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उत्तराखंडदेश

गूंजी की नई सुबह: पूर्व आईपीएस विमला गुंज्याल बनीं देश के पहले ‘वाइब्रेंट विलेज’ की निर्विरोध ग्राम प्रधान

पिथौरागढ़: भारत-चीन सीमा के करीब बसा एक छोटा सा गांव — गूंजी। ऊँचे पहाड़ों और संकरे रास्तों के बीच बसी इस बस्ती ने इतिहास रच दिया है। यह गांव अब सिर्फ एक सीमांत ग्राम नहीं रहा, बल्कि यह देश के पहले ‘वाइब्रेंट विलेज’ के रूप में एक प्रेरक मिसाल बन गया है। और इस कहानी की नायिका हैं — पूर्व आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल, जो अब इस गांव की निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनी गई हैं।

एक अफसर से जननेता बनने की यात्रा

विमला गुंज्याल ने 35 साल तक पुलिस विभाग की सेवा की। उत्तर प्रदेश और फिर उत्तराखंड में अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से उन्होंने उच्च पदों तक का सफर तय किया। 2025 में वह आईजी विजिलेंस के पद से सेवानिवृत्त हुईं, और अब उसी धरती की सेवा में जुटने को तैयार हैं, जहां उनका बचपन बीता था।

यह कोई साधारण पद नहीं — यह ज़िम्मेदारी है उस इलाके की, जहां हर कदम पर चुनौती है: मौसम, दूरी, संसाधनों की कमी और सीमांत जीवन की कठिनाइयाँ।

कैसे हुआ निर्विरोध निर्वाचन?

पंचायत चुनावों में आमतौर पर प्रतिस्पर्धा की होड़ रहती है, लेकिन गूंजी में विमला गुंज्याल के नाम के सामने सबने झुकने का फैसला लिया। नामांकन के अंतिम दिन तक जिन पांच ग्रामीणों ने पर्चा खरीदा था, उन्होंने अपने नाम वापिस ले लिए। ग्राम मिलन केंद्र में हुई एक बैठक में सर्वसम्मति से तय हुआ — गांव की सेवा अब विमला दीदी ही करेंगी।

निर्वाचन अधिकारी प्रमोद मिश्रा ने पुष्टि की, “नामांकन के अंतिम दिन कोई पर्चा दाखिल नहीं हुआ, और विमला गुंज्याल को निर्विरोध प्रधान घोषित कर दिया गया।”

यह आजादी के बाद गूंजी गांव में पहली बार हुआ, जब किसी को बगैर वोटिंग के चुना गया — और वह भी एक महिला, पूर्व आईपीएस अधिकारी


‘वाइब्रेंट विलेज’ को मिली नई उम्मीद

गूंजी गांव केंद्र सरकार की ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना में शामिल है, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती गांवों को आधुनिक सुविधाओं, स्थायी आजीविका और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाना है। ऐसे में एक अनुभवी और राष्ट्रसेवी अधिकारी का नेतृत्व मिलना, न सिर्फ इस गांव बल्कि नीति निर्माताओं के लिए भी एक पॉजिटिव केस स्टडी बन गया है।

सेवानिवृत्त नहीं, फिर से सक्रिय

अपने चुनाव के बाद मीडिया से बात करते हुए विमला गुंज्याल ने कहा:

“यह सेवा अब मेरे वर्दी के बाहर की ड्यूटी है। मैं गांव में स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करूंगी। यह मेरी जड़ों की ओर वापसी है।”


एक परिवार, एक सोच: समाज सेवा

विमला गुंज्याल का परिवार भी सेवा भाव से जुड़ा है।

  • पति अशोक गुंज्याल, खादी ग्रामोद्योग आयोग से सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर।
  • बेटी अर्पिता वकील हैं, दूसरी बेटी व्यवसाय में।
  • बेटा शिवांग, पेशे से डॉक्टर है।

यह एक ऐसा परिवार है, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में समाज के लिए कार्य किया — अब वह अनुभव गूंजी की तरक्की में लगेगा।


गांव में उमंग, भरोसा और आत्मविश्वास

गांव की गलियों में सिर्फ चहल-पहल नहीं, एक नया भरोसा दौड़ रहा है
पूर्व प्रधान सुरेश गुंज्याल ने कहा,

“पहली बार लग रहा है कि हमारा गांव देश में एक उदाहरण बन सकता है।”

स्थानीय महिलाएं कहती हैं,

“विमला दीदी के आने से हमें लगता है कि हमारे बच्चों का भविष्य बदलेगा।”


गूंजी — एक गांव, एक विचार, एक उदाहरण

उत्तराखंड के सुदूर सीमांत क्षेत्र का यह गांव अब राष्ट्र निर्माण की एक प्रयोगशाला बन चुका है। विमला गुंज्याल का निर्विरोध चुना जाना हमें यह याद दिलाता है कि नेतृत्व सिर्फ भाषण से नहीं, चरित्र और सेवा से उभरता है।

यह सिर्फ एक पंचायत चुनाव नहीं था — यह था विकास, भरोसे और जमीनी लोकतंत्र की जीत का.

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