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उत्तराखण्ड : अब महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण पर भी बना कानून

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उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन महिला क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण विरोधी विधेयक सदन में पास किए। अब ये दोनों कानून बन गए हैं। ओर जल्द इन्हें लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। सदन में आज छह नए विधेयक रखे गए थे। ओर पहले दिन सदन के पटल पर दस विधेयक आए थे। सरकार ने राजकीय सेवाओं में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने के लिए विधानसभा में मंगलवार को विधेयक पेश किया था। बुधवार को इस पर चर्चा के बाद इसे पास कर दिया गया। क्षैतिज आरक्षण का लाभ उस महिला अभ्यर्थी को मिलेगा, जिसका मूल अधिवास उत्तराखंड में है, लेकिन उसने अन्य कहीं कोई स्थायी अधिवास प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। यह लाभ उन महिलाओं को भी मिलेगा जिनके पास राज्य में स्थायी अधिवास प्रमाण पत्र है…

कल यानी मंगलवार को मंत्री सतपाल महाराज ने सदन में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया था। इस विधेयक में सामूहिक धर्मपरिवर्तन का दोष सिद्ध होने पर 10 साल की गैरजमानती सजा का प्रावधान किया गया है। बुधवार को ये विधेयक पास हो गया है। उत्तराखंड राज्य में ऐसा करने पर दो से सात साल की सजा होगी और 25 हजार जुर्माना होगा। सामूहिक धर्मांतरण के मामले में अब तीन से दस साल तक की सजा होगी, पहले अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान था। साथ ही पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से पांच लाख रुपये की प्रतिपूर्ति भी मिल सकेगी। प्रदेश में धर्मांतरण का कानून अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आ गया है..

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