
नई दिल्ली: दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा में ज़हर घुलने लगा है। मंगलवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। आनंद विहार में AQI 350 के पार दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। वहीं नोएडा में भी हवा की हालत चिंताजनक है, जहां AQI 269 तक पहुंच गया है। गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने मंगलवार को ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)-I लागू कर दिया है। यह सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में लागू की जाने वाली पहली चरणबद्ध रणनीति है।
दिल्ली में औसत AQI 211, आनंद विहार बना ‘हॉटस्पॉट’
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली का औसत AQI 211 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है।
हालांकि, कुछ इलाकों में स्थिति और भी भयावह है।
- आनंद विहार: 356 (गंभीर श्रेणी)
- विवेक विहार: 312 (बहुत खराब श्रेणी)
- आरके पुरम: 298 (खराब श्रेणी)
- नरेला: 305 (बहुत खराब श्रेणी)
हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे हालात में बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
नोएडा-गाजियाबाद में भी हवा जहरीली
दिल्ली के साथ-साथ यूपी और हरियाणा के सटे जिलों में भी हवा की गुणवत्ता गिर रही है।
- नोएडा: AQI 269 (बहुत खराब श्रेणी)
- गाजियाबाद: AQI 261
- ग्रेटर नोएडा: AQI 244
- गुरुग्राम: AQI 216
- बहादुरगढ़: AQI 229
- बल्लभगढ़: AQI 198
इन सभी शहरों में सुबह और रात के समय धुंध और स्मॉग की परतें दिखाई दे रही हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, तापमान में गिरावट और हवाओं की गति धीमी होने से प्रदूषक तत्व वातावरण में जमा हो रहे हैं।
CAQM ने लागू किया GRAP-I
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने GRAP का पहला चरण (Stage-I) लागू कर दिया है।
इसमें निम्नलिखित निर्देश शामिल हैं—
- पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों को सड़कों पर न लाने की सिफारिश।
- सभी वाहनों के लिए वैध PUC (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र) अनिवार्य।
- निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों का पालन।
- सड़कों पर मशीनी सफाई और पानी का छिड़काव।
- खुले में कचरा या पत्ते जलाने पर रोक।
हालांकि, अभी तक वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन प्रदूषण के और बढ़ने पर GRAP-II या III चरण लागू किए जा सकते हैं, जिसमें निर्माण कार्यों पर रोक और डीजल जेनरेटर पर बैन जैसी सख्तियां शामिल हैं।
क्यों बढ़ रहा है प्रदूषण?
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से हवा की गति 3–4 किमी प्रति घंटा तक सीमित है।
इस वजह से प्रदूषक तत्व जमीन के पास जमा हो रहे हैं और स्मॉग बन रहा है।
साथ ही, पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं, जिससे दिल्ली-एनसीआर की हवा पर असर पड़ रहा है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीट्रोलॉजी (IITM), पुणे की SAFAR रिपोर्ट के अनुसार,
“पराली से होने वाला प्रदूषण दिल्ली की हवा में इस समय लगभग 9% तक योगदान दे रहा है,
जो अगले हफ्ते बढ़ सकता है।”
स्वास्थ्य पर असर: डॉक्टरों ने दी चेतावनी
दिल्ली एम्स और सफदरजंग अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्टों ने चेतावनी दी है कि
“एक्यूआई 300 से ऊपर होने पर सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, सिरदर्द और गले में खराश जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।”
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि
- सुबह और देर रात बाहर टहलने या दौड़ने से बचें।
- घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- वाहन चलाते समय N95 या N99 मास्क लगाएं।
दीवाली से पहले बढ़ी चिंता
हर साल की तरह इस बार भी दीवाली से पहले प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ने लगा है।
आने वाले दिनों में पटाखों के धुएं, मौसम की ठंडक और स्थिर हवाओं के कारण स्थिति और बिगड़ सकती है।
पिछले साल भी दिवाली के सप्ताह में दिल्ली का AQI 450 के पार पहुंच गया था, जिससे लोगों को आंखों और सांस की गंभीर तकलीफें हुई थीं।
सरकार और जनता दोनों को मिलकर लड़ना होगा
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि केवल सरकारी कदमों से प्रदूषण पर काबू पाना मुश्किल है।
जनभागीदारी के बिना हवा को साफ नहीं किया जा सकता।
लोगों को चाहिए कि—
- निजी वाहन की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करें।
- कचरा और पत्ते जलाने से बचें।
- घरों और सोसाइटी में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
दिल्ली-एनसीआर एक बार फिर सर्दियों की शुरुआत के साथ गंदी हवा के गिरफ्त में आ गया है।
सरकार ने GRAP-I लागू कर कदम तो उठा लिया है, लेकिन वास्तविक सुधार तभी संभव है जब सरकार, उद्योग और आम नागरिक तीनों मिलकर इस संकट से निपटें। वरना, दिवाली की रोशनी के साथ-साथ इस बार सांसें भी और भारी पड़ सकती हैं।