
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली के पूसा स्थित सुब्रमण्यम सभागार में देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं आईसीएआर संस्थानों के निदेशकों के वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, ICAR के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, उप-महानिदेशक, सहायक महानिदेशक सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में चौहान ने ICAR को कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार का मंदिर बताते हुए कहा कि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि, “इस मंदिर का भगवान किसान है, और हम सब उसके पुजारी हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम उसकी जिंदगी को बेहतर बनाएं।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में “विकसित भारत” का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए “विकसित कृषि और समृद्ध किसान” अनिवार्य हैं। उन्होंने आगामी 25-26 मई को ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत पदयात्रा करने की भी घोषणा की, जिससे किसानों से प्रत्यक्ष संवाद हो सके।
श्री चौहान ने कृषि क्षेत्र के लिए 6 सूत्रीय रणनीति प्रस्तुत की:
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प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि
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लागत में कमी
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उचित मूल्य सुनिश्चित करना
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क्षति की भरपाई के प्रावधान
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कृषि का विविधीकरण
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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अनुसंधान मिट्टी, जलवायु और स्थानीय कृषि परिस्थितियों पर आधारित होना चाहिए, और प्रयोगशाला से खेत तक की कड़ी मज़बूत होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कृषि शिक्षा की व्यावसायिकता पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को यह मूल्यांकन करना चाहिए कि कितने छात्र एग्रो-स्टार्टअप्स में लगे हैं और किसानों को कितनी प्रत्यक्ष मदद दी जा रही है। उन्होंने ICAR एवं विश्वविद्यालयों से आह्वान किया कि वे मोबाइल एप्स, हेल्पलाइन व क्षेत्रीय सहायता केंद्रों के माध्यम से किसानों तक पहुँच बढ़ाएँ।
अंत में उन्होंने कहा कि अगली बार सम्मेलन में जब सभी पुनः एकत्र हों, तो यह स्पष्ट रूप से बताया जाए कि तय किए गए कार्यों में कितनी प्रगति हुई। उन्होंने विश्वविद्यालयों से सार्थक प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ श्रेष्ठ प्रथाओं को साझा करने का आह्वान किया।