
पटना: बिहार में महागठबंधन (INDIA Bloc) के भीतर सीटों के बंटवारे और फ्रेंडली फाइट को लेकर चल रही खींचतान के बीच अब हालात सुधरते दिख रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन के सभी प्रमुख दलों के बीच सहमति बनने की दिशा में बातचीत तेज हो गई है। इसी क्रम में गुरुवार सुबह 11 बजे पटना में महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही है, जिसमें “सब ठीक है” और एकजुटता का संदेश देने की कोशिश होगी।
कहा जा रहा है कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), वाम दलों और अन्य सहयोगी दलों के शीर्ष नेता मंच साझा करेंगे। यही नहीं, इस बैठक के बाद राहुल गांधी और तेजस्वी यादव संयुक्त सभा कर चुनाव प्रचार अभियान का औपचारिक आगाज़ भी कर सकते हैं।
तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने पर सहमति के संकेत
सूत्रों के अनुसार, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जा सकता है। कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि “तेजस्वी को सीएम उम्मीदवार बनाए जाने पर कांग्रेस को ऐतराज नहीं है, क्योंकि बिहार में RJD सबसे बड़ी पार्टी है।”
यह भी कहा जा रहा है कि महागठबंधन के भीतर सीएम चेहरे की घोषणा को लेकर दो मत हैं — कुछ नेता इसे चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा मान रहे हैं, तो कुछ इसे टालने के पक्ष में हैं।
कांग्रेस में दो राय: पप्पू यादव और कृष्णा अल्लावरु सावधान, अखिलेश प्रसाद सिंह समर्थन में
कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और गठबंधन सहयोगी सांसद पप्पू यादव सीएम चेहरे की घोषणा के पक्ष में नहीं हैं। उनका मानना है कि गठबंधन को कलेक्टिव लीडरशिप (सामूहिक नेतृत्व) के तहत चुनाव लड़ना चाहिए ताकि सभी वर्गों और दलों को बराबर प्रतिनिधित्व मिले।
वहीं, कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि “तेजस्वी यादव ही बिहार महागठबंधन के सर्वमान्य नेता हैं और उन्हें ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जाना चाहिए।”
पप्पू यादव बोले — राहुल गांधी ही सबसे बड़े नेता
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद और महागठबंधन सहयोगी पप्पू यादव ने कहा कि “जनता INDIA गठबंधन को वोट देने के लिए उत्सुक है। लोग नई सरकार बनाना चाहते हैं, और हमारे पास राहुल गांधी के रूप में देश के सबसे बड़े नेता हैं।”
उन्होंने कहा कि “अगर राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, तो पिछड़े वर्गों, एससी-एसटी और वंचित समुदायों का व्यापक समर्थन मिलेगा। किसी भी सीएम चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा जाना चाहिए, बल्कि चुनाव के बाद सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री का चयन किया जाए।”
गठबंधन की रणनीति — एकता दिखाना, विरोधियों को संदेश देना
महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को “राजनीतिक एकता का प्रदर्शन” माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इसका उद्देश्य है कि जनता के बीच यह संदेश जाए कि गठबंधन के भीतर किसी तरह का मतभेद नहीं है।
यह भी माना जा रहा है कि बिहार में सत्तारूढ़ NDA (भाजपा-जनता दल यूनाइटेड गठबंधन) की बढ़ती सक्रियता के बीच विपक्षी दल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि महागठबंधन “फ्रेंडली फाइट” की खबरों से होने वाले नुकसान को जल्द नियंत्रित कर सके।
आगे की दिशा
अगर कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जाता है, तो यह बिहार की राजनीति में महागठबंधन के लिए बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। वहीं, राहुल गांधी के साथ संयुक्त प्रचार सभा से कांग्रेस और RJD दोनों के बीच सियासी तालमेल मजबूत होता दिखेगा।
हालांकि, कांग्रेस के कुछ नेता अभी भी सीएम चेहरे की घोषणा से पहले सीट बंटवारे को प्राथमिकता देने के पक्ष में हैं। ऐसे में, गुरुवार की बैठक से महागठबंधन की चुनावी रणनीति की दिशा काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी।