
बेंगलुरु, 5 जुलाई 2025 | कर्नाटक के माले महादेश्वर हिल्स टाइगर रिज़र्व (MM Hills Tiger Reserve) में पिछले सप्ताह पांच बाघों की रहस्यमयी मौत के मामले ने वन्यजीव प्रबंधन पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हाई-प्रोफाइल मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है, जिसके आधार पर तीन वरिष्ठ वन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
प्रथम दृष्टया लापरवाही का आरोप
पर्यावरण एवं वन मंत्री ने रिपोर्ट की समीक्षा के बाद बताया कि प्रारंभिक जांच में वन संरक्षक (ACF) गजानन हेगड़े और रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर (RFO) मदेशा पर ड्यूटी में लापरवाही के प्रथम दृष्टया सबूत पाए गए। दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
रिपोर्ट में भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी डीसीएफ चक्रपाणि के निलंबन की भी सिफारिश की गई है। उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश दिए गए हैं।
वेतन भुगतान में देरी बनी कारण?
जांच में यह भी सामने आया कि रिज़र्व में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों को मार्च से जून तक वेतन नहीं मिला, जबकि अप्रैल के अंत में ही भुगतान के लिए धनराशि जारी कर दी गई थी। इस लापरवाही के लिए सीधे तौर पर डीसीएफ चक्रपाणि को जिम्मेदार माना गया है।
23 जून को कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि वेतन न मिलने के कारण गश्ती और निगरानी कार्य प्रभावित हुए। जांच समिति ने इसे फ्रंटलाइन कर्मचारियों में असंतोष और प्रेरणा की कमी का मुख्य कारण माना है, जिससे पार्क में निगरानी तंत्र कमजोर पड़ा।
बाघों की मौत ने उठाए गंभीर सवाल
बाघों की मौत के सही कारणों की जांच अभी चल रही है, लेकिन प्रारंभिक संकेत अपर्याप्त गश्ती, निगरानी की विफलता और कर्मचारियों के असंतोष की ओर इशारा करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते निगरानी और हस्तक्षेप किया गया होता, तो शायद इन मौतों को रोका जा सकता था।
क्या कहता है विभाग?
वन मंत्री ने कहा:
“वन्यजीव संरक्षण में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हुई है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। इस पूरे मामले की विस्तृत जांच भी जारी है।”
राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि बाघों की मौत की वजहों की विस्तृत फॉरेन्सिक जांच रिपोर्ट आने के बाद और अधिक अधिकारियों पर कार्रवाई संभव है।