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नाबार्ड उत्तराखंड में सतर्कता जागरूकता सप्ताह: ईमानदारी, पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने का संकल्प

देहरादून, 31 अक्टूबर: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के उत्तराखंड क्षेत्रीय कार्यालय, देहरादून में 26 अक्टूबर से 2 नवंबर 2025 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। यह सप्ताह देशभर में चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कार्यस्थल पर ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना को मजबूत करना है।

इस वर्ष इस अभियान का थीम “सतर्क भारत, समृद्ध भारत” रखा गया है, जो यह संदेश देता है कि भ्रष्टाचारमुक्त, पारदर्शी और जवाबदेह शासन ही सशक्त राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है।


सरदार पटेल जयंती पर वॉकाथॉन का आयोजन

भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में, नाबार्ड उत्तराखंड क्षेत्रीय कार्यालय ने 31 अक्टूबर को देहरादून के आईटी पार्क परिसर में अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक विशेष वॉकाथॉन (Walkathon) का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम का नेतृत्व नाबार्ड उत्तराखंड के महाप्रबंधक एवं प्रभारी अधिकारी श्री शशि कुमार ने किया। उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि “सतर्कता केवल एक सप्ताह मनाने की परंपरा नहीं, बल्कि यह हर कर्मचारी के आचरण और कार्य संस्कृति का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।”

“एक जिम्मेदार संस्था के रूप में नाबार्ड का दायित्व केवल वित्तीय विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुशासन, नैतिकता और जवाबदेही को भी बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है,”
शशि कुमार, महाप्रबंधक, नाबार्ड उत्तराखंड


नैतिकता और पारदर्शिता के मूल्यों पर विशेष बल

श्री कुमार ने कहा कि संगठन में पारदर्शी कार्यप्रणाली और नैतिक मूल्यों की स्थापना से न केवल संस्थागत विश्वसनीयता बढ़ती है, बल्कि यह समाज में एक आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।
उन्होंने कर्मचारियों से आह्वान किया कि वे सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अवसर पर आत्ममंथन करें और यह सुनिश्चित करें कि हर कार्य में नैतिकता, निष्ठा और निष्पक्षता का पालन हो।

नाबार्ड ने अपने कार्यालय परिसर में “इंटीग्रिटी प्लेज (Integrity Pledge)” के माध्यम से कर्मचारियों से ईमानदारी एवं निष्ठा की शपथ भी दिलाई।


राज्यभर में जागरूकता कार्यक्रम

नाबार्ड के राज्यस्तरीय अभियान के तहत उत्तराखंड के सभी जिलों में स्थित उसके जिला विकास प्रबंधक (District Development Managers – DDMs) के माध्यम से विभिन्न जन-जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं।

इन कार्यक्रमों में स्थानीय समुदायों, स्वयं सहायता समूहों (SHGs), किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), बैंक प्रतिनिधियों और ग्रामीण हितधारकों की सक्रिय भागीदारी रही।
जागरूकता कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार से बचाव, पारदर्शी वित्तीय लेनदेन, डिजिटल भुगतान की सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।

नाबार्ड अधिकारियों ने प्रतिभागियों को यह संदेश दिया कि सतर्कता केवल सरकारी कार्यालयों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह किसी भी भ्रष्टाचार या अनैतिक व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाए।


संगठनात्मक पारदर्शिता के लिए नाबार्ड की पहल

नाबार्ड उत्तराखंड कार्यालय ने सतर्कता सप्ताह के दौरान कई नवोन्मेषी पहलें की हैं, जिनका उद्देश्य कर्मचारियों और हितधारकों में जागरूकता बढ़ाना है। इनमें शामिल हैं —

