्रुप्स निजता से जुड़े सवाल उठा चुके हैं। हालांकि दूरसंचार विभाग ने कहा है कि ऐप यूज़र की निजी चैट, कॉल रिकॉर्ड या पर्सनल डेटा तक पहुंच नहीं रखता, बल्कि केवल सुरक्षा संबंधी फंक्शन पर काम करता है। फिर भी आने वाले समय में इस पर राजनीतिक बहस बढ़ने की संभावना है।
निष्कर्ष
‘संचार साथी ऐप’ को अनिवार्य बनाना भारत की डिजिटल सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। यह कदम मोबाइल चोरी, साइबर फ्रॉड और नकली हैंडसेट के कारोबार पर गहरी चोट करेगा। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है—साइबर सुरक्षा को मजबूत करना और हर मोबाइल यूज़र को डिजिटल खतरों के प्रति सशक्त बनाना।



