
देहरादून, 11 नवंबर— उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं, प्रशासनिक कार्रवाइयों और वित्तीय स्वीकृतियों से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इनमें वन विभाग के आरोपित अधिकारियों के खिलाफ पुनः जांच एवं अभियोजन की स्वीकृति, सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में वृद्धि, राज्य के पहाड़ी नगरों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने की योजना और 39.68 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं की स्वीकृति शामिल है।
वन विभाग के दो अधिकारियों के खिलाफ पुनः जांच और अभियोजन की स्वीकृति
मुख्यमंत्री ने राजाजी राष्ट्रीय पार्क में वर्ष 2013 में हुई वन आरक्षी (सामयिक मजदूरों से भर्ती) परीक्षा में अनियमितताओं के प्रकरण में संलिप्त माने गए अधिकारी एच.के. सिंह (भा.व.से., सेवानिवृत्त) के विरुद्ध पुनः जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने इस मामले में प्रमुख वन संरक्षक/मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्री रंजन कुमार मिश्र को जांच अधिकारी तथा उप वन संरक्षक, चकराता श्री वैभव कुमार को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नामित किया है।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत दर्ज प्रकरणों में शामिल लोकसेवकों के विरुद्ध कार्रवाई के तहत श्री अखिलेश तिवारी (अ.प्रा.-आईएफएस), तत्कालीन उप वन संरक्षक/प्रभागीय वनाधिकारी, कालागढ़ टाइगर रिजर्व, लैंसडौन के खिलाफ अभियोजन स्वीकृत करने का अनुमोदन प्रदान किया है।
सरकार का कहना है कि यह कदम विभागीय पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत संदेश है।
सरकारी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता
मुख्यमंत्री धामी ने राज्य सरकार एवं उसके स्वायत्तशासी निकायों तथा उपक्रमों के उन कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में वृद्धि की स्वीकृति दी है, जो पांचवें एवं छठे वेतनमान के अंतर्गत वेतन आहरित कर रहे हैं।
नई व्यवस्था के अनुसार,
- पांचवें वेतनमान वाले कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 466 प्रतिशत से बढ़ाकर 474 प्रतिशत किया गया है।
- छठे वेतनमान वाले कर्मचारियों का भत्ता 252 प्रतिशत से बढ़ाकर 257 प्रतिशत किया गया है।
यह वृद्धि 1 जुलाई 2025 से प्रभावी होगी।
राज्य सरकार ने कहा कि इस निर्णय से हजारों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को राहत मिलेगी तथा उनके क्रयशक्ति स्तर में सुधार होगा।
पहाड़ी क्षेत्रों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य के पहाड़ी नगरों को अब स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा, जिससे बुनियादी ढांचा, नागरिक सेवाएं और जीवन स्तर में व्यापक सुधार होगा।
इस योजना के प्रथम चरण में शामिल नगर हैं —
- नगर निगम पिथौरागढ़
- नगर पालिका परिषद बाड़ाहाट (उत्तरकाशी) — एक प्रमुख पर्यटक स्थल
- नगर पंचायत गैरसैंण (ग्रीष्मकालीन राजधानी)
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन पहाड़ी क्षेत्रों को स्मार्ट सिटी के मॉडल पर विकसित करने से न केवल शहरी सुविधाओं में विस्तार होगा, बल्कि पर्यटन, निवेश और स्थानीय रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों को आधुनिक बुनियादी ढांचे और डिजिटल सेवाओं से जोड़ना हमारी प्राथमिकता है।”
39.68 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास योजनाओं को स्वीकृति
मुख्यमंत्री ने राज्य में शहरी विकास एवं जलापूर्ति संबंधी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए 39.68 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है।
इन योजनाओं में शामिल हैं —
- देवभूमि रजत जयंती पार्क के निर्माण हेतु राज्य के 17 नगर निकायों को 13.46 करोड़ रुपये की स्वीकृति।
- जनपद देहरादून की उत्तर शाखा के अंतर्गत गंगोत्री विहार में नलकूप खनन, राइजिंग मेन एवं संबंधित कार्यों के लिए 2.22 करोड़ रुपये।
- पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर एसएएससीआई के अंतर्गत जोन-प्रथम, शिवालिक नगर पंपिंग जलापूर्ति योजना के पुनर्गठन हेतु 6.81 करोड़ रुपये।
- अमृत 2.0 स्टेट वाटर एक्शन प्लान-2 के तहत 5 योजनाओं के लिए 3.25 करोड़ रुपये।
- जनपद देहरादून की केन्द्रीय भंडार शाखा के अंतर्गत नगरीय पेयजल योजनाओं में एएमआर वाटर मीटर स्थापना हेतु 10.00 करोड़ रुपये।
- मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत जनपद चंपावत के विधानसभा क्षेत्र चंपावत में बनबसा के ग्रामीण क्षेत्रों में 10 किलोमीटर सड़कों के सुधार कार्य हेतु 3.94 करोड़ रुपये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सभी योजनाएं राज्य के बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण, स्वच्छ जलापूर्ति, शहरी सौंदर्यीकरण और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
राज्य सरकार की प्राथमिकता — पारदर्शिता, विकास और नागरिक सुविधा
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार प्रशासनिक पारदर्शिता, वित्तीय अनुशासन और नागरिक सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने कहा —“सरकार का उद्देश्य जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना, भ्रष्टाचार पर कठोर कार्रवाई करना और विकास कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है। हमारे सभी निर्णय जनहित और सुशासन की भावना से प्रेरित हैं।”



