
नयी दिल्ली, 14 नवंबर। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की 135वीं जयंती पर देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी गुरुवार सुबह सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उन्हें याद करते हुए लिखा—
“पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।”
प्रधानमंत्री का यह संदेश बेहद संक्षिप्त, मगर औपचारिक रूप से राष्ट्रीय परंपरा का सम्मान करने वाला रहा, जिसके बाद यह पोस्ट कुछ ही घंटों में लाखों लोगों द्वारा साझा और देखा गया। नेहरू की जयंती को देश में बाल दिवस के रूप में मनाए जाने के कारण आज देशभर के स्कूलों, शैक्षणिक संस्थानों और बाल कल्याण संगठनों में विशेष कार्यक्रम आयोजित हुए।
नेहरू की विरासत और जयंती पर राष्ट्रीय संवाद
जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और 17 वर्षों तक उन्होंने देश का नेतृत्व किया। नवोन्मेषी सोच, आधुनिक संस्थानों की स्थापना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और लोकतांत्रिक संरचना को मजबूत करने में उनका योगदान विशेषज्ञों के बीच आज भी व्यापक चर्चा का विषय है।
उनकी जयंती पर देशभर में कई प्रमुख नेताओं, मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों ने भी श्रद्धांजलि संदेश जारी किए। कांग्रेस सहित कई दलों ने इस दिन को नेहरू की वैचारिक और ऐतिहासिक भूमिका के संदर्भ में याद किया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर पार्टी सांसद राहुल गांधी तक, कई नेताओं ने नेहरू की राजनीतिक यात्रा और राष्ट्र-निर्माण में उनके योगदान को रेखांकित किया। वहीं, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में नेहरू की वैज्ञानिक दृष्टि को केंद्र में रखकर सेमिनार, व्याख्यान और प्रदर्शनियां आयोजित की गईं।
बाल दिवस के रूप में नेहरू जयंती — कैसे बनी राष्ट्रीय परंपरा
14 नवंबर को भारत में आधिकारिक रूप से बाल दिवस के रूप में 1964 में मान्यता दी गई थी। पंडित नेहरू बच्चों से विशेष स्नेह रखते थे और उन्हें राष्ट्र का भविष्य मानते थे। उनकी मृत्यु के बाद संसद ने उनकी जयंती को राष्ट्रीय बाल दिवस घोषित करते हुए इस परंपरा को स्थापित किया।
आज भी स्कूलों में इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिताएं, विज्ञान प्रदर्शनी, बाल मंच, कविता पाठ, चित्रकला, निबंध लेखन और बाल संसद जैसे कार्यक्रम बड़ी संख्या में आयोजित होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि पर राजनीतिक प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई इस श्रद्धांजलि को राजनीति की संवेदनशील पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है। कई विश्लेषकों का मानना है कि नेहरू की विरासत को लेकर जारी राजनीतिक विमर्श के बीच मोदी का संदेश राजनीतिक शुचिता और संवैधानिक परंपराओं के प्रति सम्मान के रूप में देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर कई उपयोगकर्ताओं ने मोदी के इस संदेश को सराहा, वहीं विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने इसे ‘औपचारिकता’ भर बताया। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रीय नेताओं की जयंती पर राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर श्रद्धांजलि देना लोकतांत्रिक संस्कृति की मजबूती का संकेत है।
देशभर में बाल दिवस कार्यक्रम—बच्चों के अधिकार और कल्याण पर फोकस
नेहरू की जयंती के साथ ही देशभर में बाल अधिकारों पर आधारित कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस अवसर पर बच्चों की सुरक्षा, ऑनलाइन जोखिम और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष कार्यशालाएं आयोजित कीं।
- कई राज्यों की बाल संरक्षण इकाइयों ने बाल श्रम, बाल विवाह और दुरुपयोग के खिलाफ अभियान चलाया।
- स्कूलों में शिक्षकों ने वातावरण को उत्सव जैसा बनाते हुए छात्रों के लिए मनोरंजक गतिविधियाँ आयोजित कीं।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा भी किशोर स्वास्थ्य जागरूकता से जुड़े कई कार्यक्रम आज आयोजित किए गए। विभिन्न NGOs ने गरीब बस्तियों में बच्चों के लिए सांस्कृतिक और खेल कार्यक्रमों के साथ-साथ शैक्षणिक सामग्री वितरित की।
नेहरू की ऐतिहासिक भूमिका पर विशेषज्ञों की राय
इतिहासकारों का कहना है कि नेहरू का भारत के राजनीतिक और वैचारिक ढांचे पर गहरा प्रभाव रहा है।
- उन्होंने तकनीकी संस्थानों, वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों, भारी उद्योगों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की मजबूत नींव रखी।
- पंचवर्षीय योजनाओं की अवधारणा, गुटनिरपेक्ष आंदोलन में नेतृत्व और लोकतांत्रिक संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण में उनकी भूमिका आज भी चर्चा में रहती है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), IITs, AIIMS जैसे संस्थानों की स्थापना भी आधुनिक भारत के विकास मॉडल का हिस्सा बनी।
नई पीढ़ी के लिए नेहरू जयंती का महत्व
आज के बच्चों के लिए यह दिन केवल नेहरू की जयंती भर नहीं है, बल्कि यह उनकी सोच—
“बच्चे आज का भी और कल का भी भारत हैं”—
का स्मरण है।
जिन मूल्यों पर नेहरू जोर देते थे, वे आज और भी महत्वपूर्ण हैं:
- शिक्षा की समानता
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- लोकतंत्र के प्रति विश्वास
- विविधता में एकता
- बच्चों की सुरक्षा और मानवाधिकार
इन विषयों को लेकर आज देशभर में आयोजित कार्यक्रमों में छात्रों को जागरूक किया गया।
नेहरू की जयंती देश के राजनीतिक इतिहास, लोकतांत्रिक मूल्यों और बच्चों के प्रति राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का एक सम्मिलित प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि इस बात की याद दिलाती है कि राष्ट्र-निर्माण में योगदान देने वाले नेताओं का सम्मान राजनीति से परे है।
बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों ने यह स्पष्ट किया कि भारत आज भी बच्चों को राष्ट्र की प्राथमिकता मानता है और उनके भविष्य को सुरक्षित, शिक्षित और समृद्ध बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है।



