
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के धराली गांव में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा के बाद प्रशासन ने राहत और पुनर्वास कार्य युद्धस्तर पर शुरू कर दिए हैं। बादल फटने और तेज बारिश से आई भीषण तबाही में कई मकान, खेत-खलिहान और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं, जबकि कई होटल और होमस्टे भी मलबे में समा गए। आपदा के बाद प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ-साथ त्वरित सहायता देने की प्रक्रिया प्रारंभ की।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने जानकारी दी कि एसडीआरएफ (State Disaster Response Fund) मानकों के तहत पात्र सभी प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत राशि वितरित कर दी गई है। इसमें घर के पूर्ण या आंशिक क्षतिग्रस्त होने, कृषि भूमि और फसल के नुकसान सहित पशुधन क्षति का भी प्रावधान शामिल है। साथ ही, नुकसान का विस्तृत आकलन जारी है, जिसमें राजस्व, कृषि, पशुपालन और आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें संयुक्त रूप से कार्य कर रही हैं। अधिकारियों का लक्ष्य है कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर सभी पात्र प्रभावितों को शेष मुआवजा राशि भी उपलब्ध करा दी जाए।
प्रभावित परिवारों के भोजन की व्यवस्था के लिए गांव में कम्युनिटी किचन संचालित किया जा रहा है। यहां तीनों समय का पका हुआ भोजन, सूखा राशन, पीने का पानी, दूध, आपातकालीन लाइट, कपड़े और अन्य आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा रही है। एनजीओ और स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर प्रशासन राहत सामग्री वितरण में तेजी ला रहा है।
गांव में बिजली आपूर्ति और नेटवर्क सेवाएं बहाल कर दी गई हैं, जिससे लापता लोगों से संपर्क स्थापित हो रहा है। पहले जहां कई लोग लापता बताए जा रहे थे, वहीं अब संपर्क होने के बाद यह संख्या घटने लगी है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी लगातार प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर रही हैं, ताकि किसी भी तरह की महामारी या जलजनित बीमारी का खतरा न हो।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना की है, हालांकि कई लोगों का कहना है कि पुनर्निर्माण का कार्य जल्द शुरू किया जाए, क्योंकि गांव की कई सड़कें और पुल अभी भी क्षतिग्रस्त हैं।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि आपदा प्रभावित हर व्यक्ति तक मदद पहुंचाना प्रशासन की प्राथमिकता है और इसके लिए सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम पूरी क्षमता और संसाधनों के साथ इस आपदा से प्रभावित प्रत्येक परिवार की मदद करेंगे। राहत और पुनर्वास कार्य में किसी भी स्तर पर देरी नहीं होगी।”
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तरकाशी जैसे पर्वतीय जिलों में इस तरह की आपदाओं का खतरा लगातार बढ़ रहा है, जिसके लिए दीर्घकालिक आपदा प्रबंधन और पूर्व चेतावनी प्रणाली को और सशक्त करने की आवश्यकता है। साथ ही, सुरक्षित आवास निर्माण और नदी किनारे के इलाकों में नियंत्रित निर्माण पर भी बल दिया जा रहा है।
धराली आपदा ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाएं कितनी व्यापक तबाही ला सकती हैं, लेकिन साथ ही यह भी दिखाया है कि यदि प्रशासन और समाज मिलकर त्वरित प्रतिक्रिया दें, तो राहत और पुनर्वास कार्य प्रभावी ढंग से संभव हो सकता है।