
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर 2025: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हरियाणा के सोहना से एक ऐसे शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने बैंक लूट और ज्वेलरी शॉप डकैती के लिए रासायनिक ज्ञान (केमिस्ट्री नॉलेज) का इस्तेमाल किया। आरोपी का नाम दीप शुभम (32) है, जो बिहार के सीतामढ़ी जिले के चौरौत गांव का रहने वाला है।
पुलिस के मुताबिक, दीप शुभम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम.फिल इन केमिस्ट्री की पढ़ाई की है, लेकिन आर्थिक तंगी और लालच के चलते उसने पढ़ाई छोड़कर अपराध की दुनिया में कदम रख लिया। उसकी गिरफ्तारी ने पुलिस को भी हैरान कर दिया, क्योंकि इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त युवक ने अपने ज्ञान का इस्तेमाल अपराध को ‘वैज्ञानिक तरीके’ से अंजाम देने में किया।
एम.फिल इन केमिस्ट्री, फिर भी अपराध की राह
दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया कि दीप शुभम ने किरोड़ीमल कॉलेज से बी.एससी (ऑनर्स) केमिस्ट्री, फिर एम.एससी और एम.फिल (केमिस्ट्री) की पढ़ाई की थी। इसके बाद उसने सीएलएटी परीक्षा पास कर एलएलबी (कानून) की पढ़ाई शुरू की, लेकिन बीच में ही छोड़ दी।
आर्थिक दिक्कतों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के दबाव में वह अपराध की तरफ झुक गया। पुलिस ने बताया कि शुभम अक्सर अपने दोस्तों से कहता था —
“ज्ञान तो मेरे पास है, बस उसका इस्तेमाल करने का तरीका बदल गया है।”
धीरे-धीरे वह छोटे अपराधों से निकलकर बड़े गैंग्स से जुड़ गया और खुद भी ‘योजना बनाने वाला दिमाग’ बन गया।
बैंक लूट में बनाया था ‘स्मोक बम’
दिल्ली पुलिस के अनुसार, दीप शुभम ने अपनी केमिस्ट्री की समझ का इस्तेमाल करते हुए साल 2017 में बैंक ऑफ इंडिया (सीतामढ़ी, बिहार) की शाखा में लूट की बड़ी वारदात को अंजाम दिया।
उसने फायर क्रैकर, मिथाइल एसीटेट और बेंज़ीन जैसे रासायनिक तत्वों को मिलाकर स्मोक बम (धुआं बम) तैयार किया। लूट के दिन उसने बैंक में धुआं फैलाकर कर्मचारियों को भ्रमित किया और फिर बंदूक दिखाकर ₹3.6 लाख रुपये की नकदी लेकर फरार हो गया। इस घटना के बाद बिहार पुलिस ने लंबे पीछा करने के बाद उसे दिल्ली से गिरफ्तार किया था। अदालत ने उसे दोषी ठहराया और कुछ समय तक जेल में रखा गया।
जेल से छूटकर बना ‘ज्वेलरी लूट गैंग’ का मेंटर
जेल से बाहर आने के बाद दीप शुभम की मुलाकात रितेश ठाकुर नामक एक और अपराधी से हुई। दोनों ने मिलकर दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में दो ज्वेलरी दुकानों को निशाना बनाया।
- पहली वारदात:
17 सितंबर 2021 को ‘24 कैरट ज्वेलरी शॉप, गुजरेवाला टाउन’ में हथियार के बल पर 6.06 लाख रुपये और मोबाइल फोन लूटे गए। - दूसरी वारदात:
25 अक्टूबर 2021 को उसी इलाके में एक अन्य ज्वेलरी शॉप से ₹70,000 नकद और सोने के आभूषण लूटे गए।
दोनों मामलों में पुलिस ने उसे अपराधी घोषित किया था और उसकी तलाश जारी थी।
क्राइम ब्रांच का ऑपरेशन: तकनीकी निगरानी से पकड़ा गया लुटेरा
9 अक्टूबर 2025 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को हेड कांस्टेबल अजय के माध्यम से गुप्त सूचना मिली कि दीप शुभम सोहना (हरियाणा) के हरिनगर इलाके में छिपा हुआ है।
डीसीपी हर्ष इंदोरा के नेतृत्व में टीम ने टेक्निकल सर्विलांस और मोबाइल ट्रेसिंग के जरिए उसकी लोकेशन पक्की की। टीम ने इलाके में जाल बिछाकर दीप शुभम को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तारी के समय शुभम ने पहले भागने की कोशिश की, लेकिन टीम ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया।
“इंटीरियर डिजाइनर” बनकर रह रहा था फरार लुटेरा
पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि फरारी के दौरान दीप शुभम ने “ग्लॉसी गेज़” नाम की एक इंटीरियर डिजाइनिंग फर्म में काम करना शुरू किया था।
वह खुद को डिज़ाइनर बताकर ग्राहकों से मिलता था और अपराध की कोई झलक नहीं देता था।
पुलिस ने बताया कि दीप शुभम ने अपने फर्जी पहचान पत्र बनवाकर सोहना में किराए का फ्लैट लिया था, जहां वह पिछले छह महीनों से रह रहा था।
डीसीपी हर्ष इंदोरा ने बताया —
“यह मामला दिखाता है कि अपराध के पीछे सिर्फ गरीबी नहीं, बल्कि सोच का भटकाव भी बड़ा कारण होता है।
दीप शुभम के पास पढ़ाई और करियर दोनों थे, लेकिन उसने अपने ज्ञान का गलत इस्तेमाल किया।”
अपराध और अकादमिक सफलता — एक विडंबना
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, दीप शुभम की गिरफ्तारी समाज के उस वर्ग की ओर इशारा करती है, जो पढ़ाई-लिखाई में उत्कृष्ट होते हुए भी मानसिक और आर्थिक दबाव के चलते गलत रास्ता चुन लेते हैं।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के मामलों में अपराधी अक्सर “इंटेलेक्चुअल सुपीरियरिटी सिंड्रोम” से ग्रस्त होते हैं — यानी उन्हें लगता है कि वे बाकी अपराधियों से ज्यादा बुद्धिमान हैं और कभी पकड़े नहीं जाएंगे।
लेकिन तकनीकी निगरानी और डेटा ट्रेसिंग के इस दौर में अब कोई भी अपराधी लंबे समय तक बच नहीं सकता।
अब क्या आगे?
फिलहाल दिल्ली पुलिस ने दीप शुभम को कस्टडी रिमांड पर लिया है। पुलिस उससे अन्य राज्यों में हुई समान वारदातों के बारे में भी पूछताछ कर रही है।
पुलिस को संदेह है कि उसने नोएडा और गुरुग्राम में भी कुछ अपराधों में तकनीकी सहायता दी थी।
उसके खिलाफ अब डकैती, हथियार कानून और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।
समाज के लिए एक चेतावनी
यह मामला सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — कि शिक्षा तब तक उपयोगी नहीं जब तक उसका इस्तेमाल सही दिशा में न हो।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि दीप शुभम जैसे मामलों से समाज और युवाओं को यह समझना चाहिए कि ज्ञान अपराध नहीं, अवसर का रास्ता खोलता है।