उत्तराखंडफीचर्ड

उत्तराखंड शिक्षा विभाग की आउटसोर्सिंग भर्ती पर बवाल: RRP का आरोप—“भ्रष्टाचार और युवाओं के साथ अन्याय”, आंदोलन की चेतावनी

देहरादून। उत्तराखंड शिक्षा विभाग में बाहरी आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से हो रही भर्तियों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी (RRP) ने इसे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ नाइंसाफी करार दिया है और सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इन भर्तियों पर तत्काल रोक नहीं लगाई गई तो प्रदेशभर में आंदोलन छेड़ा जाएगा।

किस भर्ती पर मचा विवाद?

शिक्षा विभाग में इस समय चतुर्थ श्रेणी के लगभग 2300 पदों और राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों में करीब 140 योग प्रशिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। सरकार ने यह भर्ती प्रदेश की सरकारी एजेंसियों की बजाय बाहरी प्राइवेट आउटसोर्सिंग कंपनियों को सौंप दी है। इसी फैसले को लेकर RRP ने मोर्चा खोल दिया है।

RRP का बड़ा आरोप: ‘रिश्वत और घोटाले का खेल’

RRP के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रसाद सेमवाल का कहना है कि जिन बाहरी एजेंसियों को यह जिम्मेदारी दी गई है, वे पूरी प्रक्रिया को रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का अड्डा बना रही हैं। उन्होंने दावा किया कि भर्ती से जुड़े कई ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिनसे साफ पता चलता है कि पैसे लेकर उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है।

“यह भर्ती प्रक्रिया युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। योग्य और मेहनती अभ्यर्थियों को नजरअंदाज करके सिर्फ पैसे वालों को मौका दिया जा रहा है। यह सीधा-सीधा अन्याय है।”
—शिव प्रसाद सेमवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी

आरक्षण और पारदर्शिता पर सवाल

पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि बाहरी एजेंसियों की इस प्रक्रिया में एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस और महिला अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव हो रहा है। सेमवाल ने कहा कि जब पारदर्शिता ही खत्म हो जाएगी तो आरक्षण का लाभ भी सही उम्मीदवारों तक नहीं पहुंचेगा।

प्रदेश की सरकारी एजेंसियों को दरकिनार क्यों?

RRP ने सवाल उठाया है कि जब उत्तराखंड में पहले से ही सेवायोजन कार्यालय, उपनल (UPNL) और पीआरडी जैसी सरकारी आउटसोर्सिंग एजेंसियां मौजूद हैं, तो फिर राज्य सरकार ने बाहरी प्राइवेट एजेंसियों को क्यों तवज्जो दी? पार्टी का कहना है कि यह फैसला न केवल युवाओं के अधिकारों पर चोट है बल्कि प्रदेश की सरकारी व्यवस्थाओं को भी कमजोर करने वाला है।

भ्रष्ट एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट करने की मांग

RRP अध्यक्ष ने मांग की कि सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो की तत्काल उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। इसके साथ ही जिन एजेंसियों पर रिश्वतखोरी के आरोप सिद्ध होते हैं, उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाए। सेमवाल ने कहा कि इस मामले को दबाने की कोशिश की गई तो पार्टी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगी।

युवाओं में गुस्सा और निराशा

भर्ती प्रक्रिया को लेकर प्रदेश के युवा भी गुस्से में हैं। सोशल मीडिया पर लगातार #OutsourcingScam और #JusticeForYouth जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। बेरोजगार युवाओं का कहना है कि उन्हें पहले से ही सीमित अवसर मिलते हैं और अब भ्रष्ट आउटसोर्सिंग एजेंसियों ने उनकी उम्मीदों को पूरी तरह तोड़ दिया है।

राजनीतिक असर और विपक्ष का हमला

विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आने वाले महीनों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। विपक्षी दल भी सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। यदि भर्तियों को लेकर पारदर्शिता साबित नहीं हुई तो राज्य सरकार पर युवाओं के भरोसे को तोड़ने का आरोप लगेगा, जिसका सीधा असर आगामी चुनावों में देखने को मिल सकता है।

सरकार की ओर से क्या कहा गया?

फिलहाल राज्य सरकार की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि सरकार भर्ती प्रक्रिया को लेकर आरोपों की समीक्षा कर रही है और यदि कहीं गड़बड़ी पाई गई तो सख्त कार्रवाई होगी।

आंदोलन की चेतावनी

RRP ने साफ कर दिया है कि यदि सरकार ने तत्काल रोक और जांच के आदेश नहीं दिए तो पार्टी पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करेगी। पार्टी का कहना है कि यह मुद्दा सिर्फ भर्ती का नहीं बल्कि प्रदेश के युवाओं के सम्मान और भविष्य का है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button