
न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन। ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन के कार्यकारी उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटे एरिक ट्रंप ने न्यूयॉर्क शहर के नवनिर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी पर तीखा हमला बोला है। एरिक ट्रंप ने ‘फॉक्स न्यूज’ से बातचीत में आरोप लगाया कि ममदानी “यहूदी” और “भारतीय” समुदायों से नफरत करते हैं और उन्हें शहर के बुनियादी नागरिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
एरिक ट्रंप के इस बयान ने अमेरिका की स्थानीय राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है, क्योंकि ममदानी न्यूयॉर्क की राजनीति में प्रगतिशील और अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले युवा नेताओं में गिने जाते हैं।
फॉक्स न्यूज इंटरव्यू में एरिक ट्रंप का दावा
इंटरव्यू के दौरान एरिक ट्रंप ने आरोप लगाया कि—
“ममदानी न केवल यहूदी समुदाय से नफरत करते हैं, बल्कि भारतीय आबादी से भी नफरत करते हैं। उन्हें शहर की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, न कि विभाजनकारी राजनीति पर।”
एरिक ट्रंप ने कहा कि न्यूयॉर्क जैसे वैश्विक और बहुसांस्कृतिक शहर में मेयर की भूमिका लोगों को जोड़ने की होनी चाहिए, न कि समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की।
हालांकि, ममदानी की ओर से इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है।
जोहरान ममदानी कौन हैं?
जोहरान ममदानी एक प्रगतिशील डेमोक्रेट नेता हैं, जिनकी जड़ें भारतीय-अफ्रीकी मूल से जुड़ी हैं। वे इमिग्रेशन, सामाजिक न्याय, सार्वजनिक आवास और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय के लिए जाने जाते हैं।
ममदानी को न्यूयॉर्क के विविध समुदायों, विशेष रूप से प्रवासी और श्रमिक वर्ग से व्यापक समर्थन मिला है।
ममदानी की नीतियों को लेकर ध्रुवीकरण
ममदानी कई बार इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर अपनी राय को लेकर भी अमेरिकी राजनीति में विवादों के केंद्र में रहे हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, एरिक ट्रंप के आरोप इसी पृष्ठभूमि से जुड़े हो सकते हैं।
हालांकि ममदानी के समर्थकों का कहना है कि वे किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के मुद्दों पर दृढ़ता से बोलते हैं।
राजनीतिक टकराव का नया दौर
ट्रंप परिवार और प्रगतिशील डेमोक्रेट नेताओं के बीच पहले भी तीखी बयानबाजी होती रही है। एरिक ट्रंप की यह टिप्पणी आने वाले समय में न्यूयॉर्क की स्थानीय राजनीति, विशेषकर सिटी हॉल और काउंसिल के बीच संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2026 में होने वाले अमेरिकी चुनावों के मद्देनज़र, ऐसे बयानों के जरिए रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों अपने-अपने राजनीतिक आधार को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।



