
देहरादून, 28 अक्टूबर: उत्तराखंड सरकार ने राज्य पुलिस विभाग में बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल करते हुए 16 भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और 8 प्रांतीय पुलिस सेवा (PPS) अधिकारियों के तबादले के आदेश जारी किए हैं।
इस फेरबदल में चार जिलों — नैनीताल, पौड़ी, चमोली और उत्तरकाशी — के पुलिस अधीक्षकों (SP) को भी बदला गया है। शासन ने इसे “प्रभावी कानून व्यवस्था और सुचारु पुलिस प्रशासन के लिए आवश्यक कदम” बताया है।



शासन ने जारी किए तबादले के आदेश
गृह विभाग द्वारा सोमवार देर शाम जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य में बेहतर पुलिस व्यवस्था, जवाबदेही और फील्ड स्तर पर समन्वय को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
मुख्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया —
“सरकार का उद्देश्य है कि जिलों में तैनात अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र में नई ऊर्जा और दृष्टिकोण के साथ काम करें। यह फेरबदल लंबे समय से लंबित था और इसे विस्तृत समीक्षा के बाद किया गया है।”
सूत्रों के अनुसार, इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और पुलिस महानिदेशक (DGP) अभिनव कुमार शामिल थे।
चार जिलों के एसपी बदले गए
नई सूची के अनुसार, राज्य के चार प्रमुख जिलों में पुलिस कप्तानों की अदला-बदली की गई है:
- नैनीताल के एसपी को बदला गया है और उनकी जगह एक अनुभवी आईपीएस अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- पौड़ी गढ़वाल में नए पुलिस अधीक्षक को तैनात किया गया है, जिन्हें पहले क्राइम ब्रांच में कार्यानुभव है।
- चमोली जैसे सीमावर्ती और संवेदनशील जिले में भी नया कप्तान भेजा गया है ताकि चारधाम यात्रा मार्ग पर सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था सुदृढ़ हो सके।
- उत्तरकाशी, जो चारधाम यात्रा का अहम केंद्र है, वहां नए एसपी को नियुक्त किया गया है जिनके पास आपदा प्रबंधन का लंबा अनुभव है।
इस फेरबदल के बाद, शासन ने सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों को भी मिली नई जिम्मेदारियां
तबादलों की सूची में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हैं जिन्हें शासन ने महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापित किया है।
कई अधिकारियों को फील्ड पोस्टिंग दी गई है, जबकि कुछ को मुख्यालय और खुफिया विभाग (Intelligence Branch) में नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
राज्य के डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा —
“यह फेरबदल संगठन के भीतर प्रशासनिक संतुलन और पेशेवर क्षमता को और मजबूत करेगा। हमारा लक्ष्य राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना और जनता को त्वरित न्याय दिलाना है।”
पुलिसिंग को और ‘स्मार्ट’ बनाने की तैयारी
धामी सरकार पिछले कुछ महीनों से पुलिसिंग सिस्टम को तकनीकी और जवाबदेही आधारित बनाने की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है।
पुलिस विभाग में अब ई-ऑफिस प्रणाली, थाना स्तर पर डिजिटल रिकॉर्डिंग, और सीसीटीएनएस पोर्टल के माध्यम से रीयल-टाइम निगरानी जैसे प्रोजेक्ट लागू किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में एक बैठक में कहा था —
“उत्तराखंड पुलिस को ‘स्मार्ट पुलिस फोर्स’ के रूप में विकसित करने के लिए ट्रांसपेरेंसी, रोटेशन और मेरिट आधारित पोस्टिंग को प्राथमिकता दी जाएगी।”
संवेदनशील जिलों में फील्ड अनुभव को दी गई प्राथमिकता
सरकार ने इस फेरबदल में खास तौर पर सीमावर्ती और चारधाम मार्ग वाले जिलों पर ध्यान केंद्रित किया है।
चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी और पिथौरागढ़ जैसे जिले न केवल भौगोलिक रूप से संवेदनशील हैं, बल्कि यहां पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की लगातार आवाजाही रहती है।
गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि —
“इन जिलों में ऐसे अफसरों को तैनात किया गया है जिनके पास आपदा प्रबंधन, पर्यटक सुरक्षा और सामुदायिक पुलिसिंग का अनुभव है। यह निर्णय राज्य की सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है।”
विपक्ष ने उठाए सवाल, कहा — “राजनीतिक मंशा झलक रही”
जहाँ एक ओर सरकार ने इस फेरबदल को ‘सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया’ बताया है, वहीं विपक्ष ने इस पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा —
“धामी सरकार पुलिस तंत्र को राजनीतिक दबाव में ला रही है। बार-बार के तबादले अधिकारियों के मनोबल को प्रभावित करते हैं।”
हालांकि भाजपा ने इन आरोपों को “बेसिर-पैर का” बताते हुए कहा कि यह निर्णय प्रशासनिक दक्षता के लिए लिया गया है।
पुलिस सुधार की दिशा में एक और कदम
उत्तराखंड सरकार हाल के महीनों में ‘पुलिस आधुनिकीकरण’ की दिशा में लगातार काम कर रही है।
राज्य बजट 2025-26 में पुलिस विभाग के लिए ₹850 करोड़ का विशेष आवंटन किया गया है, जिसमें फोर्स को नए वाहनों, ड्रोन निगरानी, बॉडी कैमरा और अपराध विश्लेषण तकनीक से लैस किया जाएगा।
डीजीपी अभिनव कुमार ने बताया कि नए अफसरों को “समुदाय उन्मुख पुलिसिंग (Community-Oriented Policing)” पर विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि जनता और पुलिस के बीच भरोसे की खाई कम हो सके।
क्या संकेत देता है यह फेरबदल?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फेरबदल सिर्फ नियमित प्रक्रिया नहीं बल्कि आने वाले विधानसभा उपचुनावों और चारधाम यात्रा सीज़न 2026 की तैयारी के तौर पर भी देखा जा सकता है।
राज्य सरकार चाहती है कि संवेदनशील जिलों में प्रशासनिक और पुलिसिक समन्वय और मजबूत किया जाए।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. विनोद शर्मा कहते हैं —
“यह कदम सरकार की ‘सक्रिय शासन’ (Proactive Governance) नीति का हिस्सा है। उत्तराखंड में चुनावी गतिविधियों और तीर्थयात्रा दोनों को देखते हुए अनुभवी अफसरों की तैनाती बहुत महत्वपूर्ण है।”
उत्तराखंड पुलिस विभाग में हुआ यह बड़ा प्रशासनिक फेरबदल आने वाले महीनों के लिए राज्य की सुरक्षा रणनीति, कानून व्यवस्था और आपदा प्रबंधन की दिशा तय करेगा।
जहाँ एक ओर शासन इसे दक्षता बढ़ाने का कदम बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक तौर पर प्रेरित निर्णय मान रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर होंगी कि नई टीम किस तरह प्रदेश में पुलिसिंग की नई छवि गढ़ती है।



