सीतापुर में मामी ने थाने में काटी हाथ की नस, भांजे से संबंध को लेकर हुआ विवाद — अस्पताल में भर्ती

सीतापुर | ब्यूरो रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला ने अपने भांजे से संबंध को लेकर पुलिस चौकी के अंदर ही अपने हाथ की नस काट ली। घटना के बाद पुलिस चौकी में अफरा-तफरी मच गई। पुलिसकर्मियों ने तुरंत घायल महिला को अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया। महिला की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।
यह मामला पिसावा थाना क्षेत्र का है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि महिला और उसके भांजे के बीच पिछले कई महीनों से संबंध थे, लेकिन विवाद बढ़ने पर युवक ने रिश्ता खत्म करने का निर्णय लिया। इसी बात से आहत होकर महिला ने यह कदम उठाया।
सात महीने तक साथ रहे दोनों, फिर हुआ विवाद
जानकारी के अनुसार, पिसावा थाना क्षेत्र के कुतुबनगर गाँव की रहने वाली पूजा मिश्रा की शादी ललित मिश्रा नामक व्यक्ति से हुई थी। ललित गाजियाबाद में मजदूरी का काम करता है और उसके दो बच्चे हैं।
करीब एक साल पहले ललित ने अपने भांजे आलोक मिश्रा को गाजियाबाद बुलाया था, ताकि वह काम में मदद कर सके। इसी दौरान पूजा और आलोक के बीच करीबी संबंध विकसित हो गए। दोनों के बीच यह संबंध धीरे-धीरे प्रेम संबंध में बदल गया।
जब ललित को इस बात की जानकारी मिली, तो उसने आलोक को घर से निकाल दिया। इसके बाद पूजा ने अपने पति और बच्चों को छोड़ दिया और आलोक के साथ बरेली चली गई, जहाँ दोनों करीब सात महीने तक साथ रहे। बरेली में आलोक ऑटो चलाकर आजीविका चलाता था। शुरुआती महीनों तक सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन बाद में दोनों के बीच लगातार झगड़े होने लगे।
भांजे ने छोड़ा साथ, मामी पहुंची सीतापुर
विवाद बढ़ने के बाद आलोक ने पूजा से दूरी बना ली और अपने पैतृक गांव मढ़िया (सीतापुर) लौट आया।
जब पूजा को पता चला कि आलोक अब उसके साथ रिश्ता नहीं रखना चाहता, तो वह भी सीतापुर पहुँच गई।
मामले को सुलझाने के लिए पूजा ने आलोक के खिलाफ पुलिस चौकी में लिखित शिकायत दी। पुलिस ने दोनों पक्षों को चौकी में बुलाकर समझाने की कोशिश की। लेकिन वहां बात बढ़ गई और आलोक ने साफ शब्दों में पूजा से कहा कि वह अब उसके साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहता।
इसी बात से आहत होकर पूजा ने चौकी के भीतर ही ब्लेड से अपने हाथ की नस काट ली। पुलिसकर्मियों ने तुरंत उसे रोकने की कोशिश की और घायल अवस्था में जिला अस्पताल पहुंचाया। वहां से उसे गंभीर हालत में लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया।
🔹 पुलिस की प्रतिक्रिया और जांच
घटना के बाद चौकी में मौजूद पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए। सीतापुर एसपी (Sitapur SP) ने बताया कि,
“महिला और युवक के बीच पारिवारिक विवाद था। महिला ने भावनात्मक आवेश में आकर यह कदम उठाया। समय रहते पुलिसकर्मियों ने उसे बचा लिया और तत्काल अस्पताल भेज दिया गया।”
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला की मानसिक स्थिति तनावपूर्ण थी और उसके बयान दर्ज किए जा रहे हैं। घटना की विस्तृत जांच के लिए थाना स्तर पर टीम गठित की गई है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही गाँव के लोग चौकी और अस्पताल दोनों जगह इकट्ठा हो गए। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि दोनों के संबंधों को लेकर पहले भी चर्चा थी, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि मामला इतना गंभीर रूप ले लेगा। गाँव के एक बुजुर्ग ने बताया,
“पूजा अपने बच्चों को छोड़कर चली गई थी। गाँव के लोगों ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन उसने नहीं सुनी। अब जो हुआ, वह बहुत दुखद है।”
परिवार और समाज के बीच दुविधा
यह घटना केवल एक प्रेम-प्रसंग का मामला नहीं, बल्कि समाज में बदलते पारिवारिक मूल्यों और मानसिक असंतुलन की बढ़ती घटनाओं का भी संकेत देती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में भावनात्मक निर्भरता और सामाजिक दबाव व्यक्ति को चरम कदम उठाने पर मजबूर कर देते हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ. अर्चना वर्मा का कहना है —
“ऐसे रिश्तों में अक्सर व्यक्ति अपने भावनात्मक केंद्र को खो बैठता है। जब संबंध टूटता है, तो उन्हें लगता है कि जीवन का अर्थ खत्म हो गया। यह गंभीर मानसिक स्थिति होती है और ऐसे मामलों में तुरंत काउंसलिंग की जरूरत होती है।”
सामाजिक विमर्श और मानसिक स्वास्थ्य का सवाल
उत्तर प्रदेश में इस तरह की घटनाएँ पिछले कुछ वर्षों में लगातार सामने आई हैं, जहाँ प्रेम संबंधों के विवाद सामाजिक या कानूनी मामलों में बदल जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत की कमी, और पारिवारिक झगड़ों में संवेदनशील दृष्टिकोण की अनुपस्थिति, ऐसी त्रासदियों को जन्म देती है।
यह मामला पुलिस प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है कि थानों में पारिवारिक विवादों की काउंसलिंग व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जाए। सीतापुर पुलिस ने कहा है कि भविष्य में ऐसे मामलों में महिला हेल्पलाइन, सामाजिक कार्यकर्ता और काउंसलर की मदद ली जाएगी ताकि किसी भी व्यक्ति को खुद को नुकसान पहुँचाने की स्थिति तक न पहुँचना पड़े।
फिलहाल, पूजा मिश्रा लखनऊ ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं और उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
पुलिस ने आलोक मिश्रा और उसके परिजनों से भी पूछताछ की है।
यह मामला केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर संदेश है — कि भावनात्मक तनाव और सामाजिक दबाव के बीच संवाद, समझ और मानसिक सहायता कितनी जरूरी है। सीतापुर की यह घटना बताती है कि रिश्तों की जटिलता और अस्थिरता जब सामाजिक संरचना से टकराती है, तो परिणाम कितना भयावह हो सकता है।