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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भारत सहित कई देशों को “जेनोफोबिक” बताने पर, जयशंकर ने दिया ये जवाब

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भारत सहित कई देशों को “जेनोफोबिक” बताने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज टिप्पणी की. इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए जयशंकर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत हमेशा विविध समाजों के लोगों के लिए खुला और स्वागत करने वाला रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2 मई को कहा था, “आप जानते हैं, हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ने का एक कारण आप और कई अन्य लोग हैं. क्यों? क्योंकि हम अप्रवासियों का स्वागत करते हैं. हम इसके पीछे कारण की तलाश कर रहे हैं…इसके बारे में सोचें कि क्यों चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह से रुक गया है? जापान को परेशानी क्यों हो रही है? भारत को क्यों परेशानी हो रही है? क्योंकि वे अप्रवासी नहीं चाहते. वे “जेनोफोबिक” हैं.

जेनोफोबिक” पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा, “भारत हमेशा से एक बहुत ही अनोखा देश रहा है… मैं वास्तव में कहूंगा, दुनिया के इतिहास में, यह एक ऐसा समाज रहा है, जो बहुत खुला रहा है… विभिन्न समाजों से अलग-अलग लोग भारत आते हैं.” जयशंकर ने अपनी बात रखने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (जिसे आम तौर पर सीएए कहा जाता है) का उदाहरण दिया. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा पेश किया गया सीएए भारत के स्वागत योग्य दृष्टिकोण को दर्शाता है. यही कारण है कि हमारे पास सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) है, जो मुसीबत में फंसे लोगों के लिए दरवाजे खोलने के लिए है… मुझे लगता है कि हमें उन लोगों के लिए खुले रहना चाहिए, जिन्हें भारत आने की जरूरत है.

राष्ट्रपति बाइडेन की भारत, जापान और अन्य देशों को “जेनोफोबिक” बताने वाली टिप्पणी के कूटनीतिक नतीजों को रोकने के लिए, व्हाइट हाउस ने एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें सहयोगियों और भागीदारों के लिए उनके “सम्मान” पर जोर दिया गया.

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