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Uttarakhand: “सहकारिता ही सामाजिक एकता और आर्थिक स्वावलंबन की आधारशिला” – मुख्यमंत्री धामी 

"सहकारिता से आत्मनिर्भरता की ओर उत्तराखंड: ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक एकता का नया अध्याय"

श्रीनगर (उत्तराखंड): राज्य की पर्वतीय वादियों में इन दिनों एक नया सामाजिक-आर्थिक आंदोलन आकार ले रहा है — सहकारिता से समृद्धि का आंदोलन। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को श्रीनगर (गढ़वाल) के आवास विकास मैदान में आयोजित नौ दिवसीय राज्य सहकारिता मेले का शुभारंभ करते हुए कहा कि “सहकारिता ही सामाजिक एकता और आर्थिक स्वावलंबन की आधारशिला है।” उन्होंने विश्वास जताया कि यह आंदोलन आने वाले वर्षों में उत्तराखंड के ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का प्रमुख प्रेरक बनेगा।

सहकारिता: समाज को जोड़ने और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

मुख्यमंत्री धामी ने मेले में लगे स्थानीय उत्पादों के स्टॉलों का निरीक्षण किया और कहा कि राज्य सरकार किसानों, कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को ‘स्थानीय से वैश्विक बाजार’ तक पहुंचाने के लिए ठोस रणनीति पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा, “सहकारिता आंदोलन न केवल आर्थिक प्रगति का माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक जुड़ाव, पारस्परिक सहयोग और सामूहिक विकास की भारतीय परंपरा का प्रतीक भी है। यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को साकार करता है।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2025 को विश्व सहकारिता वर्ष घोषित किया गया है। केंद्र सरकार के ‘सहकारी से समृद्धि’ मिशन के अनुरूप उत्तराखंड सरकार भी ग्रामीण जीवन के हर क्षेत्र में सहकारिता की भागीदारी बढ़ाने पर बल दे रही है।

सहकारी समितियों का डिजिटल रूपांतरण और पारदर्शिता की दिशा में कदम

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में सहकारिता क्षेत्र को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
अब तक 671 सहकारी समितियों का कंप्यूटरीकरण पूरा हो चुका है, जबकि 13 जनपदों की 5511 समितियों में से 3838 समितियों के अभिलेख राष्ट्रीय सहकारी पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाएगा बल्कि किसानों, महिलाओं और उद्यमियों को वित्तीय लेन-देन और ऋण वितरण में पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगा।

कृषि और महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान

राज्य सरकार ने सहकारिता के माध्यम से कृषि और महिला उद्यमिता को नई ऊर्जा दी है।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि किसानों को पं. दीनदयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना के तहत तीन लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त ऋण, जबकि महिला स्वयं सहायता समूहों को पाँच लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त ऋण प्रदान किया जा रहा है।

इसके अलावा, मंडुवा (रागी) जैसे पारंपरिक फसलों की खरीद पर 5.50 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी करते हुए अब ₹48.86 प्रति किलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।
धामी ने कहा कि सहकारी बैंकों में वर्तमान में 16 हजार करोड़ रुपये की पूंजी जमा होना, राज्य की जनता के भरोसे और भागीदारी का प्रमाण है।

‘लखपति दीदी’ अभियान: महिलाएँ बदल रहीं राज्य का भविष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘इक्कीसवीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का होगा’ के संकल्प को साकार कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि “स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ आज ‘लखपति दीदी’ बनकर राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन रही हैं।

इन समूहों के माध्यम से महिलाएं अब बागवानी, पशुपालन, दोना-पत्तल निर्माण, हस्तशिल्प, और जैविक खेती जैसे क्षेत्रों में उद्यमिता की नई मिसालें कायम कर रही हैं।

सरकार के सुधारों की झलक: पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में बड़े कदम

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने राज्य सरकार द्वारा हाल के वर्षों में उठाए गए कई ऐतिहासिक कदमों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू कर उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है।
इसके साथ ही नकल माफियाओं पर रोक लगाने के लिए देश का सबसे सख्त कानून लागू किया गया है, जिसके तहत अब तक 100 से अधिक नकल माफियाओं को जेल भेजा जा चुका है।
हरिद्वार में हाल ही में उजागर हुए नकल प्रकरण पर तत्काल संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की संस्तुति की है।

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में सख्त भू-कानून लागू कर भूमाफियाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया गया है, जिससे राज्य की भूमि और पर्यावरणीय संतुलन की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।

सहकारिता से रोजगार सृजन और आर्थिक गतिविधियों को बल

सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य में इस समय 31 लाख लोग सहकारिता से जुड़े हैं, जिसे 50 लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने बताया कि सहकारिता क्षेत्र के माध्यम से 16 लाख किसानों को शून्य ब्याज पर ऋण वितरित किया गया है।
श्रीनगर में आयोजित इस सहकारिता मेले में महिला स्वयं सहायता समूहों ने करीब ₹35 लाख का व्यापार किया, जबकि कुल मिलाकर ₹1 करोड़ का कारोबार हुआ।

मंत्री ने बताया कि वर्तमान में राज्य की सहकारी संस्थाएं ₹30 करोड़ के लाभ में हैं।
उन्होंने कहा कि “लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबन से जोड़ना हमारी प्राथमिकता है।”
रोजगार सृजन के मोर्चे पर भी सरकार लगातार सक्रिय है — “कल राज्य में 1500 एलटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे, जिससे रोजगार का आंकड़ा 26,500 के पार पहुंच जाएगा।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने वाले सम्मान और प्रोत्साहन

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री और सहकारिता मंत्री ने कई स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक सहयोग और सम्मान प्रदान किया।
इनमें शक्ति स्वयं सहायता समूह पाबौ (बागवानी), उड़ान समूह पाबौ (मुर्गीपालन), सवेरा समूह पलिगांव पाबौ (दोना-पत्तल निर्माण), महादेव समूह पैठाणी (मुर्गीपालन), और मालन समूह जयहरीखाल (बद्री गाय पालन) शामिल हैं।
प्रत्येक समूह को ₹5-5 लाख के चेक प्रदान किए गए।
साथ ही वसुंधरा स्वायत्त सहकारिता पसीणा और जय भोलेनाथ सहकारिता कंडेरी को कृषि यंत्रों के लिए ₹4-4 लाख के चेक, तथा गुच्छी उत्पादन तकनीक में योगदान के लिए नवीन पटवाल को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में विद्यालयी बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सबका मन मोह लिया, जिसकी मुख्यमंत्री ने सराहना की।

भविष्य की दिशा: सहकारिता से सशक्त उत्तराखंड

कार्यक्रम में विधायक राजकुमार पोरी, जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष रचना बुटोला, और बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि एवं सहकारिता से जुड़े लोग मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री धामी ने अंत में कहा कि “सहकारिता केवल आर्थिक नीति नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का दर्शन है। उत्तराखंड की समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में सहकारिता ही वह सूत्र है जो गांव, महिलाएं और समाज — सबको एक साझा विकास यात्रा में जोड़ता है।

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