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नई दिल्ली : सीमा शुल्क कानून और GST के तहत गिरफ्तारी की शक्ति वैध – सीजेआई की अध्यक्षता में अदालत का फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि वस्तु एवं GST व सीमा शुल्क से जुड़े मामलों में FIR दर्ज नहीं होने पर भी व्यक्ति अग्रिम जमानत की मांग कर सकता है। धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) सहित अन्य कानूनों के तहत गिरफ्तारी पर लागू सुरक्षा उपाय इन मामलों में भी लागू होंगे। हालांकि, पीठ ने संशोधित सीमा शुल्क कानून व जीएसटी के तहत गिरफ्तारी की शक्ति की सांविधानिक वैधता को बरकरार रखा।

सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश व जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने गिरफ्तारी की शक्ति को चुनौती वाली याचिका खारिज कर दी। 63 पन्नों के आदेश में पीठ ने कहा, संशोधित कानून में स्पष्ट है कि गिरफ्तारी के अधिकार का इस्तेमाल कब व कैसे करना है। पीठ ने कुछ फैसलों का भी हवाला दिया कि सीमा शुल्क अधिकारी पुलिस अफसर नहीं हैं, फिर भी उनके पास जांच करने व गिरफ्तारी का वैधानिक अधिकार है।

शीर्ष अदालत ने जीएसटी व कस्टम कानून के तहत गिरफ्तारी के खिलाफ सुरक्षा उपाय भी जारी किए। कहा, अधिकारियों को अपराध के मामले में कार्यवाही शुरू करने से पहले, ऐसा कदम उठाने के कारण स्थापित करना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला व्यवसाय और व्यापारियों के उत्पीड़न को रोकने में मददगार होगा।

पीठ ने कहा कि व्यक्ति को गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए अदालत जाने का अधिकार है। यहां तक कि उन मामलों में भी जहां कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई हो, जीएसटी व सीमा शुल्क कानूनों के तहत मामलों में आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधान लागू होंगे।

  • पीठ ने अहम फैसले में कहा, सीमा शुल्क अफसरों को पुलिस अधिकारियों का दर्जा प्राप्त नहीं है और इसलिए वे असीमित पुलिसिंग शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकते।
  • पीठ ने कहा कि अपराध होने पर बलपूर्वक कार्रवाई करने से पहले, उसके कारणों को स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाना चाहिए।
  • पीठ ने माना कि जीएसटी अधिनियम के तहत वसूली के लिए धमकी व बल प्रयोग चिंता की बात है। इस तरह का चलन अस्वीकार्य है।

सरकार का तर्क खारिज, कहा-गिरफ्तारी के अधिकार का उपयोग संयम से हो
सरकार ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि सीजीएसटी अधिनियम के तहत गिरफ्तारियां अधिकारी के संदेह से अधिक, लेकिन गंभीर संदेह से कम के आकलन पर आधारित है। हालांकि, अदालत ने मनमाने ढंग से गिरफ्तारी के लिए किसी भी औचित्य को खारिज कर दिया।

  • पीठ ने जोर दिया कि गिरफ्तारी के अधिकार को आरोप तय करने के बराबर नहीं माना जा सकता है और इसका इस्तेमाल संयम से किया जाना चाहिए।

पीठ ने जीएसटी ढांचे के तहत तलाशी व जब्ती के दौरान अफसरों की ओर से धमकी और बल प्रयोग को भी अस्वीकार किया। पीठ ने निर्देश दिया कि ऐसे अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए।

 

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