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Delhi-NCR में सांसें फिर हुई मुश्किल: हवा में जहर, सरकार 29 अक्टूबर से कराएगी कृत्रिम बारिश

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उससे सटे नोएडा-गुरुग्राम में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। दिवाली से पहले ही आसमान में धुंध की परत और सड़कों पर छाई धुंध ने लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल बना दिया है।

दिल्ली में शुक्रवार को औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 293 दर्ज किया गया, जो “खराब” श्रेणी में आता है। एक दिन पहले यानी गुरुवार को यह आंकड़ा 305 पर था। जबकि 22 अक्टूबर को दिल्ली का एक्यूआई 353 और 21 अक्टूबर को 351 दर्ज हुआ था — दोनों ही “गंभीर” श्रेणी में।


दिल्ली में हवा जहरीली, एनसीआर में भी स्थिति चिंताजनक

दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है।
विकास सदन में एक्यूआई 133,
आईटीओ और आनंद विहार में 300 से ऊपर,
जबकि शहादरा और मंडी हाउस में भी 280 से 320 के बीच एक्यूआई दर्ज हुआ।

नोएडा में शुक्रवार सुबह एक्यूआई 264 रिकॉर्ड किया गया, जो “खराब” श्रेणी में है।
वहीं गुरुग्राम में औसत एक्यूआई 208 पर पहुंच गया।
ग्वाल पहाड़ी क्षेत्र में 197, जबकि सेक्टर 51 में 295 तक पहुंच गया — जो स्थानीय स्तर पर “गंभीर” स्थिति दर्शाता है।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी, हवा की गति कम होगी और प्रदूषक कण वातावरण में और ज्यादा जमने लगेंगे। इससे आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।


कृत्रिम बारिश से प्रदूषण कम करने की तैयारी

वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट के मद्देनजर, दिल्ली सरकार ने 29 अक्टूबर से कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) कराने की तैयारी कर ली है।
इस पहल का उद्देश्य है — हवा में मौजूद धूल और प्रदूषक कणों को वर्षा के जरिए नीचे बैठाना

इसके लिए आईआईटी कानपुर की विशेषज्ञ टीम को जिम्मेदारी दी गई है।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने हाल ही में क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया है, जिसे दिल्ली सरकार ने “सकारात्मक संकेत” बताया है।
क्लाउड सीडिंग के जरिए आसमान में मौजूद बादलों में विशेष रासायनिक कण छोड़े जाते हैं, जिससे बारिश की प्रक्रिया तेज़ होती है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा —

“कृत्रिम बारिश दिल्ली के लिए एक प्रयोगात्मक कदम है। इसका उद्देश्य है वायु प्रदूषण को अस्थाई तौर पर कम करना। 29 अक्टूबर से प्रक्रिया शुरू की जाएगी, और जरूरत पड़ने पर इसे नवंबर में भी दोहराया जा सकता है।”


क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल

आईआईटी कानपुर की टीम ने हाल ही में उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ इलाकों में क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी का परीक्षण किया, जो सफल रहा।
टीम के मुताबिक, मौसम की स्थिति और बादलों की घनत्व के आधार पर बारिश की संभावना 70-80% तक रहती है।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंदर सिंह ने कहा —

“हमने पिछले हफ्ते दिल्ली के मौसम पैटर्न का विश्लेषण किया है। आने वाले दिनों में बादल बनने की संभावना बनी हुई है, जिससे कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया आसान होगी।”


प्रदूषण के मुख्य कारण: पराली, ट्रैफिक और निर्माण धूल

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के पीछे मुख्य कारण वही पुराने हैं —

  1. पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना,
  2. वाहनों से निकलने वाला धुआं,
  3. निर्माण स्थलों की धूल,
  4. औद्योगिक उत्सर्जन

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय दिल्ली में PM2.5 और PM10 कण खतरनाक स्तर पर हैं।
जहां पीएम 2.5 का स्तर 150 से ऊपर, वहीं पीएम 10 का स्तर 250 तक पहुंच गया है।
ये कण फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ाते हैं।


सरकार ने GRAP-III अलर्ट की चेतावनी दी

दिल्ली में वायु गुणवत्ता “गंभीर” श्रेणी में जाते ही ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत तीसरा चरण लागू करने की तैयारी है।
इस चरण में

  • निर्माण कार्यों पर रोक,
  • डीज़ल जनरेटर पर प्रतिबंध,
  • स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटीज पर नियंत्रण,
  • और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के कदम शामिल हैं।

पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अगर एक्यूआई 400 के पार जाता है, तो GRAP-IV यानी लॉकडाउन जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।


लोगों को मास्क पहनने और बाहर कम निकलने की सलाह

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें और एन-95 या एन-99 मास्क का उपयोग करें।
दिल्ली एम्स के पल्मोनोलॉजी विभाग के डॉक्टर अजीत कुमार ने कहा —

“इस स्तर का प्रदूषण बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है। सुबह की सैर या आउटडोर वर्कआउट से फिलहाल बचें।”

उन्होंने कहा कि प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, गले में खराश, और नींद में दिक्कतें आम हो रही हैं, जो आगे चलकर क्रॉनिक डिजीज का रूप ले सकती हैं।


‘ग्रीन दिल्ली’ ऐप पर शिकायतें बढ़ीं

दिल्ली सरकार के ग्रीन दिल्ली ऐप पर इस हफ्ते प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों में 40% की वृद्धि दर्ज की गई है।
अधिकांश शिकायतें धूल उड़ने, खुले में कचरा जलाने और सड़क किनारे निर्माण मलबा छोड़ने से जुड़ी हैं।
सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे इन शिकायतों को तुरंत ऐप पर दर्ज करें ताकि कार्रवाई की जा सके।


केंद्र और राज्य में समन्वय की मांग

पर्यावरणविदों ने कहा है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए सिर्फ दिल्ली सरकार की पहल पर्याप्त नहीं है। इसमें हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकारों के साथ तालमेल ज़रूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कृत्रिम बारिश के प्रयोग से प्रदूषण घटता है, तो इसे एनसीआर के सभी शहरों में लागू किया जाना चाहिए।

दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा में जहर घुल चुका है। सरकार ने कृत्रिम बारिश जैसे आधुनिक प्रयोगों पर भरोसा जताया है, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि यह सिर्फ अस्थाई राहत दे सकता है। स्थायी समाधान तभी संभव है जब पराली प्रबंधन, वाहन उत्सर्जन नियंत्रण और निर्माण स्थलों की निगरानी में कठोर कदम उठाए जाएं।

फिलहाल राजधानी एक बार फिर उस दौर में पहुंच गई है, जहां सांस लेना भी चुनौती बन गया है — और सभी निगाहें अब 29 अक्टूबर की ‘कृत्रिम बारिश’ पर टिकी हैं, जो शायद इस जहरीली हवा को थोड़ी राहत दे सके।

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