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भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम पर सहमत, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से बनी सहमति

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नई दिल्ली/इस्लामाबाद/वॉशिंगटन – भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव के बीच एक बड़ी राजनयिक सफलता सामने आई है। दोनों देश अब पूर्ण युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। इस बात की पुष्टि सबसे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व ट्विटर) पर की।

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आधिकारिक पोस्ट में लिखा, “रातभर अमेरिका की मध्यस्थता में चली लंबी बातचीत के बाद मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान तुरंत और पूरी तरह युद्धविराम के लिए तैयार हो गए हैं। मैं दोनों देशों को समझदारी और व्यावहारिकता से भरा यह फैसला लेने के लिए बधाई देता हूं।”

अमेरिका की गहन कूटनीतिक भूमिका

ट्रंप के दावे के बाद अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रुबियो ने भी पुष्टि की कि पिछले 48 घंटों में अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं व सुरक्षा अधिकारियों से संपर्क कर इस समझौते को अंतिम रूप दिया। रुबियो ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ, विदेश मंत्री इशाक डार व सेना प्रमुख असीम मुनीर से संवाद हुआ।

भारत और पाकिस्तान की भी पुष्टि

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी दी कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि भारत शांति और स्थिरता के पक्ष में है, लेकिन किसी भी उकसावे का जवाब देने की नीति में बदलाव नहीं होगा।

वहीं, पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने भी एक्स पर पोस्ट कर पुष्टि की कि पाकिस्तान भारत के साथ “तत्काल प्रभाव से पूर्ण युद्धविराम” के लिए सहमत हो गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से क्षेत्रीय शांति के लिए प्रतिबद्ध रहा है, बशर्ते उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता न किया जाए।

इस घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति में राहत की उम्मीद जगी है। हाल के दिनों में नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी, ड्रोन हमलों और सैन्य मोर्चों पर सक्रियता बढ़ने के बाद यह युद्धविराम एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है।

हालांकि, दोनों देशों की जनता और विश्लेषकों की निगाह अब इस बात पर है कि इस सहमति का ज़मीनी असर कितना स्थायी और प्रभावी होगा।

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