इसरो के चंद्रयान-3 मिशन ने ऐसी सफलता दिलाई की भारत की शान में चार चांद लग गए. पूरी दुनिया ने इसरो का लोहा माना. भारतीय वैज्ञानिकों ने वो कर दिखाया जिसमें आज तक कोई सक्सेस नहीं हुआ. मिशन को लेकर और भी बड़ी उम्मीदें हैं. इस बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि लैंडर-रोवर से अगर संपर्क नहीं हो पाता है तो क्या मिशन समाप्त हो जाएगा? आपको बताते चलें कि दो हफ्ते के सूर्यास्त के बाद आज शिव शक्ति पॉइंट पर फिर से सूर्योदय होने वाला है, और इसके साथ ही यह उम्मीद भी जगी है कि भारतीय मिशन फिर से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाएगा. आमतौर पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान सामान्य से कई गुणा गिर जाता है. ऐसे में पूरा इलाका बर्फ की चादरों में ढंक जाता है. माइनस 230 से माइनस 240 डिग्री सेल्सियस तापमान में किसी भी मशीन का टिक पाना नामुमकिन है.
अगर इसी नामुमकिन को भेद प्रज्ञान और विक्रम दोबारा अपने काम पर लौटते हैं तो यह भारत के लिए दोहरी सफलता होगी. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) आज लैंडर-रोवर के साथ कॉन्टेक्ट साधने की कोशिश करेगा. स्पेस एजेंसी ने बताया कि आज 22 सितंबर को कम्युनिकेशन की कोशिश होगी. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को 4 सितंबर को सुबह 8 बजे स्लिप मोड में डाल दिया गया था. इसके पेलोड्स डिएक्टिवेट कर दिए गए थे. इसके रिसीवर फिर भी काम कर रहे थे. विक्रम में लगे पेलोड्स ChaSTE, RAMBHA-LP और ILSA ने कई साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट किए, जो दुनिया के लिए चंद्र मिशन का मार्गदर्शन कर सकते हैं.
प्रज्ञान रोवर को स्पेस एजेंसी इसरो ने 2 सितंबर को रेस्ट मोड में डाला था. एजेंसी ने बताया था कि इसकी बैट्री पूरी तरह चार्ज है और इसके रिसीवर को ऑन ही रखा गया है, और इसके सोलर पैनल में क्षमता है कि सूरज की रौशनी पड़ने पर एक्टिव हो सकते हैं, लेकिन यह अभी सिर्फ उम्मीदें है. स्पेस एजेंसी ने अबतक इसपर कोई अपडेट नहीं दिया है. इसरो ने 4 सितंबर के अपने बयान में बताया, “सोलर पावर खत्म हो जाने और बैटरी खत्म हो जाने पर विक्रम, प्रज्ञान के बगल में सो जाएंगे, उनके 22 सितंबर के आसपास जागने की उम्मीद है.”