
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच लंबे समय से ठप पड़ी सीधी हवाई सेवाएं आखिरकार फिर से शुरू होने जा रही हैं। करीब पांच साल बाद दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स (Direct Flights) शुरू करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को पुष्टि की कि भारत और चीन के नागरिक उड्डयन विभागों के बीच बातचीत पूरी हो चुकी है और एक संशोधित एयर सर्विसेज एग्रीमेंट को अंतिम रूप दे दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें अक्टूबर 2025 के अंत तक शुरू हो सकती हैं। यह कदम न केवल कोविड-19 महामारी के बाद ठप हुए संपर्क को बहाल करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच सुधरते रिश्तों का संकेत भी माना जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने दी औपचारिक जानकारी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा,
“कल हमने इस संबंध में एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी और अब मुझे पता चला है कि व्यावसायिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यह निश्चित रूप से भारत और चीन के बीच संबंधों के सामान्य होने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
उन्होंने बताया कि भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवाएं इस महीने के अंत तक फिर से शुरू हो सकती हैं। जायसवाल ने कहा कि इस निर्णय से व्यापार, पर्यटन, शिक्षा और लोगों के बीच संपर्क को नई गति मिलेगी।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि दोनों देशों के बीच नागरिक उड्डयन अधिकारियों के बीच हाल ही में कई दौर की बातचीत हुई थी, जिसके बाद संशोधित एयर सर्विसेज एग्रीमेंट (Revised Air Services Agreement) को मंजूरी दी गई है।
2020 में बंद हुई थीं सीधी उड़ानें
भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवाएं मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी फैलने के बाद निलंबित कर दी गई थीं। उस समय सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदी लगी थी। लेकिन जब दुनिया के अधिकांश देशों में उड़ानें धीरे-धीरे शुरू हुईं, तब भी भारत-चीन के बीच सेवाएं बहाल नहीं की गईं।
इसका कारण केवल महामारी नहीं था। डोकलाम और गलवान घाटी में सीमा तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्ते ठंडे पड़ गए थे। भारत ने तब चीन के कई ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था, व्यापार और यात्रा पर निगरानी बढ़ा दी थी।
कई चीनी नागरिकों के वीज़ा आवेदन भी उस दौरान रोके गए, वहीं भारतीय छात्रों और व्यापारियों के लिए चीन की यात्रा लगभग असंभव हो गई थी।
कूटनीतिक मेल-मिलाप के बाद आई रफ़्तार
लेकिन पिछले एक साल में दोनों देशों के बीच राजनयिक और राजनीतिक स्तर पर कई सकारात्मक संकेत देखने को मिले हैं।
जुलाई 2025 में चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा ने इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभाई। वांग यी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की थी।
यात्रा के दौरान भारत और चीन ने सीमा पर स्थिरता बनाए रखने, व्यापारिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और लोगों के बीच संवाद बढ़ाने पर सहमति जताई थी। इसी बैठक में सीधी उड़ानों को जल्द फिर से शुरू करने का मुद्दा भी उठा था।
वांग यी और जयशंकर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने यह भी कहा था कि वीज़ा सुविधाओं को आसान बनाया जाएगा और मीडिया प्रतिनिधियों, व्यापारिक संगठनों तथा छात्रों के लिए यात्रा प्रक्रिया को सरल किया जाएगा।
सीमा विवाद के बाद रिश्तों में बदलाव
डोकलाम और गलवान की झड़पों ने भारत-चीन संबंधों को गहराई से प्रभावित किया था। उस दौरान न केवल सैन्य संवाद रुका, बल्कि दोनों देशों के बीच लोगों का संपर्क भी टूट गया। लेकिन पिछले दो वर्षों में कई स्तरों पर बातचीत के बाद अब सीमावर्ती तनाव अपेक्षाकृत शांत है।
अगस्त 2025 में अजीत डोभाल और वांग यी ने मिलकर सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वें दौर की वार्ता की सह-अध्यक्षता की थी। उस बैठक के बाद दोनों पक्षों ने कहा था कि वे “सीमा पर शांति बनाए रखने और आपसी विश्वास बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने भी उस अवसर पर स्पष्ट कहा था कि भारत और चीन के बीच “स्थिर, पूर्वानुमानित और रचनात्मक संबंध” न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि एशिया और वैश्विक शांति के लिए भी आवश्यक हैं।
आर्थिक और व्यापारिक महत्व
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार का आकार भले ही बड़ा है — 2024-25 में यह 135 अरब डॉलर से अधिक का था — लेकिन सीधी उड़ानें बंद होने से व्यावसायिक और सांस्कृतिक संपर्कों पर भारी असर पड़ा।
भारत से हजारों छात्र चीन की यूनिवर्सिटीज़ में पढ़ाई कर रहे थे, जिनमें से अधिकतर कोविड के बाद अपने कॉलेज नहीं लौट पाए। वहीं, चीनी उद्योगपतियों के भारत में निवेश दौरों पर भी रोक लगी रही।
अब जबकि सीधी उड़ानें दोबारा शुरू होंगी, तो इससे शिक्षा, व्यापार, पर्यटन और मीडिया एक्सचेंज जैसे क्षेत्रों में तेजी आने की उम्मीद है। एयरलाइंस इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती चरण में दिल्ली-बेइजिंग और मुंबई-शंघाई के बीच सीमित उड़ानें शुरू होंगी, जिन्हें बाद में अन्य शहरों तक बढ़ाया जा सकता है।
भविष्य की संभावनाएं और सावधानियां
विशेषज्ञों का कहना है कि सीधी उड़ानों की बहाली भारत-चीन संबंधों में एक पॉजिटिव सिग्नल है, लेकिन इसे अति-आशावाद के रूप में नहीं देखना चाहिए।
भारत अब भी इस बात पर जोर दे रहा है कि जब तक सीमा पर पूर्ण शांति और यथास्थिति की बहाली नहीं होती, तब तक संबंधों का सामान्यीकरण सीमित रहेगा।
विदेश मामलों के विश्लेषक राजन भट्टाचार्य के अनुसार,
“सीधी उड़ानों की वापसी एक व्यावहारिक कदम है। यह दिखाता है कि दोनों देश कूटनीतिक तौर पर फिर से जुड़ना चाहते हैं। लेकिन सीमा पर विश्वास बहाली ही असली कसौटी होगी।”
कुल मिलाकर, भारत और चीन के बीच उड़ानों की बहाली को एक संतुलित लेकिन सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह कदम न केवल कोविड और सीमा विवाद के बाद टूटे संचार सेतु को फिर से जोड़ने का प्रयास है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि दोनों एशियाई दिग्गज धीरे-धीरे सहयोग और प्रतिस्पर्धा के नए समीकरण की ओर बढ़ रहे हैं।
अगर सब कुछ तय समय पर रहा, तो अक्टूबर 2025 के अंत तक दिल्ली और बीजिंग के बीच विमान फिर से उड़ान भरते दिखाई देंगे — जो यह संदेश देंगे कि संवाद की राह कभी पूरी तरह बंद नहीं होती।