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महाअष्टमी के पावन मौके पर सीआर पार्क पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी, लिया मां दुर्गा का आशीर्वाद

'दुर्गा पूजा समाज में एकता और सांस्कृतिक जीवंतता की भावना का प्रतीक' – पीएम मोदी

नई दिल्ली। देशभर में नवरात्रि के पावन अवसर पर जहां देवी दुर्गा की भव्य आराधना और पूजा-अर्चना हो रही है, वहीं राजधानी दिल्ली में इस उत्सव की सबसे खास झलक दक्षिण दिल्ली के चित्तरंजन पार्क (सीआर पार्क) इलाके में देखने को मिली। महाअष्टमी के दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं यहां पहुंचे और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर देशवासियों के सुख-समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना की।

प्रधानमंत्री ने परंपरागत ढंग से मंत्रोच्चार के बीच पूजा की और इसके बाद प्रतिष्ठित काली बाड़ी में आरती में हिस्सा लिया। पंडाल में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं और आगंतुकों ने प्रधानमंत्री को अपने बीच पाकर जोरदार स्वागत किया। इस दौरान पूरे क्षेत्र में भारी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली और दिल्ली पुलिस ने कई मार्गों पर यातायात परामर्श जारी किया था।


प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

पूजा-अर्चना के बाद प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा –
“आज महाअष्टमी के पावन अवसर पर, मैं दुर्गा पूजा समारोह में भाग लेने के लिए दिल्ली के चित्तरंजन पार्क गया। चित्तरंजन पार्क बंगाली संस्कृति से अपने गहरे जुड़ाव के लिए जाना जाता है। यह समारोह वास्तव में हमारे समाज में एकता और सांस्कृतिक जीवंतता की भावना को दर्शाता है। मैंने सभी की खुशी और कल्याण के लिए प्रार्थना की।”

पीएम मोदी का यह संदेश न केवल धार्मिक आस्था बल्कि समाज में सांस्कृतिक सौहार्द और साझा परंपराओं के महत्व को भी उजागर करता है।


महाअष्टमी का महत्व

नवरात्रि के आठवें दिन यानी महाअष्टमी को शक्ति की उपासना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी रूप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि महाअष्टमी पर पूजा-अर्चना और हवन से साधक को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। बंगाली समुदाय में यह दिन खास महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन कुमार पूजा और संधि पूजा जैसी विशेष परंपराएं निभाई जाती हैं।


सीआर पार्क – दिल्ली का ‘मिनी बंगाल’

दिल्ली का चित्तरंजन पार्क, जिसे लोग प्यार से मिनी बंगाल भी कहते हैं, बंगाली समाज की सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र है। यहां हर साल दुर्गा पूजा का आयोजन इतने भव्य तरीके से होता है कि यह न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर बल्कि देशभर से ध्यान आकर्षित करता है।

सीआर पार्क के पंडालों में बंगाली परंपरा के अनुरूप मूर्तियां सजाई जाती हैं, विशाल स्टेज बनाए जाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यहां न सिर्फ बंगाली समुदाय बल्कि अन्य राज्यों और धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में शिरकत करते हैं। यही वजह है कि सीआर पार्क की दुर्गा पूजा अब दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।


रौनक, श्रद्धा और सुरक्षा

महाअष्टमी के मौके पर सीआर पार्क के पंडालों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। पूजा पंडालों के आसपास खाने-पीने के स्टॉल, पारंपरिक बंगाली व्यंजन, हस्तशिल्प और कपड़ों की दुकानें सज गईं। वहीं, ढाक की थाप और शंख की गूंज ने वातावरण को पूरी तरह भक्ति और उल्लास से भर दिया।

प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने इलाके में चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की। प्रवेश और निकास द्वारों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया और सीसीटीवी निगरानी बढ़ाई गई। स्थानीय निवासियों और पंडाल आयोजकों ने प्रधानमंत्री के आने को अपने लिए गौरव का क्षण बताया।


राजनीतिक और सामाजिक संकेत

प्रधानमंत्री मोदी का सीआर पार्क दौरा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं था, बल्कि इसमें गहरे राजनीतिक और सामाजिक संदेश भी निहित हैं। बंगाली संस्कृति को सम्मान देने के साथ-साथ यह दौरा सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बना। खासतौर पर ऐसे समय में जब देश में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं, प्रधानमंत्री का यह कदम बंगाली समाज के साथ जुड़ाव और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

इसके साथ ही, मोदी ने जिस तरह अपने संदेश में एकता और सांस्कृतिक जीवंतता का उल्लेख किया, वह भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब और विविधता में एकता की भावना को भी पुष्ट करता है।


देशभर से श्रद्धालु

सीआर पार्क की दुर्गा पूजा में हर साल की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचे। आयोजन समिति के सदस्यों का कहना है कि यह उत्सव अब दिल्ली की सीमाओं को पार कर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। कई विदेशी नागरिक भी यहां पारंपरिक परिधानों में नजर आए।

महाअष्टमी पर प्रधानमंत्री मोदी का सीआर पार्क में पूजा-अर्चना करना एक धार्मिक आयोजन से कहीं बढ़कर सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश का प्रतीक बना। इस दौरे ने जहां बंगाली समाज को गर्व का अहसास कराया, वहीं पूरे देश को यह संदेश भी दिया कि भारत की असली शक्ति उसकी सांस्कृतिक विविधता और एकता में निहित है।

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