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सेब के बाद अब तुर्की से नहीं आएगा मार्बल, व्यापारियों ने पाकिस्तान को समर्थन देने वालों के खिलाफ उठाया कदम

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नई दिल्ली : भारत में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी हमले के बाद उपजे तनाव ने अब व्यापारिक मोर्चे पर भी असर दिखाना शुरू कर दिया है। पहलवान में हुए आतंकी हमले के बाद जहां देशभर में गुस्सा देखा जा रहा है, वहीं तुर्की द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन करने के बाद भारतीय व्यापारियों ने तुर्की के खिलाफ आर्थिक मोर्चा खोल दिया है।

भारत में तुर्की से सबसे अधिक मार्बल आयात किया जाता है। लेकिन अब उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स कमेटी ने स्पष्ट किया है कि वह तुर्की के साथ किसी भी प्रकार का नया व्यापार नहीं करेगी।
कमेटी के अध्यक्ष कपिल सुराना ने बताया,

“भारत सरकार अकेली नहीं है, पूरा व्यापारी वर्ग देश के साथ खड़ा है। तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किया जाना स्वीकार्य नहीं है। हम तुर्की से मार्बल आयात तत्काल प्रभाव से बंद कर रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि अभी तक भारत में आयात होने वाला लगभग 70% मार्बल तुर्की से आता रहा है। लेकिन अब इस पर व्यवस्थित रोक लगाने का फैसला किया गया है।

उदयपुर, जिसे एशिया का सबसे बड़ा मार्बल केंद्र माना जाता है, वहां से लिया गया यह फैसला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा संकेत माना जा रहा है। सुराना ने कहा,

“यदि सभी एसोसिएशन इस फैसले में हमारे साथ आते हैं, तो यह तुर्की और दुनिया के लिए एक स्पष्ट संदेश होगा कि भारत सिर्फ सैन्य नहीं, आर्थिक मोर्चे पर भी ठोस निर्णय लेने में सक्षम है।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारतीय मार्बल और अन्य विकल्पों की मांग अब बढ़ेगी, जिससे घरेलू उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

इससे पहले पुणे के व्यापारियों ने भी तुर्की और पाकिस्तान से सेब आयात न करने की घोषणा की थी। व्यापारियों ने इसके स्थान पर हिमाचल, उत्तराखंड और ईरान से सेब मंगाने का निर्णय लिया है।

पहलवान हमले के बाद भारत ने स्पष्ट किया कि वह अब आतंकवाद को लेकर नरम रवैया नहीं अपनाएगा। भारत ने आतंकवादियों के ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कार्रवाई की। इस बीच तुर्की की ओर से पाकिस्तान का समर्थन किए जाने पर भारत में नाराजगी और गहरा गई।

वाणिज्यिक क्षेत्र में यह पहला बड़ा जवाब है जिसमें व्यापारी समुदाय ने सीधा आर्थिक बहिष्कार का रास्ता अपनाया है।

भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और व्यापारिक हित अब आपस में और अधिक गहराई से जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। तुर्की के खिलाफ उठाया गया यह व्यापारिक कदम आने वाले दिनों में भारत के आर्थिक राष्ट्रीयवाद की और मिसालें प्रस्तुत कर सकता है।

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