
देहरादून। उत्तराखंड में पिछले वर्ष संपन्न हुई प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर शिक्षा विभाग ने बड़ा और सख्त कदम उठाया है। राज्य में 2906 पदों के सापेक्ष नियुक्त किए गए 2316 सहायक अध्यापकों के शैक्षणिक और निवास संबंधी दस्तावेजों की अब व्यापक और राज्यव्यापी जांच की जाएगी। हाल ही में सौ से अधिक शिक्षकों के स्थायी निवास प्रमाण पत्रों में गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
दो राज्यों के स्थायी निवास प्रमाण पत्र का मामला उजागर
शिक्षा विभाग व संबंधित सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कई प्राथमिक शिक्षकों ने डीएलएड (D.El.Ed) प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाया था। बाद में उत्तराखंड में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के समय उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया।
प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कुछ अभ्यर्थियों ने एक ही समयावधि में दो अलग-अलग राज्यों के स्थायी निवास प्रमाण पत्रों का उपयोग किया, जो भर्ती नियमों और सेवा शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन माना जा रहा है।
जिला स्तर पर जांच, शिक्षकों को जारी हो रहे नोटिस
शिक्षा विभाग ने सभी जनपदों को निर्देश जारी कर जिला स्तर पर दस्तावेजों की गहन जांच शुरू कर दी है। अब तक 136 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
जनपदवार स्थिति इस प्रकार है—
- टिहरी गढ़वाल: 42 शिक्षक
- चमोली: 28 शिक्षक
- पौड़ी गढ़वाल: 59 शिक्षक
इसके अलावा ऊधम सिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल जनपदों में भी करीब 200 शिक्षकों के दस्तावेजों पर संदेह जताया गया है, जिनकी जांच प्रक्रिया प्रारंभ की जा रही है।
हरिद्वार में 42 मामलों की जांच पूरी
प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अजय नौडियाल ने बताया कि हरिद्वार जनपद में पहले ही 42 शिक्षकों के मामलों की जांच पूरी की जा चुकी है। अन्य जिलों में भी हालिया नियुक्तियों को लेकर दस्तावेजों की पड़ताल तेज कर दी गई है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में प्राथमिक शिक्षकों के 2906 रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्त सभी सहायक अध्यापकों के प्रमाण पत्रों की पूरी तरह से जांच की जाएगी।
दोषी पाए जाने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
शिक्षा निदेशक ने दो टूक शब्दों में कहा कि जांच पूरी होने के बाद यदि कोई भी शिक्षक नियमों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसके खिलाफ सेवा नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें नियुक्ति निरस्त करने से लेकर अन्य विभागीय दंडात्मक कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।
भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर उठे सवाल
इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद राज्य की प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि भविष्य में ऐसी किसी भी अनियमितता को रोकने के लिए दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक सख्त किया जाएगा।
सरकार की सख्त निगरानी
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है और शिक्षा विभाग से नियमित रिपोर्ट तलब की जा रही है। उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि योग्य और नियमों के अनुरूप अभ्यर्थियों को ही शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा बनने का अवसर मिले।



