
शिमला, 22 अप्रैल 2025 — हिमाचल प्रदेश एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम की मार ने जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। रोहतांग, लाहौल-स्पीति, और किन्नौर जैसे क्षेत्रों में ताजा बर्फबारी और तेज बारिश के चलते सड़कें अवरुद्ध, बिजली आपूर्ति बाधित, और हवाई सेवाएं रद्द करनी पड़ी हैं।
🌨️ कहाँ कितनी बारिश और बर्फबारी?
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रोहतांग दर्रे सहित अन्य ऊंचाई वाले दर्रों में 6 इंच तक हिमपात हुआ है।
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चंबा की पांगी घाटी में बीते दो दिन में 10 इंच बर्फबारी दर्ज की गई है, जिससे घाटी का शेष राज्य से संपर्क टूट गया है।
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भारी वर्षा के कारण किन्नौर में टिंकू नाला, भगत नाला और नेसंग झूला के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-5 20 घंटे तक बंद रहा।
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वर्षा के आंकड़े (मिमी में):
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पूह (किन्नौर): 48.2
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सलौणी (हमीरपुर): 40.4
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बिलासपुर: 20.2
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मनाली: 18.0
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बैजनाथ: 11.0
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प्रभाव और प्रशासनिक कार्रवाई
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39 सड़कें अभी भी बंद, जिनमें तीन राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल हैं।
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365 बिजली ट्रांसफार्मर ठप, जिससे हजारों लोगों को बिजली आपूर्ति से वंचित रहना पड़ा।
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30 पेयजल योजनाएं प्रभावित, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की आशंका।
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राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, “बाधित मार्गों और विद्युत आपूर्ति को बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है।”
✈️ हवाई सेवाएं भी बाधित
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दिल्ली-शिमला उड़ान दो दिन से रद्द, यात्रियों को परेशानी और टिकट वापसी की स्थिति।
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कांगड़ा हवाई अड्डे से दिल्ली और शिमला के लिए तीन फ्लाइट्स रद्द हुईं।
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हवाई अड्डों के अधिकारियों ने कहा कि यह मौसम पूरी तरह अनुकूल होने तक सेवाएं सीमित रहेंगी।
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मौसम विभाग का अनुमान: मंगलवार से अगले तीन दिन आंशिक रूप से साफ रहेंगे।
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हालांकि सोमवार रात तक ओलावृष्टि और 50 किमी प्रति घंटे तक की तेज हवाओं की संभावना जताई गई थी।
इस प्रकार की अप्रत्याशित बर्फबारी और तेज बारिश जलवायु परिवर्तन के संकेत हो सकते हैं। अप्रैल महीने में इस स्तर की बर्फबारी असामान्य मानी जाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य में हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों को और अधिक सतर्क और लचीली आपदा प्रबंधन रणनीति की आवश्यकता है।