
चमोली : उत्तराखंड के चमोली जिले में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान उस वक्त माहौल गर्मा गया, जब एक शिक्षक ने मंच पर मौजूद शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को सीधे-सीधे निशाने पर ले लिया। शिक्षक ने प्रधानाचार्य पदों पर वर्षों से लंबित प्रमोशन, और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा – “मंत्री जी, आप इसे गंभीरता से लीजिए, वरना आपको लोग गंभीरता से नहीं लेंगे।”
शिक्षक की इस अप्रत्याशित प्रतिक्रिया से मंच और पंडाल में सन्नाटा छा गया। कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी भी चौंक गए और सकते में आ गए। हालांकि, मंत्री धन सिंह रावत ने शिक्षक को बोलने दिया और बीच में हस्तक्षेप करने आए एक व्यक्ति को भी रोकते हुए कहा – “बोलने दीजिए।”
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2300 पद वर्षों से खाली: शिक्षक ने मंच से बताया कि राज्य में 2300 विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन हैं और 2016 से प्रमोशन लंबित पड़े हैं।
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बच्चों के आत्मविश्वास पर असर: उन्होंने कहा कि बच्चों में आत्मविश्वास की कमी इस कारण आ रही है क्योंकि नेतृत्व देने वाले शिक्षक नहीं हैं।
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नियमों की अस्पष्टता पर सवाल: उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग में न तो नियम स्पष्ट हैं, न ही प्रक्रिया पारदर्शी।
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कोर्ट में मामला लंबित: मंच पर एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि यह मामला कोर्ट में लंबित है।
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मंत्री का जवाब: शिक्षा मंत्री ने कहा – “कोर्ट से आप केस वापस लें, अगले दिन ही प्रमोशन कर देंगे।”
शिक्षक ने मंच से अपना नाम और पहचान खुद घोषित की, यह कहते हुए कि “मैं डरता नहीं, इसलिए छिपकर नहीं बोल रहा हूं।” इसके बाद सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर उनकी बेबाकी की सराहना हो रही है। लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं कि शिक्षकों की अनदेखी कब तक जारी रहेगी।
यह घटना दर्शाती है कि राज्य के शिक्षा विभाग में लंबे समय से नीतिगत और प्रशासनिक लापरवाही चल रही है, जिसे अब शिक्षक खुलकर सामने ला रहे हैं। यह सिर्फ एक मंचीय विरोध नहीं, बल्कि व्यवस्था में छिपे दर्द और असंतोष की अभिव्यक्ति है।