
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ चल रहे एक लंबे और चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन में भारतीय सेना को बड़ा नुकसान हुआ है। पिछले नौ दिनों से जारी मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए हैं। सेना के अधिकारियों का कहना है कि यह हाल के वर्षों में घाटी का सबसे लंबा आतंकवाद-रोधी अभियान है।
मुठभेड़ की शुरुआत कैसे हुई
सुरक्षा एजेंसियों को पिछले सप्ताह उत्तरी कश्मीर के एक घने जंगल क्षेत्र में आतंकियों की मौजूदगी की पुख्ता खुफिया जानकारी मिली थी। इसके बाद सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने संयुक्त रूप से सर्च ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन के शुरुआती दिन में ही आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ में तब्दील हो गया।
नौ दिनों का कठिन अभियान
पिछले नौ दिनों से जारी इस मुठभेड़ के दौरान मौसम की खराबी, घना जंगल और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके ने सुरक्षा बलों के लिए अभियान को और कठिन बना दिया। अधिकारियों के अनुसार, अब तक कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया जा चुका है, लेकिन खुफिया रिपोर्ट में 2-3 आतंकियों के अब भी इलाके में छिपे होने की आशंका है।
दो जवानों का बलिदान
सेना ने बताया कि गुरुवार देर रात हुई मुठभेड़ में दो बहादुर जवान गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें तुरंत नजदीकी सैन्य अस्पताल पहुंचाया गया। इलाज के दौरान दोनों ने अंतिम सांस ली। सेना ने दोनों शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और आतंकवाद का पूरी तरह सफाया किया जाएगा। शहीदों की पहचान और उनके परिजनों को सूचना देने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
सेना की रणनीति और सावधानियां
सुरक्षा बल क्षेत्र में ड्रोन और नाइट विज़न उपकरणों की मदद से तलाशी अभियान चला रहे हैं। इलाके में कड़ी घेराबंदी है ताकि आतंकियों के भागने के रास्ते पूरी तरह बंद हों। सेना ने स्थानीय निवासियों से अपील की है कि वे ऑपरेशन जोन से दूर रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना दें।
आतंकवाद विरोधी अभियानों का रिकॉर्ड
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2024 में जम्मू-कश्मीर में 100 से अधिक आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए गए, जिनमें करीब 170 आतंकी ढेर किए गए। हालांकि, इस दौरान सेना और अर्धसैनिक बलों के 30 से अधिक जवानों ने अपने प्राण न्यौछावर किए। इस साल अब तक का यह अभियान सबसे लंबा और कठिन माना जा रहा है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
मुठभेड़ प्रभावित इलाकों में दहशत का माहौल है। कई गांवों के लोग अपने घर छोड़कर रिश्तेदारों के पास चले गए हैं। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों ने सुरक्षा बलों के साहस और सतर्कता की सराहना करते हुए कहा है कि आतंकियों का सफाया ही स्थायी शांति की कुंजी है।
भविष्य की चुनौतियां
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि घाटी में सीमापार से घुसपैठ की कोशिशें अब भी जारी हैं, खासकर पहाड़ी और जंगल क्षेत्रों के रास्तों से। ऐसे में लंबे और जटिल अभियानों का सामना करने के लिए सुरक्षा बलों को और उन्नत तकनीक और उपकरणों की जरूरत होगी।