
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर 2025। भारत में डायबिटीज से जूझ रहे करोड़ों मरीजों के लिए राहत की खबर है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने डेनमार्क की दवा सेमाग्लूटाइड (Semaglutide) को भारतीय बाजार में उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है। इस दवा को वैश्विक स्तर पर Ozempic (ओजेम्पिक) नाम से जाना जाता है और यह इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होगी।
सेमाग्लूटाइड को ग्लूकागन-लाइक-पेप्टाइड-1 (GLP-1) रिसेप्टर एगोनिस्ट दवाओं की श्रेणी में रखा जाता है। यह शरीर में इंसुलिन की तरह काम करके ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती है। दुनिया के कई देशों में यह दवा पहले से ही उपलब्ध है और भारत में इसे लाने का फैसला विशेषज्ञों के अनुसार एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।
किन मरीजों के लिए है यह दवा?
चिकित्सकों के अनुसार, यह दवा खासतौर पर उन मरीजों के लिए फायदेमंद है –
- जिनका ब्लड शुगर केवल खानपान और व्यायाम से नियंत्रित नहीं हो पाता।
- जिन पर पुरानी दवाएँ जैसे मेटफॉर्मिन असर नहीं कर रहीं।
- जो मरीज पुरानी दवाओं के साइड इफेक्ट्स सहन नहीं कर पा रहे।
यानी यह दवा सेकंड लाइन और थर्ड लाइन ट्रीटमेंट के रूप में सामने आती है। इसका मतलब है कि इसे शुरुआती चरण में नहीं, बल्कि तब दिया जाएगा जब सामान्य उपायों और दवाओं से डायबिटीज कंट्रोल न हो।
वजन घटाने और हार्ट अटैक से बचाव में भी असरदार
इस दवा की सबसे बड़ी खासियत सिर्फ ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए क्लिनिकल ट्रायल्स में यह साबित हुआ है कि सेमाग्लूटाइड लेने वाले मरीजों में –
- वजन घटाने में मदद मिलती है।
- हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि टाइप-2 डायबिटीज वाले मरीजों में मोटापा और हृदय रोग का खतरा पहले से ही अधिक रहता है। ऐसे में यह दवा दोहरी भूमिका निभाकर उनकी जिंदगी को बेहतर बना सकती है।
भारत में डायबिटीज का बढ़ता बोझ
भारत में डायबिटीज को “साइलेंट एपिडेमिक” कहा जाता है।
- इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, भारत में इस समय 10.10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं।
- अनुमान है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या 13.6 करोड़ से भी अधिक हो सकती है।
चिंता की बात यह है कि इनमें से बड़ी संख्या ऐसे मरीजों की है जिन्हें यह पता भी नहीं होता कि वे डायबिटीज से पीड़ित हैं। कई बार बीमारी का पता तब चलता है जब गंभीर जटिलताएँ सामने आने लगती हैं।
दवा की कीमत बनी बड़ी चुनौती
भारत में इस दवा को लेकर सबसे बड़ी चुनौती इसकी कीमत मानी जा रही है।
- अमेरिका और यूरोप में सेमाग्लूटाइड की कीमत सैकड़ों डॉलर प्रति डोज है।
- भारत जैसे देश में जहां अधिकांश मरीज मध्यम या निम्न आय वर्ग से आते हैं, वहाँ सवाल यह है कि क्या यह दवा आम लोगों के लिए सुलभ हो पाएगी?
स्वास्थ्य अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि दवा की कीमत भारत में बहुत अधिक रखी गई, तो इसका फायदा केवल शहरी और उच्च आय वर्ग तक सीमित रह जाएगा। सरकार और कंपनियों को मिलकर किफायती मूल्य निर्धारण करना होगा ताकि दवा वास्तव में मरीजों तक पहुँच सके।
डॉक्टर की सलाह के बिना उपयोग न करें
विशेषज्ञों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यह दवा खुद से खरीदकर लेना खतरनाक हो सकता है।
- दवा का असर हर मरीज में अलग-अलग होता है।
- इसके कुछ साइड इफेक्ट्स जैसे मतली, उल्टी, डायरिया या पाचन संबंधी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
- दवा की खुराक और इस्तेमाल की अवधि केवल एंडोक्रिनोलॉजिस्ट या डायबिटीज विशेषज्ञ की देखरेख में तय की जानी चाहिए।
सीडीएससीओ ने भी यह साफ किया है कि सेमाग्लूटाइड को ओवर-द-काउंटर (OTC) दवा के तौर पर उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। मरीज इसे केवल डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन पर ही खरीद सकेंगे।
भारत में इलाज की तस्वीर बदलने की संभावना
डायबिटीज विशेषज्ञों का मानना है कि सेमाग्लूटाइड भारत में डायबिटीज मैनेजमेंट की तस्वीर बदल सकता है।
- यह दवा मरीजों को बेहतर क्वालिटी ऑफ लाइफ देने में मदद कर सकती है।
- मोटापे और हृदय रोग के खतरे को कम करके जटिलताओं से बचाव किया जा सकता है।
- यदि कीमत किफायती हुई, तो यह लाखों लोगों के लिए नई उम्मीद बन सकती है।
भारत में सेमाग्लूटाइड को मंजूरी मिलना चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह न सिर्फ टाइप-2 डायबिटीज को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में मदद करेगा बल्कि वजन घटाने और हृदय रोग के खतरे को भी कम करेगा। हालांकि, इसकी कीमत और उपलब्धता सबसे बड़ा सवाल है।
फिलहाल मरीजों और डॉक्टरों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यह दवा कब तक भारतीय बाजार में उपलब्ध होगी और इसकी कीमत कितनी रखी जाती है। अगर दवा किफायती दर पर आम मरीजों तक पहुँची, तो यह भारत में डायबिटीज प्रबंधन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।