
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी स्थित रामचंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (पीजी कॉलेज) विवाद पर बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य महिला आयोग की जांच पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने महिला आयोग और शिकायतकर्ता महिला प्रोफेसर को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा –
“जब मामला पहले से हाईकोर्ट में विचाराधीन है, तो महिला प्रोफेसर को राज्य महिला आयोग में जाने की क्या आवश्यकता थी?”
गौरतलब है कि महिला प्रोफेसर ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें अब भी प्रताड़ित किया जा रहा है।
विवाद की जड़ क्या है?
- मामला 14 अप्रैल को भीमराव आंबेडकर जयंती मनाने के आदेश से जुड़ा है।
- उच्च शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए थे कि समारोह उसी दिन मनाया जाए।
- लेकिन कॉलेज प्राचार्य ने कार्यक्रम 12 अप्रैल को ही आयोजित करने का आदेश दिया।
- इस पर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रमेश सिंह और उनकी पत्नी डॉ. विनीता ने आपत्ति दर्ज कराई।
- आरोप है कि इसी विरोध के चलते प्राचार्य ने डॉ. रमेश सिंह को दो साल पुराने यौन शोषण मामले का हवाला देकर जबरन अवकाश पर भेज दिया।
डॉ. रमेश सिंह का कहना है कि न तो इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज है और न ही कोई औपचारिक शिकायत। उन्होंने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर पहले ही रोक लग चुकी है।
तबादले पर भी हाईकोर्ट की रोक
उच्च शिक्षा विभाग ने 16 अप्रैल को आदेश जारी कर दोनों प्रोफेसरों को पिथौरागढ़ के बलुवाकोट डिग्री कॉलेज में अटैच कर दिया था।
- याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस पर भी रोक लगा दी थी।
- कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि “अधिकारी खुद को जज न समझें।”
आगे की राह
अब इस विवाद से जुड़ी सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए संबद्ध कर दिया गया है।
फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश के बाद:
- राज्य महिला आयोग की जांच पर रोक लग चुकी है।
- आयोग और शिकायतकर्ता महिला प्रोफेसर को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करना होगा।
यह मामला न सिर्फ उत्तरकाशी पीजी कॉलेज के अंदरूनी विवाद को उजागर करता है, बल्कि उच्च शिक्षा विभाग और महिला आयोग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।