
नई दिल्ली। कर्नाटक की सत्ता के शीर्ष पदों को लेकर चल रही खींचतान अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच से निकलकर उनके अधिकारियों तक जा पहुंची है। दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में दोनों नेताओं के विशेष कार्य अधिकारियों के बीच शुक्रवार को तीखी झड़प हो गई, जो कथित तौर पर हाथापाई और ‘जूते उतारकर पीटने’ की धमकी तक जा पहुंची।
कौन-कौन आमने-सामने आया?
इस विवाद में
- मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के विशेष कार्य अधिकारी मोहन कुमार
- और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के विशेष कार्य अधिकारी एच. आंजनेया
एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए।
एच. आंजनेया ने इस संबंध में रेजिडेंट कमिश्नर और कर्नाटक के मुख्य सचिव को विस्तृत शिकायत पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने मोहन कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
🧾 शिकायत में क्या कहा गया है?
एच. आंजनेया का आरोप है कि
“मोहन कुमार लगातार मेरे कर्तव्यों में बाधा डालते आ रहे हैं और उन्होंने सार्वजनिक रूप से जूते उतारकर मुझे पीटने की धमकी दी।”
उन्होंने खुद को एक ग्रुप-बी अधिकारी बताते हुए आरोप लगाया कि यदि भविष्य में उनके साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी मोहन कुमार की होगी।
📚 सेवा पुस्तिका की जांच और विभागीय कार्रवाई की मांग
आंजनेया ने मांग की है कि मोहन कुमार की पिछली सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक) की गहन जांच की जाए और उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठाई जाए।
उनका कहना है कि यह अधिकारी न केवल वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति अनुशासनहीनता दिखाता है, बल्कि उसने उन्हें अपमानित करने की भी कोशिश की।
🔁 मोहन कुमार ने भी लगाए गंभीर आरोप
विवाद का दूसरा पक्ष यहीं नहीं रुका। मोहन कुमार ने भी आंजनेया पर कर्नाटक भवन में महिला कर्मचारियों के साथ अनुचित व्यवहार का आरोप लगाया है।
उनके अनुसार, इस मामले में महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई गई है।
📌 मुख्यमंत्री ने दी जांच की पुष्टि
इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा:
“ऐसा लगता है कि दोनों अधिकारियों के बीच कुछ हुआ है। मुझे भी शिकायतें मिली हैं, और जांच करवाई जाएगी।”
🏛️ राजनीतिक संदर्भ में भी देखा जा रहा है मामला
गौरतलब है कि यह विवाद ऐसे वक्त में सामने आया है जब सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार दिल्ली के दौरे पर हैं। इन नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद की अवधि को लेकर पहले से ही चर्चाएं चल रही हैं। यह झगड़ा अब सियासी गलियारों में इस अटकल को और हवा दे रहा है कि —
“क्या सिद्धारमैया अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे या फिर डीके शिवकुमार को बीच में मौका मिलेगा?”