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दीपावली के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को यूनेस्को की मान्यता; विदेश मंत्री जयशंकर बोले—“भारत की वैश्विक पहचान को मिला नया आयाम”

नई दिल्ली, 10 दिसंबर। विश्व की सबसे प्राचीन और सबसे बड़े सांस्कृतिक उत्सवों में से एक दीपावली को बुधवार को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ (Intangible Cultural Heritage List) में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। यह निर्णय दिल्ली के लाल किले में आयोजित यूनेस्को की महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जिसे भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस अवसर पर कहा कि वैश्विक मंच पर दीपावली की मान्यता केवल एक त्योहार की पहचान नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के मूल्यों, आध्यात्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक गहराई का वैश्विक सम्मान है। जयशंकर ने कहा,
“दीपावली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में स्थान मिलना इस त्योहार के अपार सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व तथा समाज को जोड़ने की क्षमता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करता है।”


यूनेस्को की ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ में शामिल होने का अर्थ क्या है?

यूनेस्को की यह सूची उन परंपराओं, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, कलाओं और अभिव्यक्तियों को मान्यता देती है जो किसी समाज की सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक निरंतरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

दीपावली का सूची में शामिल होना दर्शाता है कि:

  • यह त्योहार मानवता की साझा सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है
  • इसे संरक्षित करने, बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने के प्रयास होंगे
  • दुनिया भर में दीपावली से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अंतरराष्ट्रीय संरक्षण मिलेगा
  • विश्वभर में भारतीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलेगी

यूनेस्को की समिति ने दस्तावेजों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों तथा शोध रिपोर्टों के विस्तृत मूल्यांकन के बाद दीपावली को यह सम्मान प्रदान किया।


क्यों है दीपावली का वैश्विक महत्व?

दीपावली आज केवल भारत का पर्व नहीं, बल्कि एक वैश्विक महोत्सव बन चुका है।

  • 70 से अधिक देशों में बड़े पैमाने पर दीपावली मनाई जाती है।
  • अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मॉरीशस, मध्य-पूर्व और यूरोप के कई देशों में यह वहाँ के सांस्कृतिक कैलेंडर का हिस्सा है।
  • कई संसद भवनों, राष्ट्रपति आवासों और सिटी हॉल में दीपावली के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

यह त्योहार भारत की अहिंसा, सत्य, धर्म, प्रकाश, ज्ञान और सद्भाव की प्राचीन अवधारणाओं को आधुनिक दुनिया तक पहुंचाता है। यूनेस्को ने अपने दस्तावेज में कहा है कि दीपावली:

  • समुदायों के बीच सद्भाव बढ़ाती है,
  • विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधती है,
  • और इसे मानव मूल्यों का उत्सव माना जाता है।

जयशंकर ने कहा—भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की बड़ी जीत

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूनेस्को की इस घोषणा को भारत की “सॉफ्ट पावर स्ट्रेंथ” की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, “भारत की सभ्यता कोई एक भूगोल तक सीमित संस्कृति नहीं, बल्कि वैश्विक मूल्यों का वाहक है। दीपावली का यूनेस्को सूची में शामिल होना हमारी सांस्कृतिक कूटनीति की सफलता है। यह भारत की उस क्षमता को प्रमाणित करता है कि वह दुनिया को जोड़ने वाले उत्सवों और परंपराओं की धुरी है।”

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत आने वाले वर्षों में अधिक से अधिक भारतीय त्योहारों, लोक कलाओं और सांस्कृतिक परंपराओं को यूनेस्को की सूची में शामिल करवाने के लिए सक्रिय प्रयास जारी रखेगा।


लाल किले में ऐतिहासिक बैठक—भारत की मेजबानी में बड़ा सांस्कृतिक क्षण

यूनेस्को की यह बैठक दिल्ली के लाल किले में आयोजित की गई, जो स्वयं भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

इस सत्र में 40 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में भारत की ओर से विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसमें—

  • दीपावली का ऐतिहासिक विकास
  • इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएँ
  • लोक मान्यताएँ
  • सामाजिक प्रभाव
  • और वैश्विक विस्तार

पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।

यूनेस्को प्रतिनिधियों ने कहा कि दीपावली एक ऐसा उत्सव है जहाँ “प्रकाश अंधकार पर विजय प्राप्त करता है, और यह संदेश मानवता की साझा आकांक्षा है।”


भारतीय संस्कृति की 16वीं प्रविष्टि बनी दीपावली

दीपावली के शामिल होने के साथ ही यूनेस्को की सूची में अब भारत की कुल 16 सांस्कृतिक प्रविष्टियाँ हो चुकी हैं। इनमें—

  • योग
  • कुंभ मेला
  • रमता जोगी परंपरा
  • नवरोज़
  • छाऊ नृत्य
  • कूचिपुड़ी
  • रामलीला

जैसी विविध परंपराएँ शामिल हैं। दीपावली अब इनमें एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गई है।


वैश्विक भारतीय समुदाय भी हुए गौरवान्वित

यूनेस्को की घोषणा के बाद विश्वभर में भारतीय समुदायों में खुशी की लहर दौड़ गई। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, सिंगापुर और गल्फ देशों में बसे भारतीय संगठनों ने इसे “ग्लोबल पहचान का गौरवपूर्ण क्षण” बताया।

कई भारतीय दूतावासों ने सोशल मीडिया पर इसे “भारत की सांस्कृतिक विरासत की अंतरराष्ट्रीय विजय” बताया और कहा कि यह निर्णय भारतीय संस्कृति को दुनिया के और करीब लाएगा।


निष्कर्ष

दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया जाना न केवल भारत के लिए सांस्कृतिक मान्यता का बड़ा क्षण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारतीय सभ्यता की शक्ति और प्रभाव का प्रतीक भी है। यह त्योहार भारत की आध्यात्मिक यात्रा, सामाजिक सद्भाव और प्रकाश की संस्कृति का प्रतीक है।

यूनेस्को की यह मान्यता आने वाले वर्षों में दीपावली को और व्यापक वैश्विक मंच प्रदान करेगी और भारतीय संस्कृति की चमक को और दूर तक फैलाएगी।

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