
लखनऊ: उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के धराली में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बीच सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। एक ओर सेना और बचाव दल ज़िंदगियों को बचाने में युद्धस्तर पर जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एस.टी. हसन के विवादित बयान ने राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है।
मीडिया से बातचीत में एस.टी. हसन ने आपदा की वजह जंगलों में अंधाधुंध पेड़ कटाई को बताया, लेकिन साथ ही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मस्जिदों व मज़ारों के गिराए जाने को भी कारणों में गिना। उन्होंने कहा, “धराली में आई आपदा दुखद है, क्योंकि पूरा गांव मलबे में तब्दील हो गया है। इतनी बारिश भी नहीं हुई थी, फिर भी यह तबाही आई। हमें सोचना चाहिए कि वहां बार-बार आपदाएं क्यों आ रही हैं।”
एस.टी. हसन ने आगे कहा, “जंगलों के साथ नाइंसाफी हुई है, पेड़ों की कटाई से कटान बढ़ रहा है। साथ ही, वहां दूसरों के मजहब का सम्मान नहीं किया जा रहा। किसी भी धार्मिक स्थल—दरगाह, मस्जिद या मंदिर—पर बुलडोज़र नहीं चलना चाहिए। इस दुनिया को चलाने वाला कोई और है, और जब उसका इंसाफ होता है, तो इंसान खुद को नहीं बचा पाता।”
उनके इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी आपत्ति जताई है। बीजेपी के यूपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने इसे “जख्मों पर नमक-मिर्च लगाने वाला” बताया। त्रिपाठी ने कहा, “प्राकृतिक आपदा संपूर्ण मानवता के लिए दुखद होती है। इसे मजहबी खांचे में बांटना शर्मनाक है। समाजवादी पार्टी ऐसे नेताओं को दंडित करने के बजाय प्रोत्साहित करती है।”
धराली आपदा में अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। राहत व बचाव कार्य जारी है।