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Uttarakhand: हर्षिल में मंडरा रहा ‘धराली जैसा खतरा’, झील का जलस्तर बढ़ा; राशन-गैस की किल्लत से हालात बिगड़े

प्रशासन ने सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की, लेकिन लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं

उत्तरकाशी, उत्तराखंड | संवाददाता: उत्तराखंड के पर्यटन स्थल हर्षिल में इस समय हालात बेहद चिंताजनक हैं। यहां बनी कृत्रिम झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे धराली जैसी त्रासदी की आशंका गहराती जा रही है। विशेषज्ञों और प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगर जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। खतरे को देखते हुए प्रशासन ने लोगों से घर खाली कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है, लेकिन कई लोग अपना घर छोड़ने से इनकार कर रहे हैं।

धराली की यादें ताजा, बढ़ी चिंता

बीते दिनों उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने और झील के टूटने से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई थी। दर्जनों घर, होटल और होम स्टे मलबे में तब्दील हो गए थे और कई लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। हर्षिल की मौजूदा स्थिति देखकर स्थानीय लोग और प्रशासन दोनों ही सशंकित हैं कि कहीं यहां भी धराली जैसी त्रासदी न दोहराई जाए।

राशन और गैस की भारी किल्लत

हर्षिल में हालात सिर्फ खतरे तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जीवन-यापन पर भी गहरा असर पड़ा है। सड़क मार्ग लंबे समय से बाधित है, जिससे जरूरी सामान की सप्लाई ठप पड़ी है। मौसम खराब होने से हेलीकॉप्टर सेवा भी प्रभावित हो गई है।
स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि राशन और गैस सिलेंडर का स्टॉक लगभग खत्म हो चुका है। कई परिवारों के पास केवल एक या आधा सिलेंडर ही बचा है, जिससे खाना बनाने में दिक्कत हो रही है। सब्जियों की सप्लाई भी बेहद सीमित हो गई है, जिसके चलते बाजार में कीमतें बढ़ गई हैं और लोगों को पेट भरने के लिए जूझना पड़ रहा है।

होटल और होम स्टे बंद, सन्नाटा पसरने लगा

हर्षिल पर्यटन का प्रमुख केंद्र रहा है, लेकिन मौजूदा संकट ने यहां के पर्यटन उद्योग को भी ठप कर दिया है। ज्यादातर होटल संचालक अपने होटल और होम स्टे बंद करके पहाड़ों से नीचे लौट चुके हैं। खाली पड़े होटल और सुनसान सड़कें इस कभी चहल-पहल वाले इलाके की बदलती तस्वीर बयां कर रही हैं।

“हमारा सबकुछ यहीं है” — लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं

प्रशासन लगातार चेतावनी दे रहा है कि खतरा बढ़ रहा है और किसी भी वक्त हालात बिगड़ सकते हैं। फिर भी कई लोग हर्षिल छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
स्थानीय निवासी बताते हैं—

“हमारा सबकुछ यहीं है। नीचे जाकर हमारे पास न जमीन है, न घर, न रोजगार। अगर यहां से जाएंगे तो वापस आना मुश्किल होगा।”

इन लोगों का मानना है कि भले ही खतरा है, लेकिन अपने घर और जमीन को छोड़ना उनके लिए संभव नहीं। यह जिद अब प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

प्रशासन की चुनौतियां और आगे की तैयारी

जिलाधिकारी और आपदा प्रबंधन टीम ने हर्षिल में अलर्ट जारी कर दिया है। लगातार झील के जलस्तर और मौसम की निगरानी की जा रही है। आपदा प्रबंधन विभाग का कहना है कि अगर स्थिति और बिगड़ी, तो राहत और बचाव कार्य के लिए फोर्स और संसाधन तैयार हैं।
हालांकि, सड़कों के बाधित रहने और हेलीकॉप्टर सेवा प्रभावित होने से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में प्रशासन का फोकस पहले से ही सुरक्षित निकासी पर है, लेकिन लोगों की अनिच्छा इसे मुश्किल बना रही है।

हर्षिल इस वक्त एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां हर पल हालात बदल सकते हैं। एक तरफ बढ़ते खतरे की चेतावनी, दूसरी तरफ राशन-गैस की किल्लत और तीसरी तरफ लोगों का घर न छोड़ने का निर्णय—ये सभी कारक मिलकर इस छोटे से कस्बे को बड़ी चुनौती में डाल रहे हैं। प्रशासन और स्थानीय लोग दोनों ही प्रार्थना कर रहे हैं कि यहां धराली जैसी त्रासदी न दोहराई जाए, लेकिन प्रकृति के सामने इंसानी तैयारी कब तक टिक पाएगी, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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