नई दिल्ली: देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा, UPSC सिविल सेवा के नाम पर छात्रों को गुमराह करने वाले कोचिंग संस्थानों पर केंद्र सरकार ने हंटर चला दिया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन कार्यरत सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने गुरुवार को मशहूर कोचिंग संस्थान Vision IAS (Ajay Vision Education Private Limited) पर 11 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाया है।
संस्थान पर आरोप है कि उसने UPSC CSE 2022 और 2023 के परिणामों को लेकर अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भारी “भ्रामक विज्ञापन” (Misleading Advertisements) प्रकाशित किए और छात्रों को गलत जानकारी देकर लुभाने की कोशिश की।
भ्रामक दावों का खेल: कैसे फंसाया जाता है जाल में?
CCPA की जांच में Vision IAS के दावों की पोल खुल गई है। संस्थान ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया था कि:
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UPSC CSE 2023: टॉप 10 में 7 और टॉप 100 में 79 छात्र उनके संस्थान से थे।
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UPSC CSE 2022: टॉप 50 में 39 चयनित उम्मीदवार उनके यहाँ से थे।
इन विज्ञापनों में सफल उम्मीदवारों की तस्वीरें और रैंक प्रमुखता से दिखाई गई थीं, ताकि नए छात्रों को यह लगे कि इन टॉपर्स की सफलता का राज Vision IAS का महंगा Foundation Course है।
जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
CCPA की विस्तृत जांच के दौरान जो तथ्य सामने आए, वे हैरान करने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक:
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संस्थान ने कुल 119 से अधिक सफल उम्मीदवारों का दावा किया था।
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जांच में पाया गया कि इनमें से सिर्फ 3 उम्मीदवारों ने Vision IAS का वास्तविक ‘फाउंडेशन कोर्स’ किया था।
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बाकी 116 उम्मीदवार केवल टेस्ट सीरीज, प्रैक्टिस टेस्ट या मॉक इंटरव्यू जैसे शॉर्ट-टर्म प्रोग्राम से जुड़े थे।
संस्थान ने जानबूझकर यह जानकारी छिपाई कि ये उम्मीदवार उनके यहाँ के नियमित छात्र नहीं थे। इससे छात्रों और अभिभावकों के मन में यह गलत धारणा बनी कि इन सभी ने लाखों रुपये की फीस वाला फाउंडेशन कोर्स वहीं से किया था।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 का उल्लंघन
CCPA ने स्पष्ट किया कि यह कृत्य उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(28) के तहत आता है। संस्थान ने केवल शुभम कुमार (UPSC 2020 टॉपर) के क्लासरूम बैच की जानकारी सार्वजनिक की थी, लेकिन अन्य टॉपर्स के कोर्स की प्रकृति को गुप्त रखा।
“महंगे फाउंडेशन कोर्स (जिसकी फीस लाखों में है) के लिए छात्रों को भ्रमित करना और अतिरंजित दावों (Exaggerated Claims) के आधार पर रजिस्ट्रेशन कराना कानूनन अपराध है।” – CCPA रिपोर्ट
कोचिंग माफिया पर सरकार का ‘बुलडोजर’
यह पहली बार नहीं है जब कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम कसी गई है। भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ सरकार का अभियान तेज हो गया है:
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अब तक 57 कोचिंग संस्थानों को कारण बताओ नोटिस भेजा जा चुका है।
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28 कोचिंग संस्थानों पर अब तक कुल 1.09 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।
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सभी को निर्देश दिए गए हैं कि वे तुरंत ऐसे विज्ञापनों को हटा लें जिनमें टॉपर्स के कोर्स की स्पष्ट जानकारी न हो।
छात्रों और अभिभावकों के लिए चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि कोचिंग संस्थान अक्सर ‘मॉक इंटरव्यू’ में शामिल होने वाले छात्रों की फोटो लगाकर करोड़ों का बिजनेस करते हैं। CCPA की इस कार्रवाई के बाद अब संस्थानों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे सफल उम्मीदवार के नाम के साथ यह भी लिखें कि उसने कौन सा विशेष कोर्स (फाउंडेशन, टेस्ट सीरीज या केवल मॉक इंटरव्यू) जॉइन किया था।
आर्टिकल के मुख्य बिंदु (Key Highlights):
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जुर्माना: 11 लाख रुपये (Vision IAS पर)।
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कारण: UPSC CSE 2022-23 के परिणामों पर भ्रामक विज्ञापन।
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धोखाधड़ी: 119 दावों में से केवल 3 छात्र ही रेगुलर कोर्स के निकले।
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एक्शन: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत कार्रवाई।
निष्कर्ष: UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी संस्थान के विज्ञापनों के चकाचौंध में आने से पहले जमीनी हकीकत की जांच जरूर करें। सरकार की यह कार्रवाई शिक्षा के नाम पर चल रहे ‘भ्रामक व्यापार’ को रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है।