  • ऑनलाइन क्विज़ प्रतियोगिता: जिसमें कर्मचारियों ने सतर्कता से जुड़े कानूनों, नीतियों और नैतिक मूल्यों पर अपनी जानकारी परखी।
  • सुझाव पेटी अभियान: जिसके माध्यम से कर्मचारियों को संगठन में पारदर्शिता बढ़ाने के सुझाव देने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
  • पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता: “ईमानदारी हमारी पहचान” और “नैतिकता से विकास” जैसे संदेशों पर केंद्रित रचनात्मक प्रदर्शनी लगाई गई।
  • डिजिटल पारदर्शिता सत्र: जिसमें ई-ऑफिस, डिजिटल पेमेंट सिस्टम और ऑनलाइन ऑडिट तंत्र की पारदर्शिता पर चर्चा की गई।

सतर्कता को व्यवहार का हिस्सा बनाना जरूरी: नाबार्ड

नाबार्ड अधिकारियों ने कहा कि संस्था के लिए सतर्कता केवल निगरानी का विषय नहीं, बल्कि यह संगठन के भीतर सकारात्मक नैतिक संस्कृति विकसित करने का माध्यम है।
संगठन ने इस अवसर पर “Preventive Vigilance as a Tool of Good Governance” विषय पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया, जिसमें विशेषज्ञों ने भ्रष्टाचार निवारण, शिकायत निवारण प्रणाली और प्रशासनिक सुधारों पर विचार रखे।

“यदि हम व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर पारदर्शिता अपनाएं, तो सुशासन अपने आप सशक्त हो जाएगा। सतर्कता का उद्देश्य डर पैदा करना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करना है,”
एक वरिष्ठ नाबार्ड अधिकारी ने कहा।


ईमानदारी की संस्कृति के प्रति नाबार्ड की प्रतिबद्धता

नाबार्ड उत्तराखंड कार्यालय ने स्पष्ट किया कि संस्था अपनी सभी परियोजनाओं, ऋण कार्यक्रमों और वित्तीय सहायता योजनाओं में पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
वित्तीय सहायता के साथ-साथ सामाजिक चेतना और ईमानदार प्रशासनिक ढांचे की स्थापना नाबार्ड के मूल उद्देश्यों में शामिल है।

संस्था का मानना है कि विकास तभी टिकाऊ हो सकता है जब वह नैतिक मूल्यों पर आधारित हो। इसी उद्देश्य से, नाबार्ड समय-समय पर कर्मचारियों और हितधारकों के लिए प्रशिक्षण, कार्यशालाएँ और जनसंपर्क गतिविधियाँ आयोजित करता है।


सरदार पटेल की प्रेरणा से ‘एकता और ईमानदारी’ का संदेश

सतर्कता जागरूकता सप्ताह की शुरुआत सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर होना नाबार्ड के लिए प्रतीकात्मक है।
मुख्यालय द्वारा जारी संदेश में कहा गया कि “सरदार पटेल ने जिस ईमानदारी, दृढ़ता और देशभक्ति के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया, वह आज भी सुशासन और नैतिकता के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है।”

नाबार्ड ने इस अवसर पर कहा कि उसकी सभी विकास नीतियाँ और वित्तीय योजनाएँ “ईमानदार शासन और समावेशी विकास” की भावना पर आधारित हैं।


जनभागीदारी से ही बनेगा सतर्क भारत

नाबार्ड अधिकारियों ने कहा कि “सतर्क भारत” का लक्ष्य केवल सरकारी विभागों या बैंकों तक सीमित नहीं रह सकता। इसके लिए नागरिक समाज, युवाओं, और ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। संस्था ने नागरिकों से अपील की कि वे किसी भी अनियमितता या भ्रष्टाचार की स्थिति में तत्काल रिपोर्ट करें और पारदर्शिता के पक्षधर बनें।


संपूर्ण सप्ताह विविध आयोजनों से होगा संपन्न

सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत आने वाले दिनों में नाबार्ड उत्तराखंड कार्यालय निबंध प्रतियोगिता, पैनल चर्चा, फिल्म प्रदर्शन, और ‘नैतिकता आधारित नेतृत्व’ पर इंटरएक्टिव सत्र आयोजित करेगा। समापन दिवस पर उत्कृष्ट योगदान देने वाले कर्मचारियों और जिला कार्यालयों को सम्मानित भी किया जाएगा।

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