
देहरादून, 28 अक्टूबर 2025: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में दीपावली की रात एक मामूली विवाद बड़े प्रशासनिक एक्शन में बदल गया, जब एटीएस कॉलोनी में पटाखा जलाने को लेकर दो पक्षों के बीच कहासुनी के दौरान एक व्यक्ति ने लाइसेंसी शस्त्र लहराया। घटना के बाद जिलाधिकारी सविन बंसल ने तुरंत संज्ञान लेते हुए आरोपी पुनीत अग्रवाल का शस्त्र जब्त कर उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया। साथ ही, लाइसेंस निरस्तीकरण की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है।
यह घटना रायपुर थाना क्षेत्र के एटीएस कॉलोनी की है, जहाँ 19 अक्टूबर को दीपावली के दिन शाम के समय दो परिवारों के बीच पटाखा जलाने को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि एक पक्ष के व्यक्ति ने तैश में आकर अपना लाइसेंसी शस्त्र बाहर निकाल लिया और उसे लहराया।
डीएम का सख्त रुख: “कानून से खिलवाड़ मंजूर नहीं”
जिलाधिकारी सविन बंसल ने मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए कहा कि किसी भी हाल में कानून से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा,
“जिले में किसी भी व्यक्ति को कानून से ऊपर नहीं समझा जाएगा। यदि किसी के पास लाइसेंस है, तो यह उसकी जिम्मेदारी भी है कि वह उसका दुरुपयोग न करे। मामूली विवाद में शस्त्र का प्रदर्शन अस्वीकार्य है और भविष्य में दुरुपयोग की संभावना होने पर प्रशासन सख्त कदम उठाएगा।”
डीएम ने बताया कि शस्त्र जब्त कर लिया गया है और मामले में लाइसेंस निरस्तीकरण की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है। इसके अलावा, घटना में शामिल दोनों पक्षों को तलब किया गया है, ताकि मामले की विस्तृत जांच कर अंतिम निर्णय लिया जा सके।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई
घटना पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि 19 अक्टूबर को थाना रायपुर के अंतर्गत एटीएस कॉलोनी में हुए इस विवाद के बाद दोनों पक्षों का धारा 126/135 बीएनएसएस के तहत चालान न्यायालय को प्रेषित किया गया था।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि पुनीत अग्रवाल पुत्र मदन मोहन अग्रवाल, निवासी 144-एल, एटीएस कॉलोनी, निकट आईटी पार्क, देहरादून ने मामूली विवाद के दौरान अपना लाइसेंसी शस्त्र प्रदर्शित किया।
एसएसपी की रिपोर्ट में इसे एक लापरवाहीपूर्ण कृत्य बताते हुए कहा गया कि ऐसे व्यवहार से भविष्य में शस्त्र दुरुपयोग की संभावना प्रबल हो जाती है।
रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने शस्त्र लाइसेंस संख्या 597/थाना रायपुर, यूआईएन 335601004165002023 को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए शस्त्र जब्त करने के निर्देश जारी किए।
लाइसेंस जारी करने की शर्तों का उल्लंघन
प्रशासन ने पाया कि शस्त्र लाइसेंस जिन शर्तों के अधीन जारी किया गया था, उनका स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। लाइसेंसधारी से अपेक्षा की जाती है कि वह शस्त्र का उपयोग केवल आत्मरक्षा या वैध परिस्थितियों में करे। लेकिन मामूली विवाद में शस्त्र लहराना इन शर्तों का गंभीर उल्लंघन है।
डीएम कार्यालय से जारी बयान में कहा गया —
“शस्त्र लाइसेंस एक संवैधानिक अधिकार नहीं, बल्कि प्रशासनिक दायित्व है। इसे प्राप्त करने वाले व्यक्ति को अत्यधिक जिम्मेदारी और संयम दिखाना आवश्यक होता है।”
एटीएस कॉलोनी में फैला तनाव, पुलिस ने संभाली स्थिति
घटना के समय एटीएस कॉलोनी में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद थाना रायपुर की टीम मौके पर पहुँची और स्थिति को नियंत्रित किया।
स्थानीय निवासियों ने राहत की सांस ली कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए विवाद में शामिल दोनों पक्षों का चालान किया और रिपोर्ट तत्काल प्रशासन को भेजी।
प्रशासन की सख्ती से बना संदेश
डीएम सविन बंसल की इस कार्रवाई को एक “संदेशात्मक कदम” के रूप में देखा जा रहा है। प्रदेश प्रशासन हाल के महीनों में कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार सतर्क रहा है, विशेषकर त्योहारों के दौरान।
पिछले वर्ष भी दीपावली के आसपास राज्य के कुछ हिस्सों में शस्त्र प्रदर्शन और पटाखों के विवाद को लेकर घटनाएं सामने आई थीं, जिसके बाद शासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि “कानून से जुड़ी किसी भी लापरवाही को शून्य सहिष्णुता” के तहत देखा जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, इस प्रकार के मामलों में प्रशासन का त्वरित एक्शन न केवल अनुशासन की पुनर्स्थापना करता है बल्कि नागरिकों में यह विश्वास भी जगाता है कि “लाइसेंस विशेषाधिकार है, हथियार नहीं।”
जनजागरूकता और जिम्मेदारी की आवश्यकता
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में शस्त्र लाइसेंस की अवधारणा आत्मरक्षा से जुड़ी है, न कि शक्ति प्रदर्शन से।
आईपीएस रिटायर्ड अधिकारी एस.के. बिष्ट के अनुसार,
“लाइसेंसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह शस्त्र को सुरक्षित रखे और किसी सार्वजनिक या निजी विवाद में उसका उपयोग न करे। यदि ऐसा किया जाता है, तो यह न केवल कानूनी अपराध है बल्कि सामाजिक गैर-जिम्मेदारी भी है।”
जिला प्रशासन की अपील
जिलाधिकारी कार्यालय ने आम नागरिकों से अपील की है कि किसी भी प्रकार के विवाद में कानूनी प्रक्रिया और संवाद का रास्ता अपनाएं।
डीएम ने कहा,
“शस्त्र का उद्देश्य भय दिखाना नहीं, सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।”
देहरादून की यह घटना राज्य के प्रशासनिक सिस्टम की तत्परता और कानून-व्यवस्था के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है। दीपावली जैसे पर्व पर हुई यह घटना भले ही मामूली विवाद से शुरू हुई हो, लेकिन इसका परिणाम प्रशासनिक स्तर पर एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।
जिलाधिकारी सविन बंसल की इस कार्रवाई ने साफ संदेश दिया है कि “कानून के सामने सब बराबर हैं” — चाहे मामला कितना ही छोटा क्यों न हो, हथियार का प्रदर्शन अब जवाबदेही तय करेगा, न कि शक्ति।



