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बिहार विधानसभा चुनाव: विजयी उम्मीदवारों को 60,000 से लेकर 1.5 लाख तक वोट मिले, निर्वाचन आयोग ने दी जानकारी

विपक्ष के आरोपों के बीच आयोग ने आंकड़े जारी किए, कहा—वोटों में व्यापक विविधता स्वाभाविक

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जारी बहस के बीच निर्वाचन आयोग (ईसी) ने बुधवार को स्पष्ट किया कि हाल ही में हुए चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के विजयी उम्मीदवारों को 60 हजार से लेकर 1.5 लाख तक वोट मिले हैं। आयोग ने यह जानकारी ऐसे समय में साझा की है, जब कुछ राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष उम्मीदवारों को कथित रूप से “एक जैसे”—लगभग 1.22 लाख वोट मिलने का आरोप लगा रहे हैं।

निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, बिहार जैसे बड़े और जनसंख्या घनत्व वाले राज्य में विधानसभा सीटों की जनसांख्यिकी, क्षेत्रफल, मतदाता संख्या और मतदान प्रतिशत हर निर्वाचन क्षेत्र में अलग-अलग है। ऐसे में विजयी उम्मीदवारों के वोटों में व्यापक अंतर आना स्वाभाविक है। आयोग ने कहा कि 60,000 से लेकर 1.5 लाख तक का वोट शेयर कई कारकों के अनुसार बदलता है—जैसे स्थानीय मुद्दे, उम्मीदवार की लोकप्रियता, दल का आधार, मतदान प्रतिशत और चुनावी मुकाबले की प्रतिस्पर्धा।

आयोग ने यह स्पष्ट किया कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता संख्या 2.5 लाख से अधिक है, जबकि कुछ छोटे क्षेत्रों में यह संख्या अपेक्षाकृत कम है। इस भिन्नता के कारण वोटों का अंतर बढ़ा हुआ दिखाई दे सकता है। ईसी अधिकारियों ने कहा कि “1.22 लाख वोट” जैसी संख्या किसी भी बड़े राज्य के चुनाव में असामान्य नहीं है, क्योंकि कई सीटों पर औसत मतदान 50–70 प्रतिशत के बीच रहता है। ऐसे में लगभग एक लाख या उससे अधिक वोट प्राप्त करना एक सामान्य चुनावी पैटर्न का हिस्सा है।

यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब कुछ विपक्षी दल सोशल मीडिया और प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के माध्यम से यह आरोप लगा रहे थे कि भाजपा के कई प्रमुख उम्मीदवारों को लगभग बराबर संख्या में वोट मिले हैं, जो “संदेह पैदा करता है।” हालांकि निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को तथ्यों के विपरीत बताया और कहा कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी एवं तकनीकी निगरानी के साथ संपन्न की जाती है। आयोग ने दोहराया कि सभी ईवीएम, वीवीपैट और गिनती प्रक्रिया कड़े प्रोटोकॉल, सीसीटीवी निगरानी और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ही पूरी की जाती है।

अधिकारियों ने यह भी बताया कि बिहार के कई निर्वाचन क्षेत्रों में त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबले हुए, जिसके कारण वोटों का विभाजन व्यापक रहा। इस वजह से कई सीटों पर विजयी उम्मीदवारों को 60 से 80 हजार के बीच वोट मिले, जबकि कुछ उच्च जनसंख्या वाले शहरी-ग्रामीण मिश्रित क्षेत्रों में विजेताओं को 1 लाख से अधिक वोट हासिल हुए।

चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, बिहार का चुनावी भूगोल हमेशा से विविध रहा है—उत्तर बिहार, मगध, सीमांचल और दक्षिण बिहार की राजनीतिक प्राथमिकताएँ, जातिगत समीकरण, सामाजिक संरचना और प्रत्याशी चयन हर क्षेत्र में चुनाव परिणामों को अलग-अलग ढंग से प्रभावित करते हैं। इसी कारण वोटों की संख्या में अंतर काफी सामान्य है।

निर्वाचन आयोग ने सभी दलों से अपील की है कि वे असत्यापित दावों और भ्रामक सूचनाओं के प्रसार से बचें, क्योंकि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संस्थानों पर अनावश्यक अविश्वास पैदा होता है। आयोग ने कहा कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार यदि किसी विसंगति का दावा करता है, तो वह उपलब्ध कानूनी प्रक्रिया के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है, जिसे आयोग तकनीकी परीक्षण और प्रोटोकॉल के साथ जांचता है।

आयोग के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हुए हैं। इसमें ईवीएम एवं वीवीपैट के उपयोग से लेकर सुरक्षा व्यवस्थाओं और गिनती प्रक्रिया तक सभी चरणों में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी सुनिश्चित की गई थी। आयोग ने दोहराया कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर संदेह बनाने वाले आरोपों को तथ्यों के साथ देखा जाना चाहिए, न कि अनुमानों के आधार पर।

यह पूरा विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब राज्य के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों के अंतर को लेकर राजनीतिक जुबानी जंग तेज हो गई है। हालांकि आयोग के नवीनतम स्पष्टीकरण के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि वोटों की संख्या में विविधता चुनावी प्रक्रिया की सामान्य विशेषता है और इससे किसी प्रकार की अनियमितता का संकेत नहीं मिलता।

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