नई दिल्ली: बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने आरोप लगाया है कि ज़ी के संस्थापक सुभाष चंद्रा और उनके पुत्र पुनीत गोयनका ने कर्ज़ों की फ़र्ज़ी वसूली के लिए कंपनियों के बेहद जटिल समूह का इस्तेमाल किया और ‘खुद के फ़ायदे के लिए’ रकम निकाली. सेबी ने एक अंतरिम आदेश में चित्र और फ्लोचार्ट का इस्तेमाल कर दर्शाया है कि ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड ज़ील और एसेल समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों से हासिल रकम को सुभाष चंद्रा के परिवार के स्वामित्व या नियंत्रण वाली कंपनियों के ज़रिये भेजा गया था. आखिरकार, इन रकमों को ज़ील को यह दिखाने के लिए वापस स्थानांतरित कर दिया गया कि उसकी सहयोगी कंपनियों ने कर्ज़ का भुगतान कर दिया है.
बाज़ार नियामक का आरोप है कि, “रकम का ऊपर दिखाया गया प्रवाह साफ़-साफ़ इशारा करता है कि ज़ील द्वारा रकम की कोई वास्तविक प्राप्ति नहीं हुई थी और यह रकम की प्राप्ति दिखाने के लिए केवल बही में की गई प्रविष्टियां थीं” सेबी ने कहा कि ऐसा लगता है कि ज़ील के “अपने फंड/एस्सेल ग्रुप की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों के फंड का इस्तेमाल यह आभास देने के लिए किया गया था कि सहायक कंपनियों ने वास्तव में ज़ील को दिए गए पैसे को वापस कर दिया था” ज़ी के दो स्वतंत्र निदेशकों के वर्ष 2019 में दिए गए इस्तीफ़े के बाद सेबी ने यह जांच शुरू की थी. और कहा है कि सुभाष चंद्रा ने वर्ष 2018 में यस बैंक से समूह की कुछ कंपनियों द्वारा प्राप्त की गई क्रेडिट सुविधाओं के लिए एक लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया था.