
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की मार से पाकिस्तान से ज़्यादा गांधी परिवार कराह रहा है। उन्होंने राहुल गांधी को “लोकसभा में विपक्ष के हल्के नेता” बताते हुए आरोप लगाया कि उन्हें भारत की बजाय पाकिस्तान की ज्यादा चिंता रहती है।
सोशल मीडिया पर निशाना
रविवार को सोशल मीडिया मंच “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए केशव मौर्य ने कहा:
“लोकसभा में विपक्ष के हल्के नेता राहुल गांधी को भारत की चिंता कम, पाकिस्तान की फिक्र ज़्यादा रहती है। तभी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की मार से पाकिस्तान से ज्यादा तो गांधी परिवार कराह रहा है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस भारतीय सेना का बार-बार अपमान करती है ताकि “पड़ोसी भाईजान पाकिस्तान को खुश किया जा सके”।
‘सत्ता से बेदखली ने कांग्रेस की मति मारी’
अपने पोस्ट में मौर्य ने लिखा:
“दरअसल सत्ता से बेदखली ने कांग्रेस की मति मार दी है, इसलिए वह उन भ्रमित नेताओं की ओट लेने को मजबूर है जो खुद अपने बयानों पर स्थिर नहीं रहते। अपने गांधी जी की तरह वे भी अस्थिर चित्त वाले हैं।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता की तारीफ करते हुए कहा:
“मोदी जी के कुशल नेतृत्व ने केवल पाकिस्तान ही नहीं, दुनिया के उन नेताओं की भी नींद उड़ा दी है जो खुद को तुर्रमखां समझते थे।”
कांग्रेस पर हमले तेज़, भ्रष्टाचार से लेकर राष्ट्र सुरक्षा तक निशाना
केशव मौर्य पिछले कुछ महीनों से गांधी परिवार पर लगातार हमलावर हैं। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों को आधार बनाकर वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर लगातार तीखे बयान दे चुके हैं।
नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर उन्होंने गांधी परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि:
“कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार की गुलामी कर रही है, जबकि संविधान सभी के लिए बराबर है।”
उन्होंने यह भी कहा था कि जांच एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले की जांच खुद कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि: ऑपरेशन सिंदूर पर सियासत तेज
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत हाल ही में भारतीय सेना द्वारा सीमा पार आतंकियों के ठिकानों पर की गई कार्रवाई ने राष्ट्रीय राजनीति में गर्माहट ला दी है। जहां भाजपा इसे “मजबूत नेतृत्व की मिसाल” बता रही है, वहीं विपक्ष इस पर सवाल उठाते हुए सरकार से पारदर्शिता और तथ्यों की मांग कर रहा है।