उत्तराखंडफीचर्ड

Uttarakhand: बच्चों के लिए प्रतिबंधित कफ सिरप पर, सख्त हुई धामी सरकार

राज्यभर में औषधि विभाग का औचक निरीक्षण अभियान, मेडिकल स्टोरों से जब्त किए गए पेडियाट्रिक कफ सिरप, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बोले — “जनस्वास्थ्य सर्वोपरि, प्रदेशवासियों को मिलें सुरक्षित और प्रमाणित औषधियाँ”

देहरादून, 07 अक्टूबर 2025: बच्चों की सेहत से किसी भी प्रकार का जोखिम न उठे, इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत प्रतिबंधित पेडियाट्रिक कफ सिरप के खिलाफ प्रदेशभर में सघन अभियान शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) की टीमें सभी जनपदों में औचक निरीक्षण कर रही हैं।

देहरादून क्षेत्र में विभाग की टीमों ने कई मेडिकल स्टोरों और शिशु रोग (Paediatric) अस्पतालों के मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण किया। इस दौरान Dextromethorphan Hydrobromide, Chlorpheniramine Maleate और Phenylephrine Hydrochloride युक्त कफ सिरप्स का भंडारण पाया गया, जिन्हें तुरंत जब्त कर लिया गया। सभी नमूनों को राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भेजा गया है, जहाँ उनकी गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों की जांच की जाएगी।


देहरादून में औचक निरीक्षण अभियान तेज

स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार के निर्देशों और अपर आयुक्त (एफडीए) एवं ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में यह अभियान चलाया जा रहा है।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कुछ मेडिकल स्टोरों में प्रतिबंधित फॉर्मूले वाले पेडियाट्रिक कफ सिरप्स मौजूद थे। विभाग ने फॉर्म-17 के तहत छह नमूने एकत्रित कर राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशाला को भेज दिए हैं।

ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि जिन औषधियों का भंडारण पाया गया है, वे बच्चों के लिए असुरक्षित मानी गई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट है — “बच्चों की सेहत के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”


सख्त निगरानी और नियमों के पालन पर जोर

निरीक्षण के दौरान विभाग ने यह भी पाया कि Coldrif, Respifresh TR, Relife जैसे कफ सिरप किसी भी मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध नहीं थे। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि विभाग का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि प्रदेश में केवल अनुमोदित और चिकित्सकीय रूप से सुरक्षित औषधियाँ ही बिकें।

साथ ही, सभी औषधि विक्रेताओं को चेतावनी दी गई है कि बिना अनुमति या प्रतिबंधित औषधियों का भंडारण मिलने पर खाद्य, औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


मुख्यमंत्री धामी: “सुरक्षित औषधि आपूर्ति सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता”

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेशवासियों को सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणित औषधियाँ उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि औषधि विक्रेताओं और अस्पतालों के स्टोरों की नियमित सैंपलिंग और जांच की जाए।
सीएम धामी ने कहा,

“प्रदेश में किसी भी मेडिकल स्टोर या अस्पताल में प्रतिबंधित दवाओं का भंडारण मिलने पर तत्काल कार्रवाई होगी। औषधि सुरक्षा जनस्वास्थ्य की पहली शर्त है।”


स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की चेतावनी

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि औषधि विभाग का यह अभियान जनस्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा,

“किसी भी स्तर पर लापरवाही या नियम उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग को हर जिले में सक्रिय रहकर औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी।”

उन्होंने आम जनता से भी अपील की कि वे किसी भी संदिग्ध या बिना लेबल वाली दवा की सूचना तत्काल औषधि विभाग को दें ताकि त्वरित कार्रवाई की जा सके।


निरीक्षण टीम ने किया नेतृत्व

इस औचक निरीक्षण अभियान का नेतृत्व उप औषधि नियंत्रक हेमंत सिंह नेगी ने किया।
टीम में सहायक औषधि नियंत्रक सुधीर सिंह, औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा, श्रीमती निधि रतूड़ी, और विनोद जगुड़ी शामिल रहे।
टीम ने बताया कि यह अभियान आगे भी लगातार जारी रहेगा और प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल स्टोरों की निगरानी एवं निरीक्षण सघन रूप से किया जाएगा ताकि आमजन तक केवल सुरक्षित, मानक और प्रमाणित औषधियाँ ही पहुंचें।


जनजागरूकता की भी पहल

एफडीए विभाग जल्द ही उपभोक्ताओं और औषधि विक्रेताओं के बीच “सुरक्षित औषधि, सुरक्षित जीवन” विषय पर जनजागरूकता अभियान भी शुरू करेगा। इसके तहत लोगों को यह बताया जाएगा कि किसी भी औषधि को खरीदते समय निर्माण तिथि, बैच नंबर, निर्माता का नाम और लाइसेंस नंबर अवश्य जांचें।


मुख्यमंत्री धामी का स्पष्ट संदेश: बच्चों के स्वास्थ्य और जीवन की सुरक्षा सर्वोच्च है। सरकार हर स्तर पर सतर्क है और कोई भी मिलावटखोर या नियम उल्लंघन करने वाला व्यक्ति कानून के शिकंजे से बच नहीं सकेगा।”


कार्यालय: जिला सूचना अधिकारी, देहरादून।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button