
नई दिल्ली : देश की कृषि को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लक्ष्य के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने “विकसित कृषि संकल्प अभियान” (VKSA 2025) के तहत आज विभिन्न राज्यों के विधायकों से वर्चुअल संवाद किया। उन्होंने इस अवसर पर इसे मात्र एक सरकारी योजना न मानकर “एक जन आंदोलन” बताया, जिसका उद्देश्य 29 मई से 12 जून 2025 तक 1 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद स्थापित करना है।
पुरी, ओडिशा से हुई शुरुआत, अब देशभर में जागरूकता की लहर
इस अभियान की शुरुआत पुरी, ओडिशा से हुई थी, लेकिन अब यह पूरे देश में तेजी से फैलता हुआ किसान जागरूकता का राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन चुका है। श्री चौहान ने जानकारी दी कि अब तक 2170 टीमों ने 7368 गांवों में 4416 दौरे कर लगभग 7.95 लाख किसानों को इस अभियान से जोड़ा है।
गांव-गांव जाकर किसानों से संवाद करेंगी टीमें
अभियान के तहत गठित टीमें देश के हर राज्य में किसानों से प्रत्यक्ष संवाद करेंगी और उन्हें वैज्ञानिक खेती की तकनीकों, जलवायु अनुकूल किस्मों, संतुलित उर्वरक उपयोग, मृदा पोषण, रोग प्रबंधन, प्राकृतिक खेती, और कृषि में ड्रोन तकनीक के उपयोग जैसी बातों पर प्रशिक्षण देंगी।
चौहान ने कहा कि आज की कृषि चुनौतियों को देखते हुए कृषि में विविधिकरण, पशुपालन, डेयरी, और मत्स्य पालन जैसे विकल्पों की जानकारी देना समय की आवश्यकता है। इन विषयों पर भी गहन चर्चा कर किसानों की शंकाओं का समाधान कृषि विज्ञान केंद्रों एवं विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा।
खरीफ सीजन में मिलेगा सीधा लाभ
मंत्री ने विश्वास जताया कि यह अभियान आगामी खरीफ फसलों के मौसम में किसानों को तत्काल लाभ पहुंचाएगा। किसानों को तकनीकी ज्ञान के साथ उनके स्थानीय नवाचारों को भी मान्यता मिलेगी, जिससे “प्रयोगशाला से खेत तक” (Lab to Land) का विजन साकार होगा।
“एक देश – एक कृषि – एक टीम” का मंत्र
श्री शिवराज सिंह चौहान ने अभियान के मूल मंत्र — “एक देश – एक कृषि – एक टीम” को रेखांकित करते हुए कहा कि कृषि वैज्ञानिक, अधिकारी और किसान मिलकर ही भारत को विकसित भारत – 2047 के सपने की ओर अग्रसर करेंगे। उन्होंने सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्रों में किसानों को वैज्ञानिकों से संवाद और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
कम लागत, अधिक उत्पादन, टिकाऊ और लाभकारी खेती का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है —
✔ कम लागत में अधिक उत्पादन,
✔ टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती,
✔ कृषकों की आमदनी में वृद्धि,
✔ और नवाचारों के आदान-प्रदान के लिए मंच तैयार करना।
श्री चौहान ने बताया कि यह अभियान केवल किसानों को सिखाने का माध्यम नहीं है, बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी एक अवसर है कि वे खेतों तक जाकर किसानों से कुछ सीखें और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शोध से जोड़ें।
चौहान ने इस अभियान को भारतीय कृषि की विकास गाथा में “मील का पत्थर” बताते हुए कहा कि यह पहल सरकार, वैज्ञानिकों और किसानों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है, जो कृषि के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक परिवर्तन लाएगी।