
देहरादून। राजधानी देहरादून में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग को फर्जी क्राइम ब्रांच अधिकारी बनकर ठगों ने 18 लाख रुपये की बड़ी ठगी का शिकार बना लिया। ठगों ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी का डर दिखाकर बुजुर्ग से यह रकम वसूली। मामले में राजपुर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
फोन कॉल से शुरू हुई साजिश
घटना की शुरुआत 1 जुलाई को हुई, जब तुलास ग्रीन, सिनोला (राजपुर) निवासी सुभाष रस्तोगी को एक व्यक्ति ने फोन किया। उस शख्स ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम कंट्रोल सेल का वरिष्ठ अधिकारी बताया और कहा कि एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार आरोपी के बयान में मुंबई स्थित एक बैंक खाते में उनका नाम सामने आया है।
फोन करने वाले ने बताया कि उस खाते में 6.80 लाख रुपये जमा हैं, जिसका उपयोग अवैध कार्यों के लिए हो रहा है। जबकि बुजुर्ग ने स्पष्ट किया कि उनका कोई खाता मुंबई में नहीं है और उनका इकलौता बैंक खाता देहरादून में है।
धमकियों से सहमे बुजुर्ग, झांसे में आकर की रकम ट्रांसफर
बुजुर्ग ने अपनी उम्र, पारिवारिक हालात और अकेलेपन की बात करते हुए मदद मांगी, लेकिन ठगों ने लगातार धमकियां देना जारी रखा। वीडियो कॉल के जरिए कुछ लोगों ने खुद को पुलिस अधिकारी और न्यायाधीश बताते हुए गिरफ्तारी की चेतावनी दी।
डरे हुए बुजुर्ग अगले दिन मुरादाबाद से देहरादून पहुंचे और ठगों द्वारा दिए गए बैंक खातों में 18 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। आश्वासन दिया गया कि जांच पूरी होने पर राशि लौटा दी जाएगी।
ठगी का खुलासा और मुकदमा दर्ज
जब 7 जुलाई को बुजुर्ग ने बैंक में जाकर ट्रांजैक्शन की स्थिति पूछी, तो उन्हें पता चला कि कोई राशि वापस नहीं आई है। इसके बाद ठगों ने उनसे फिर से 15 लाख रुपये की मांग की।
बुजुर्ग ने अपने परिचितों से बातचीत की, जिसके बाद उन्हें ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने राजपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई। थाना प्रभारी शैंकी कुमार ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है और जिन खातों में पैसा भेजा गया, उनकी जांच की जा रही है।
साइबर ठगों से सतर्क रहने की अपील
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल, खासकर खुद को अधिकारी बताने वाले लोगों की बातों में न आएं। कोई भी कानूनी या वित्तीय कार्रवाई केवल सरकारी माध्यमों से ही की जाती है। संदिग्ध कॉल या गतिविधियों की तुरंत साइबर सेल या स्थानीय थाने में सूचना दें।