
बेलेम (ब्राज़ील): संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी30 में भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को चीन, क्यूबा, जर्मनी और डेनमार्क के वरिष्ठ मंत्रियों से अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकों में बातचीत की। इन मुलाकातों में जलवायु लक्ष्यों, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, वित्तीय सहायता, तकनीकी हस्तांतरण और विकासशील देशों की साझा चिंताओं पर विस्तार से चर्चा हुई।
सीओपी30 के दौरान यादव की यह श्रृंखलाबद्ध बैठकें भारत की उस सक्रिय कूटनीतिक रणनीति को दर्शाती हैं, जिसके तहत देश वैश्विक जलवायु एजेंडा को न केवल आगे बढ़ाना चाहता है, बल्कि जलवायु न्याय, पारदर्शिता और समानता के लिए भी मजबूत आधार तैयार करना चाहता है।
चीन के विशेष दूत से वैश्विक जलवायु ढांचे पर चर्चा
भूपेंद्र यादव की चीन के विशेष जलवायु दूत लियू झेनमिन से मुलाकात सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक रही। दोनों नेताओं ने वर्तमान सम्मेलन के प्रमुख मुद्दों—जैसे कार्बन उत्सर्जन में कटौती की रणनीति, ग्रीन टेक्नोलॉजी में सहयोग, तथा विकासशील देशों की विशेष आवश्यकताओं—पर विचार-विमर्श किया।
भारत और चीन दोनों ही विकासशील देशों के बड़े समूह जी-77+चीन के महत्वपूर्ण सदस्य हैं, ऐसे में उनकी यह बातचीत सम्मेलन के अंतिम दस्तावेज़ के दिशा-निर्धारण में अहम भूमिका निभा सकती है।
क्यूबा, जर्मनी और डेनमार्क के साथ भी हुई महत्वपूर्ण वार्ता
यादव ने क्यूबा के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में छोटे द्वीपीय देशों पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते ख़तरों और ‘लॉस एंड डैमेज फंड’ की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं जर्मनी और डेनमार्क के मंत्रियों के साथ हुई चर्चाओं में ऊर्जा परिवर्तन (Energy Transition), ग्रीन हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा निवेश और डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
यूरोपीय देशों के साथ यह संवाद महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे वैश्विक जलवायु वित्त और तकनीकी सहयोग में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भारत ने इन मुलाकातों के दौरान दोहराया कि विकसित देशों को अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करना आवश्यक है।
भारत ने दोहराया: जलवायु न्याय और समानता हो प्रमुख आधार
सीओपी30 में भारत लगातार यह मुद्दा उठा रहा है कि जलवायु परिवर्तन का बोझ सभी देशों पर समान रूप से नहीं पड़ता। भूपेंद्र यादव ने सभी द्विपक्षीय बैठकों में यह जोर देकर कहा कि विकासशील देशों के लिए न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण और सुलभ वित्तीय सहायता सुनिश्चित होना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों—जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाना, कार्बन इंटेंसिटी कम करना और नेट-जीरो लक्ष्य की दिशा में काम करना—को लेकर प्रतिबद्ध है।



