20 साल बाद मिला न्याय: यूपी के संभल में बसपा नेता रफत उल्ला को मिली जमीन, योगी सरकार की करी जमकर तारीफ

संभल/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के संभल जिले से बड़ी खबर सामने आई है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) के वरिष्ठ मुस्लिम नेता और पूर्व प्रत्याशी रफत उल्ला उर्फ नेता छिद्दा को आखिरकार 20 साल बाद अपनी पैतृक जमीन का कब्जा मिल गया। लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद में अब प्रशासन की कार्रवाई के बाद जमीन खाली कराई गई और विधिवत नापतौल कर उन्हें सुपुर्द की गई।
बसपा नेता को यह न्याय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त निर्देशात्मक नीति और यूपी पुलिस महानिदेशक (DGP) के आदेश के बाद मिला। इस मौके पर रफत उल्ला ने योगी सरकार की जमकर सराहना की और कहा कि यह सरकार वाकई न्याय देने वाली सरकार है।
मामला क्या था?
संभल जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र के गवां मार्ग स्थित मल्ली सराय इलाके की करीब 2200 गज जमीन पर पिछले दो दशकों से कब्जे का विवाद चल रहा था।
- रफत उल्ला, जो बसपा से संभल और असमोली विधानसभा सीट से प्रत्याशी रह चुके हैं, लगातार इस जमीन को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे।
- यह विवाद अदालत से लेकर पंचायत तक पहुंचा, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
- आखिरकार उन्होंने इस मामले की शिकायत शासन और प्रशासन से की।
इसके बाद DGP के आदेश पर संभल प्रशासन हरकत में आया और मौके पर जाकर नापतौल की। परिणामस्वरूप जमीन पर से कब्जा हटाया गया और उसे वैधानिक रूप से रफत उल्ला को दिला दिया गया।
रफत उल्ला ने जताया आभार
जमीन मिलने के बाद भावुक दिखे बसपा नेता ने कहा:
“20 साल से यह विवाद चल रहा था। हमने अदालत और पंचायत दोनों का दरवाजा खटखटाया। लेकिन आज योगी सरकार और प्रशासन की बदौलत हमें न्याय मिला। मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिल से धन्यवाद देता हूं। उन्होंने साबित किया है कि यह सरकार सभी को न्याय देने के लिए प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने आगे कहा कि अब जनता को भरोसा हो गया है कि न्याय में देरी हो सकती है, लेकिन योगी सरकार में अन्याय नहीं होगा।
हालिया कार्रवाई: सपा विधायक की जमीन से भी हटाया कब्जा
संभल जिला प्रशासन ने इससे पहले भी सख्त कार्रवाई करते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक इकबाल महमूद और उनके परिजनों द्वारा कथित रूप से कब्जाई गई सरकारी जमीन को मुक्त कराया था।
- यह कार्रवाई तहसील संभल के मंडलाई इलाके में हुई थी।
- उपजिलाधिकारी (SDM) विकास चंद्र के नेतृत्व में टीम ने मौके पर जाकर लगभग साढ़े तीन बीघे सरकारी भूमि को कब्जा मुक्त कराया।
- अधिकारियों के अनुसार, यह जमीन खसरा संख्या 198 और 222 के बीच दर्ज थी, लेकिन इसे बाग में बदलकर निजी उपयोग में लिया जा रहा था।
- जमीन पर इकबाल महमूद, फैज इकबाल, मोहम्मद जैद, मोहम्मद जुनैद, मोहम्मद असलम, शान इकबाल और सुहेल इकबाल के नाम दर्ज पाए गए थे।
प्रशासनिक सख्ती का संदेश
संभल में हुई ये दोनों घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि योगी सरकार भूमाफियाओं और अवैध कब्जों पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है।
- पहले सपा विधायक परिवार से जुड़ी जमीन पर कार्रवाई,
- और अब बसपा नेता को 20 साल पुराने विवाद में न्याय दिलाना—
दोनों घटनाएं इस संदेश को मजबूत करती हैं कि उत्तर प्रदेश में सत्ता या रसूख के दबाव में प्रशासन अब झुकने वाला नहीं है।
राजनीतिक महत्व
यह घटनाक्रम राजनीतिक रूप से भी अहम है।
- बसपा के एक मुस्लिम नेता को न्याय मिलने और उनके द्वारा योगी सरकार की तारीफ करना, सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संदेश देने की कोशिश है कि योगी सरकार कानून-व्यवस्था और न्याय को प्राथमिकता देती है, चाहे व्यक्ति किसी भी पार्टी या धर्म से जुड़ा हो।
- दूसरी ओर, सपा विधायक की जमीन पर कार्रवाई को विपक्ष “राजनीतिक प्रतिशोध” बता सकता है, लेकिन प्रशासन इसे नियम-कायदे की कार्रवाई करार दे रहा है।
20 साल बाद जमीन का मालिकाना हक पाने वाले बसपा नेता रफत उल्ला की कहानी इस बात का प्रमाण है कि न्याय देर से जरूर मिलता है, लेकिन अबकी बार सही हाथों तक पहुंचा है।
संभल जिले में हालिया कार्रवाइयों से यह साफ हो गया है कि योगी सरकार की प्राथमिकता साफ है—भूमि विवाद और अवैध कब्जों का स्थायी समाधान।
इस पूरे घटनाक्रम से उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।